एकता, संगठन और संघर्ष ही मजदूर को विजय दिला सकते हैं।
मानव ने वेलकम-3, दिल्ली से समस्या भेजी है कि-
हम 10 सफाई कमॅचारी दैनिक वेतन पर केन्द्र सरकार की संस्था में कार्य कर रहे हैं। हम पहले ठेकेदारी में काम करते थे। हमें संस्था के अधिकारी ने दैनिक वेतन पर संस्था की तरफ रख लिया था। अप्रेल 2012 से सितम्बर 2015 तक 1100 हाजिरी हो गई है। अब हमें ठेकेदारी में काम करने को कहा जा रहा है। टेन्डर भी निकाल दिया है। हमें क्या करना चाहिए।
समाधान–
पहले आप ठेकेदार के माध्यम से संस्था में काम कर रहे थे। उस के बाद संस्था ने स्वयं आप को नियोजन दे दिया। करीब ढाई वर्ष तक आप लोग संस्था में लगातार काम कर चुके हैं और निरन्तर सेवा में हैं। यदि आप के स्थान पर यह काम ठेकेदार को सौंप दिया जाता है तो निश्चित ही संस्था को आप को छंटनी करना होगा। नोटिस देना होगा या फिर नोटिस वेतन व मुआवजा एक साथ सेवा समाप्ति के साथ देना होगा। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो यह छंटनी होगी।
लेकिन आज कल ऐसा होता है कि काम ठेकेदार को दे दिया जाता है। कर्मचारी वही काम करते रहते हैं। बाद में माह पूरा होने पर ठेकेदार के नाम बिल बना कर उस के नाम से वेतन का भुगतान उठा कर मजदूरों को भुगतान कर दिया जाता है। मजदूरों को पता ही नहीं लगता है कि उन का नियोजक बदल दिया गया है।
इस तरह जो काम आप कर रहे हैं वह नियोजक का काम है जिस में उस ने पिछले ढाई वर्ष से आप को नियोजित कर रखा है। संस्था इस काम को ठेकेदार को नहीं दे सकती। ऐसा करना श्रमिकों की सेवा शर्तों में परिवर्तन है। इस से श्रमिक काम तो उसी उद्योग का वही कर रहे होते हैं लेकिन उन का वेतन भुगतान का तरीका और नियोजक दोनों ही बदल जाते हैं। ऐसा करने के लिए संस्थान को एक नोटिस अन्तर्गत धारा 9 औद्योगिक विवाद अधिनियम देना आवश्यक है। यदि ऐसा नोटिस कोई संस्थान/ नियोजक श्रमिकों और श्रम विभाग को देता है तो उस पर औद्योगिक विवाद उठाया जा सकता है।
यदि आप की संस्था संविधान के अन्तर्गत राज्य की परिभाषा में आती है तो आप सभी लोग एक रिट याचिका प्रस्तुत कर इस काम को ठेकेदार को देने तथा आप को छंटनी करने या आप की स्टेटस बदलने पर रोक लगवाई जा सकती है। इस के लिए आप को दिल्ली उच्च न्यायालय के किसी वकील से संपर्क करना चाहिए जो कि श्रम संबंधी मामले देखता है।
बेहतर तो यह होगा कि किसी पुरानी ट्रेड युनियन के पदाधिकारियों से आप मिलें और उन्हें अपनी समस्या बताएँ। वे स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप कोई अच्छा हल निकालने में आप की मदद कर सकते हैं। इस से भी बेहतर यह है कि आप सब अपने जैसा काम करने वाले उद्योगों की यूनियन में शामिल हो कर इस काम को करें। मजदूर के पास कोई और ताकत नहीं होती। वह लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने में अक्षम होता है उस की एक मात्र ताकत उस का संगठन और बिरादराना मजदूर संगठनों के साथ उस की एकता होती है। आप को उस दिशा में बढ़ना चाहिए। एकता, संगठन और संघर्ष की राह ही उसे विजय दिला सकती है।
Wednesday, September 21st 2016 at 9:09 AM |
हम उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में २७/०२/२०१३ से दैनिक मजदुर में काम करते है मेरा दैनिक मजदूरी कितना गया मोदी सरकार द्वारा घोषणा दैनिक मजदूरी कब से मिलेगा bahye
Wednesday, September 21st 2016 at 9:06 AM |
हम उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में २७/०२/२०१३ से अनिक मजदुर में काम करते है मेरा दैनिक मजदूरी कितना गया मोदी सरकार द्वारा घोषणा दैनिक मजदूरी
Monday, September 28th 2015 at 9:31 AM |
संगठन आपको लगता है ईमानदारी से इनके लिए काम करेगे । कोई अच्छा नेता होगा संगठन में तो ही इन्हे पर्याप्त जानकारी मिल पायेगी व समर्थन । लम्बी कानूनी लडाई ये चाहे तो लड सकते है। लीगल एड कमेटी से ये अपने लिए वकील भी तो ले सकते है जो मुफॅत में इनका केस लडेगा । लेकिन इन्हे सजग रहकर केस पर ध्यान देना होगा व हर तारीख पर स्वयं उपस्थित होना होगा ।