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एनजीओ क्या हैं, कैसे बनाए जा सकते हैं और इन के माध्यम से क्या काम किए जा सकते हैं?

Rural development NGOसमस्या-
शरणजोत सिंह और नवदीप ने अनूपगढ़, राजस्थान पूछा है-

मैं शरणजोत सिंह एक सामाजिक कार्यकर्ता हूँ मेरा गाँव चाक 27/ए तहसील अनूपगढ़ जिला श्रीगंगानगर है। हमारे गाँव की गलियों का बहुत बुरा हाल है, हम ने कोशिश की लेकिन कोई मदद नहीं कर रहा है। मुझे सलाह दें कि मैं क्या कर सकता हूँ?

हीं नवदीप ने पूछा है कि मैं एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) खोलना चाहता हूँ, मैं इसे कैसे आरंभ कर सकता हूँ? इस का पंजीयन कहाँ से हो सकता है?

समाधान-

नजीओ का शाब्दिक अर्थ गैर सरकारी संगठन है। इस का विकास अमरीका से हुआ है। अमरीका में सरकार बहुत से सामाजिक कार्य स्वयं करने के स्थान पर इन संगठनों के माध्यम से अनुदान दे कर कराती है। इस कारण से वे लाभ या व्यवसाय के कामों के अतिरिक्त अन्य कार्यों को करने के उद्देश्य से निर्मित गैर सरकारी संगठन जो कि सरकार से या किसी धनी संस्था से अनुदान प्राप्त कर के सामाजिक कार्य करते हैं एनजीओ कहे जाते हैं।

कोई एक व्यक्ति एनजीओ नहीं होता अपितु एक संस्था के रूप में पंजीकृत होने के बाद विधिक व्यक्ति बन जाता है। भारत में लगभग सभी एनजीओ सोसायटीज एक्ट के अन्तर्गत बनाए जाते हैं। इस के लिए केन्द्रीय कानून सोसायटीज एक्ट है तथा राजस्थान में राजस्थान सोसायटीज एक्ट बना हुआ है। कोई भी 7 या अधिक व्यक्ति आपस में मिल कर कोई सोसायटी बना सकते हैं और सोसायटीज एक्ट के अन्तर्गत उसे पंजीकृत करवा सकते हैं। सोसायटी बनाने के लिए यह स्पष्ट करना जरूरी होता है कि उस संगठन की कार्यकारी समिति कैसे बनेगी और कैसे कार्यकरेगी, उस के लिए धन कैसे एकत्र किया जाएगा और कैसे खर्च किया जाएगा आदि आदि। इस को लिए नियम बनाने होते हैं और उन्हें पंजीकृत करवाना होता है। राजस्थान में सहकारी समिति के पंजीयक, अतिरिक्त पंजीयकों और डिप्टी पंजीयकों को ही सोसायटीज एक्ट के अंतर्गत पंजीयक बना रखा है। आप उन के कार्यालय से नमूने के नियम की प्रतिलिपि, आवेदन पत्र की प्रति प्राप्त कर सकते हैं और उस में अपने अनुरूप संशोधन कर के अपने नियम बना कर सोसायटी का पंजीयन करवा सकते हैं। यहाँ नवदीप जी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे किस उद्देश्य के लिए एनजीओ बनाना चाहते हैं। लेकिन यदि उन का इरादा कोई व्यक्तिगत लाभ का काम करने का है तो एनजीओ उस के लिए उचित माध्यम नहीं है।

धर शरणजोत सिंह की समस्या यह है कि गाँव में अव्यवस्था है और उस बारे में उन की कोई सुनता नहीं है। वैसे यह काम गाँव की पंचायत का है। उसे ये सब कार्य करना चाहिए। लेकिन जब तक जनता का दबाव नहीं होता और ग्राम पंचायत में संसाधन और काम करने की इच्छा शक्ति नहीं होती ऐसे कार्य नहीं होते। इस के लिए गाँव में जन दबाव निर्मित करना आवश्यक है। यह काम कोई गैर सरकारी संगठन ही कर सकता है।

रणजोत सिंह जी गाँव के अन्य कम से कम छह और लोगों को एकत्र कर के सोसायटीज एक्ट में एक सोसायटी का निर्माण कर सकते हैं और उसे पंजीकृत करवा सकते हैं। वे इस सोसायटी की सदस्यता बढ़ा सकते हैं। इस के माध्यम से वे ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद पर जन दबाव पैदा कर सकते हैं। वे इस सोसायटी के माध्यम से गाँव के विकास के लिए काम कर सकते हैं, रोजगार के साधन जुटाने के काम कर सकते हैं। गाँव और ग्रामीणों के विकास के लिए बनने वाली सरकारी योजनाओं से सोसायटी के लिए धन प्राप्त कर गाँव और ग्रामीणों के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर सकते हैं।

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