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उत्तर प्रदेश में पुरुष की संपत्ति का उत्तराधिकार

agricultural-landसमस्या-

बांदा, उत्तर प्रदेश से राजू द्विवेदी ने पूछा है-

मेरे ससुर के कोई पुत्र नहीं है, पाँच पुत्रियाँ हैं, सभी विवाहित हैं और एक ही राज्य में अपने अपने पतियों के साथ रहती हैं। दो वर्ष से मेरे ससुर कैंसर से पीड़ित हैं जो अन्तिम स्तर पर है। ससुर जी की मृत्यु के उपरान्त उन की संपत्ति का अधिकार किसे होगा? पत्नी को, पुत्रियों को या भाइयों को?

समाधान-

प ने अपने प्रश्न में यह नहीं बताया कि आप के ससुर की संपत्ति क्या क्या है? उत्तर प्रदेश में कृषि भूमि का उत्तराधिकार उ.प्र. जमींदारी विनाश अधिनियम के प्रावधानों से तय होता है जब कि अन्य संपत्ति का उत्तराधिकार हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम से तय होगा।

प के ससुर जी की कृषि भूमि के अतिरिक्त अन्य संपत्ति का उत्तराधिकार हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम से तय होगा। वैसी स्थिति में उन की सभी पुत्रियाँ और पत्नी उन की संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त करेंगी और उन की संपत्ति इन सब की संयुक्त संपत्ति हो जाएगी। ये छहों आपस में उक्त संपत्ति का सहमति से बँटवारा कर सकती हैं या फिर न्यायालय के माध्यम से कर सकती हैं। अन्य किसी भी व्यक्ति का कोई अधिकार नहीं होगा।

दि आप के ससुर जी के स्वामित्व की कोई कृषि भूमि उत्तर प्रदेश में है तो उस का उत्तराधिकार उ.प्र. जमींदारी विनाश अधिनियम से तय होगा। इस अधिनियम के अनुसार किसी पुरुष भूमिधर जिस ने अपनेजीवनकाल में अपनी भूमि के सम्बन्ध में कोई वसीयत नहीं की है उस की भूमि का उत्तराधिकार उत्तरप्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 171 से शासितहोता है। इस धारा की उपधारा (2) में कई खंडों की एक सूची दी हुई है। सब से पहले इस सूची के (क) खंड में सम्मिलित किए गए नातेदारों को मृतक भूमिधर की भूमि समान भागों में उत्तराधिकार में प्राप्त होती है। यदि (क) खंड में सम्मिलित कोई भी नातेदार जीवित नहीं है तो संपत्ति (ख) खंड में सम्मिलित किए गए नातेदारों को समान रूप से प्राप्तहोती है। यदि (ख) खंड में सम्मिलित कोई भी नातेदार जीवित नहीं है तो संपत्ति (ग) खंड में सम्मिलित किए गए नातेदारों को समान रूप से प्राप्त होती है। इसी तरह की उत्तरवर्ती व्यवस्था आगे के खंडों के लिए की गई है

(क)      विधवा, अविवाहिता पुत्री, तथा पुंजातीय वंशज प्रतिशाखा के अनुसार :- परन्तु यह कि पूर्व मृत पुत्र की विधवा और पुत्र को, चाहे वह जितनी भी नीचे की पीढ़ी में हो प्रतिशाखा के अनुसार वह अंश उत्तराधिकार में मिलेगा जो पूर्व मृत पुत्र को, यदि वह जीवित होता, मिलता;

{खंड (क) में अविवाहिता पुत्री को 2008 में हुए संशोधन से सम्मिलित किया गया है जो दिनांक 1 सितम्बर 2008 से प्रभावी हुआ है।}

(ख)     माता और पिता;

(ग)      (//////////); (यह भाग इस स्थान से विलुप्त कर दिया गया है)

(घ)      विवाहिता पुत्री;

(ङ)      भाई और अविवाहिता बहिन जो क्रमशः एक ही मृत पिता के पुत्र और पुत्री हों; और पूर्व मृत भाई का पुत्र, जब पूर्व मृत भाई एक ही मृत पिता का पुत्र हो;

(च)      पुत्र की पुत्री;

(छ)      पितामही और पितामह;

(ज)      पुत्री का पुत्र;

(झ)      विवाहिता बहिन;

(ञ)     सौतेली बहिन, जो एक ही मृत पिता की पुत्री हो;

(ट)      बहिन का पुत्र;

(ठ)      सौतेली बहिन का पुत्र, जब सौतेली बहिन एक ही मृत पिता की पुत्री हो;

(ड)      भाई के पुत्र का पुत्र;

(ढ)      नानी का पुत्र;

(ण)      पितामह का पौत्र 

क्त सूची के अनुसार विवाहित पुत्रियाँ सूची के (क) खंड में सम्मिलित नहीं है, केवल पत्नी ही इस सूची में सम्मिलित है जिस के कारण समस्त कृषि भूमि की स्वामिनी केवल आप की सास होंगी। किसी भी पुत्री का और किसी भी अन्य उत्तराधिकारी का कोई अधिकार उक्त कृषि भूमि पर नहीं होगा।

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