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इस विवाह से बाहर निकल जाना ही भला है।

rp_two-vives.jpgसमस्या-

राज ने जवाजा, ब्यावर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरी शादी 6-6-2014 को हुई है। मेरे पति पुलिस कॉन्स्टेबल हैं। मेरे साथ ससुराल वाले मारपीट करते हैं और दहेज में कार माँगते हैं। सभी लालची हैं। पति का किसी और लड़की के साथ संबंध है, जिसे समाज के सामने बहन बताते हैं। लेकिन अंदर ही अंदर बंद कमरे में मुझे धीरे धीरे उस लड़की के बारे में बताया कि मैं उस से प्यार करता हूँ लेकिन मैं ने समाज से बचने के लिए तुझ से शादी की है। मैं पुलिस वाला हूँ तो मेरा कुछ भी नहीं कर सकती है। चुपके से मोबाइल में रेकॉर्डिंग करता है। क़ानून से बचने हेतु सबूत इकट्ठा कर रहे हैं। मैं ने और मेरे परिवार वालों ने उस लड़की का पता लगाया। वह एक रिलाइंस मोल में काम करती है। उसका पूरा खर्चा भी मेरे पति चलाते हैं। यह एक साजिश है जो कि उस लड़की के परिवार और मेरे पति के परिवार वालों ने मेरे साथ रची है। कोई कानूनी उपाय बताएँ।

समाधान

जो विवरण आप ने दिया है उस से लगता है कि आप का यह विवाह चल नहीं सकेगा और चला भी तो आप को पूरी तरह से एक दासी जैसा जीवन बिताना पड़ेगा। इस लिए हमारी सलाह तो यही है कि इस विवाह से जितना जल्दी हो छुटकारा पा लिया जाए। आप को चाहिए कि आप विवाह विच्छेद के लिए आवेदन जितना जल्दी हो सके कर दें। विवाह को एक वर्ष हो चुका है इस कारण आप विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं और साथ में स्थाई पुनर्भरण की मांग कर सकती हैं।

प का पति मारपीट करता है। दहेज में कार मांगता है। इस तरह उस ने धारा 498-ए का अपराध किया है और उस का ऐसा करना गंभीर क्रूरता है। इस आधार पर आप विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं।

पुलिस कांस्टेबल होने से कुछ नहीं होता। बल्कि पुलिस कांस्टेबल बहुत डरपोक होता है। आप धारा 498-ए और अपने स्त्री-धन की वापसी के लिए सीधे मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर सकती हैं जिसे 156 (3) दं.प्र.संहिता में पुलिस को अन्वेषण के लिए भिजवाया जा सकता है। आप चाहें तो न्यायालय में अपने और गवाहों के बयान करवा कर सीधे भी न्यायालय को प्रसंज्ञान लेने को कह सकती हैं बाद में न्यायालय उसे पुलिस को आगे के अन्वेषण हेतु भेज सकता है। यदि आप अपने मायके या पति से अलग रह रही हैं तो आप घरेलू हिंसा का परिवाद प्रस्तुत कर सकती हैं और अपने लिए निर्वाह भत्ते की मांग कर सकती हैं। निर्वाह भत्ते के लिए धारा 125 दं.प्र.संहिता में भी आप आवेदन कर सकती हैं।

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