DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

अशान्ति रोकने के लिए पुलिस के कार्यवाही न करने पर सीधे मजिस्ट्रेट को परिवाद प्रस्तुत करें।

Lawyers in courtसमस्या-

जौनपुर, उत्तर प्रदेश से संतोष कुमार ने पूछा है-

मेरे पिता जी दो भाई थे। छोटे भाई को ससुराल में नवासा मिला था और वह वहीं रहता था। कुल भूमि दादा जी की चार एकड़ थी। जिस पर पिता जी अपने परिवार के साथ खेती और पशुपालन कर जीवन यापन करते थे। चाचा कभी खेती या अन्य कार्यों में कोई शारीरिक और आर्थिक सहयोग नहीं करते थे। किंतु आवश्यकता होने पर पिता जी से जानवर या रुपया भी लेते थे। पिता जी उसे छोटा भाई या आधे का हिस्सेदार समझ कर उसकी सहता करते रहते थे। किंतु इसका कोई लिखित हिसाब नहीं रखा गया। दादी चाचा के पैदा होते ही मर गईं। दादा जी का 1978 ई। स्वर्गवास हो गया। 1992 ई। से वह परिवार के साथ ससुराल से पैतृक गाँव में रहने के लिए आया। छः महीने के अंदर वह और उसकी बीवी ने ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी कि 1993 ई। में दोनों भाईयों के बीच बंटवारा हो गया। छोटे भाई ने जमीन, घर, आबादी आदि में आधा हिस्सा लिया। पिता जी ने एक पड़ोसी के साथ मिलकर आधे की हिस्सेदारी में सन 1974 में विद्युत सेट लगवा था। किंतु उसकी बिल पिछले 20 वर्षों की बकाया पड़ी थी। चूंकि विद्युत कनेक्शन पड़ोसी के नाम से था। बिल करीब सत्तर – अस्सी हजार हो गई थी। बंटवारे के समय चाचा को कहा गया कि आप बिल ले लिजिए और ¼ के हिस्सेदार बन जाइए। चाचा विद्युत सेट की बिल में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया। इस प्रकार उसे विद्युत सेट में हिस्सा नहीं दिया गया। 2004 तक मेरे पिता जी और साझीदार विद्युत सेट का प्रयोग करते रहे। किंतु इसी समय चकबंधी के कारण पड़ोसी की चक वहाँ से हट गई। वह विद्युत सेट बेचने लगा। चूंकि विद्युत कनेक्शन उसके नाम से था इस लिए बिल भरने के लिए लड़ाई करने लगा। इस प्रकार उसको हमारे पिता जी ने बिल भरने हेतु दस हजार रुपए 2002 में और नौ हजार 2003 में दिया। किंतु इसका कोई रसीद साझीदर ने नहीं दिया। फिर विद्युत सेट बांट दिया गया। जिसकी किमत चालिस हजार लगाई गई और मेरे द्वार पर विद्युत सेट होने के कारण बीस हजार रुपये देकर हमने ले लिया। इस लेन-देन को स्टम्प पेपर पर भी तैयार किया गया, जिसमें प्रधान और पंचों के हस्ताक्षर भी करा लिए गए (अप्रैल, 2004)। जो अभी भी हमारे पास है। बाद में हमने नया विद्युत कनेक्शन 2009 पिता जी के नाम से पास कराया, जिसका कनेक्शन रसीद और बिल रसीद मेरे पास है। इसी बीच मेरे पिता जी का 2010 ई। में देहांत हो गया। अब मेरा चाचा और उसके तीन लड़के फिर लड़ाई करना शुरू कर दिए हैं। वे विद्युत सेट में आधे का हिस्सा माँग रहे हैं। मई 2013 से मशीन चलने नहीं दे रहे हैं। मेरे पिता जी ने पचास हजार ईंट घर बनवाने के लिए 1993 ई। में बंटवारे के समय खरीदा था। चूंकि उस समय भूमि का खाता एक था और गाँव चकबंधी में था, इसलिए ईंट पड़ी हुई है। ईंट और विद्युत सेट में कहीं भी उसने एक पैसा नहीं दिया। अब पिता जी की मृत्यु के पश्चात वह विद्युत सेट और ईंट में आधा हिस्सा मांग रहा है। उसका कहना है कि मेरे पिता जी जो विद्युत सेट और ईंट लिए हैं, वह बंटवारे के पहले की सम्पत्ति हैं। इसमें उसका आधा हिस्सा है। जबकि विद्युत सेट उसने बंटवारे के समय लिया नहीं। ईंट बंटवारे के दौरान खरीदी गई थी जिसमें उसने एक भी पैसा दिया नहीं। ऐसी स्थिति में कानूनी सलाह दे कर हमारा मार्ग प्रदर्शन करें कि हम क्या करें। क्योंकि हम दो भाई हैं, मैं केंद्र सरकार में नौकरी करता हूँ। छोटा भाई घर पर रहता है वह बहुत कम पढ़ा लिखा है। शारीरिक बल में हम कमजोर है। अत: आप की उचित और उपयोगी सलाह की हमें नितांत आवश्यकता है।

समाधान-

ब तक जो कुछ हो चुका है उस का तो कुछ नहीं किया जा सकता। विद्युत सैट आप के पिताजी ने बँटवारे के बाद खरीदा था इस कारण चाचा का उस पर कोई हक नहीं है। खरीद की रसीद आप के पास उपलब्ध है। ईंट भी आप के पिता जी ने खरीदी थी इस का सबूत आप के पास है। यदि ईंट और विद्युत सैट का झगड़ा खड़ा करना था तो बँटवारे के समय ही खड़ा करना था। आप अपने चाचा से कह दें कि आप ईंट और विद्युत सैट उन्हें नहीं देंगे। यदि उन्हें लेना है तो वे न्यायालय जाएँ।

दि चाचा किसी तरह का झगड़ा खड़ा करते हैं तो आप फिलहाल यह करें कि एक रपट पुलिस थाने को दे दें कि आप के चाचा ईंट व विद्युत सैट को ले कर झगड़ा खड़ा कर के शान्ति भंग करना चाहते हैं। पुलिस उन्हें पाबंद कर देगी या आप को सीधे न्यायालय में परिवाद करने को कहेगी। यदि वह पुलिस कोई कार्यवाही नहीं करती है तो आप सीधे शान्ति भंग के मामले में न्यायालय को परिवाद प्रस्तुत कर दें। इस से आप का काम चल जाएगा।

दि इस से भी काम न चलता दिखे तो आप वकील से सम्पर्क कर के ईँट व विद्युत कनेक्शन में उपयोग में बाधा डालने से रोकने के लिए अपने चाचा के विरुद्ध वाद प्रस्तुत कर अस्थाई और स्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं।

Print Friendly, PDF & Email
One Comment