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आधार कार्ड और अंक तालिका में अंकित तिथियाँ जन्मतिथि का पुख्ता प्रमाण नहीं?

lawसमस्या-

मनीष शर्मा ने ब्यावरा, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरे लड़के ने एक लड़की से आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह किया है। जो आधार कार्ड व मेडिकल परीक्षण के बाद संपन्न हो गया है। विवाह का आर्य समाज के वैदिक पंडित द्वारा विवाह प्रमाण पत्र भी दिया जा चुका है। समस्या यह है कि लड़की कि मार्कशीट के अनुसार लड़की के बालिग होने में 4 माह शेष हैं और आधार कार्ड में 19 वर्ष की आयु है तो श्रीमान यह शादी कानूनन वैध है या नहीं अगर नहीं तो क्यों? और है तो अब क्या उपबंध हैं?

समाधान-

विवाह आर्य समाज पद्धति से संपन्न हुआ है और वैदिक पंडित ने उस का प्रमाण पत्र दिया है। यदि विवाह का हिन्दू विधि से संपन्न होना साबित है तो यह विवाह वैध है। लड़की के नाबालिग होने के बावजूद भी वैध है। कोई भी विवाह उस के एक पक्षकार के विवाह योग्य उम्र से कम उम्र का होने पर भी वह अवैध नहीं होता।

लेकिन यदि विवाह का कोई भी पक्षकार विवाह की तिथि को विवाह योग्य उम्र से कम उम्र का हो तो वह विवाह योग्य उम्र का होने से दो वर्ष की अवधि में अपने विवाह को अकृत घोषित करने के लिए न्यायालय को आवेदन कर सकता है और यदि न्यायालय यह पाता है कि आवेदक विवाह की तिथि को विवाह योग्य आयु से कम का था तो उस विवाह को अकृत घोषित कर सकता है। आवेदक लड़की होने की स्थिति में विवाह अकृत होने की स्थिति में उस का फिर से विवाह होने तक भरण पोषण का खर्चा पति से दिलाया जा सकता है।

प के मामले में आधार कार्ड कोई पक्का सबूत नहीं है और न हो सकता है। इसी प्रकार मार्क्सशीट में अंकित जन्म दिनांक भी जन्मतिथि का कोई मजबूत साक्ष्य नहीं हो सकता। मेडीकल प्रमाण पत्र यदि पर्याप्त जाँच जैसे ओसिफिकेशन टेस्ट आदि कर के दिया हो तो आयु का अच्छा प्रमाण है। उस के आधार पर यह प्रमाणित माना जा सकता है कि लड़की विवाह के समय विवाह योग्य उम्र की थी और विवाह में कोई कानूनी बाधा नहीं थी।

दि लड़की को विवाह योग्य उम्र की और बालिग नहीं माना जाता है तो लड़के और विवाह कराने वालों के विरुद्ध बाल विवाह कराने के अपराध का आरोप लगाया जा कर उन्हें दंडित किया जा सकता है। इस के अलावा लड़के पर अपहरण और बलात्कार का आरोप भी लगाया जा सकता है। विवाह में सम्मिलित अन्य लोगों को भी इस मामले में अभियुक्त बनाया जा सकता है। वैसे इस तरह के मामलों में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय अग्रिम जमानत की अर्जियाँ स्वीकार कर विवाह करने वाले पुरुष को जमानत का लाभ दे चुका है।

 

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