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पुलिस लोगों को खेती नहीं करने दे रही है तो मानवाधिकार आयोग को शिकायत करें

समस्या-

गाँव में हुए दो गुटो की लडाई में 7 लोग मारे गये हैं। दुसरे गुट ने 56 लोगों के नाम इस केस में दर्ज कराए हैं।  एक परिवार के 5 लोग पिछले महीने से जेल में बंद है और दो लोग फरार हैं। पुलिस इसी बिना पर हमें खेती नहीं करने दे रही है कि जब तक दो लोग गिरफ्तार नहीं हो जाते हैं, आप लोग खेती नहीं कर सकते हैं। अब हम क्‍या करें कि इस मुसीबत से छुटकारा मिले और हम खेती का काम कर सकें।  जो लोग फरार हैं उनके नाम कोई खेती नहीं है।

-अमजद, विदिशा, मध्यप्रदेश

उत्तर-

प की समस्या कानूनी कम और प्रशासनिक अधिक है।  हमारी पुलिस के पास साधन कम हैं।  वे शेष अभियुक्तों को गिरफ्तार कर के मुकदमे में चालान प्रस्तुत करना चाहते हैं।  वे अभियुक्तों को पकड़ नहीं पा रहे हैं। अब वे गाँव के उन लोगों पर दबाव बना रहे हैं जो उन के परिचित या रिश्तेदार हैं।  पुलिस की समझ यह है कि उन लोगों को परेशान करने से वे भी फरार अभियुक्तों की खोज में मदद करेंगे और जैसे ही उन का पता लगेगा उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे।  उधर अभियुक्तों को भी जब यह सूचना मिलेगी कि उन के रिश्तेदारो को इस लिए परेशान किया जा रहा है कि वे गिरफ्तार नहीं हो रहे हैं, वे भी सोचेंगे कि एक दिन गिरफ्तार होना है तो कम से कम रिश्तेदारों को तो इस मुसीबत से बचाया जाए। पुलिस द्वारा आप लोगों को परेशान करने के पीछे यही मानसिकता है।

लेकिन यह भी सही है कि अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं कर पाना पुलिस की नाकामी है।  यदि वे उन की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने के लिए बेकसूर लोगों खेती नहीं करने दे रहे हैं तो यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है।  इस के लिए आप लोगों को जिन्हें खेती नहीं करने दी जा रही है, मानवाधिकार आयोग को शिकायत करनी चाहिए।  इस संबंध में आप अपने जिले में या उस के आसपास के जिलों में काम करने वाले मानवाधिकार संगठनों की मदद भी ले सकते हैं।  इस मामले में आप अपने यहाँ के विपक्षी राजनैतिक दल की भी मदद ले सकते हैं।  अक्सर यह भी होता है कि अनेक बार विपक्षी राजनैतिक दल भी इस तरह के मामलों में दखल नहीं देते।  वैसी स्थिति में आप आसपास काम करने वाले सामाजिक संगठनों की मदद ले कर राजनैतिक दबाव बना सकते हैं।  पुलिस पर राजनैतिक दबाव बनाने पर ही आप की समस्या का शीघ्र हल निकल सकेगा।

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