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कानून, अदालत और पुलिस दमन का औजार बन कर रह गए हैं।

Rape victimसमस्या

पटना, बिहार से प्रदीप कुमार ने पूछा है-

मेरी शादी जुलाई 2010 में हुई थी, पत्नी से मेरा रिश्ता बहुत अच्छा है।  शादी के 1 साल बाद मुझे मेरी दूर की साली (वो बहुत गरीब है) ने मुझे बताया कि मेरा सगा साला और उसका दूर का मौसेरा भाई उसका मोबाइल नम्बर अपने दोस्तो को दे कर उसे परेशान करता है।  इस मामले में जब मैं ने अपने साले से इस बारे में बात की तो वह शर्मिन्दा होने के जगह बोला कि वो मेरी दुश्मन है,  मैं उसे बरबाद कर दूँगा।  मैं ने अपने ससुर से भी बात की।  पर कोई हल नहीं निकला।  मैं ने अपनी साली से बहुत पूछा तो बोली कि मैं ने भैया से पापा की नौकरी लगवा देने की बात की थी, तब से परेशान कर रहे हैं।  मुझे उसके परिवार पर दया आ गयी।  मैं ने उसके पिता की नौकरी लगवा दी तथा उसे आगे पढ़ने की सलाह दी।  मेरी सलाह मान कर वो होस्टल में रह कर पढ़ने लगी।  जब यह बात मेरे ससुराल वालों को पता चली तो हमारे सम्बन्ध खराब होने लगे।  तब मेरे साले के दोस्त ने मुझे बताया कि मेरे साले और उस लड़की के बीच हमारी शादी के दिन से अवैध सम्बन्ध था। मेरे बीच में आने के कारण मेरा साला अपने घर वालों के कान भरता है।  जब मैं ने अपनी साली से पुछा तो उस ने सारी बातें सच बता दी उसने बताया कि मेरी शादी के दिन उसका बलात्कार हुआ और लोक लाज के कारण वह ये बात किसी को नही बता सकी।  उस के बाद मेरा साला माफ़ी मांगने के बहाने उस के पास फिर आया और शादी कर लेने की बात कर साल भर तक सम्बन्ध बनाता रहा, जब उस का मन भर गया तो अपने दोस्तो के साथ भी वही सब करने का दबाब देने लगा। अपने दोस्तों को उसका मोबाइल नम्बर दे देता था।  ये सब बात जब मैं ने अपने साले से पूछा तो वह भड़क गया।  तब मैं ने अपनी पत्नी को सारी बातें बताई।  मेरी पत्नी ने मुझे बताया कि मेरे साले के अवैध सम्बन्ध मेरी पत्नी,  एक और रिस्ते की बहन, एक पड़ौस की लड़की से भी रह चुका था।

ब मैं ने तय किया कि मैं उसे सजा दिला कर रहूँगा।  उस समय मेरी पत्नी ने भी मेरा साथ देने का वादा किया। मैं ने ये बात उन दोनों के परिवार को साथ बिठा कर उन के सामने रखी।  पर कोई बात नहीं बनी।  मेरे ससुर लड़की के माँ बाप को जान से मार देने की धमकी देने लगे तथा लड़की के सगे मामा जो कि एक दलित के नाम पर गलत तरीके से नौकरी कर रहे है को नौकरी से निकलवा देने की धमकी दे कर मेरी पीड़ित साली की पढ़ाई बन्द करवा कर उसे घर में कैद करवा दिया। उसकी शादी की बात चलने लगी।  वो मुझसे एक दो बार मदद के लिये बोली भी।  पर मैं उस समय उसकी मदद करने मे असमर्थ था।  लड़की के माँ बाप भी उसके धमकी के कारण मेरे ससुर की बात मान रहे थे।  उस समय मेरी पत्नी ने अपने पिता का बहुत विरोध किया और अपनी बहन को हमारे पास बुला कर रख लिया।  यहाँ तक बोली कि मैं इसे जिन्दगी भर अपने साथ रखूंगी।  कुछ दिन बाद मेरी पत्नी गर्भवती हो गयी और मेरे घर वालों के दबाब के कारण अपने मायके चली गयी। एक दिन मेरी साली का फोन आया कि उसकी शादी तय हो गयी है और वो जान दे देगी पर ये शादी नहीं करेगी।  मेरे समझ में नही आ रहा था कि मैं उसकी मदद कैसे करुँ।  तब मैं ने उसे बोला कि तुम घर छोड़ कर आ जाओ, मैं तुम्हारा रहने और पढने की व्यवस्था राँची के होस्टल में करवा देता हूँ। वह आ गयी, पर वह कहाँ है? इसका पता मेरे ससुर को चल गया वह डर कर होस्टल छोड़ कर मेरे पास आ गई।  अब मैं समझ नहीं पा रहा था कि रात को उसे कहाँ रखूँ और मैं कहाँ रहूँ।  होटल जाते तो वहाँ उसका परिचय पत्र मांगा जाता।  पर वह सारा समान होस्टल में छोड़ कर आई थी।  दो दिन हमे अपनी गाड़ी में बिताना पडा।  तब मैं ने अपनी साली को शादी का सारा समान खरीद कर दिया और उसे अपनी पत्नी बता कर होटल में उस के साथ कुछ दिन रहा।  उसी समय हमारे बीच सम्बन्ध भी बन गये। (मेरी पत्नी को इस रिश्ते में कोई आपत्ति नहीं थी) उसके बाद मैं ने उसे अपनी पत्नी के रूप में साली का दूसरे होस्टल में दाखिला करवा दिया। तब  मेरे ससुर ने लड़की के पिता पर दबाब बना कर मुझ पर अपहरण का मुकदमा करवा दिया और मुझे साली को उस के घर पहुँचाना पड़ा।

मेरी पत्नी अभी अपने मायके में है और अपने माँ बाप के दबाब में पिछली सारी बातों से इन्कार करती है।  वो अब कहती है कि हम को पता है कि आप हमको नहीं रखेंगे। मेरे बच्चा नहीं था तो आप को बोला था कि मैं उसको (साली) को साथ रखूंगी पर अब तो मेरा खुद का बच्चा है, अब मैं उसको नहीं रखूंगी।  अगर आप उसकी मदद करेंगे तो आप पर दहेज और मार पीट का एफ़आइआर कर दूंगी।  फोन पर वो सारी पुरानी बातें स्वीकार करती है। लेकिन मैं जानता हूँ कि वह अदालत में  मुकर जायेगी।  मैं ने फोन पर होने वाली सारी बातें रिकोर्ड कर ली हैं। मेरी साली घर में है और उसके माँ बाप तक उसका साथ नहीं दे रहे हैं।  मैं उससे कहता हूँ कि मदद के लिये पुलिस के पास जाओ, तो कहती है कि माँ पिताजी ने बोला है कि अगर उस ने कुछ किया तो अब मैं जिन्दगी भर के लिये रिश्ता खतम कर लूंगा।  मैं ने उसे यहाँ तक कहा है कि तुम्हारा सारा खर्च मैं दूंगा, जिस ने तुम्हारी जिन्दगी बरबाद की है, उसे सजा दिलाओ।  मैं तुम्हारे साथ हूँ तो कहती है अब दीदी भी साथ नहीं दे रही है।  आप मेरा फ़िक्र छोड़ दीजिये जब तक ठीक-ठाक चलता है देखते हैं।  नहीं तो फिर आत्मह्त्या कर लूंगी।  मेरे कारण आप क्यों मुसीबत ले रहे हैं? अगर आप के कहने पर मैं सब से लड़ भी लूंगी तो दीदी आप पर एफ़आइआर कर देगी तो आप को जेल हो जायेगी तब मैं अपना खर्च कहाँ से लाउँगी? फिर भी मुझे आत्महत्या करनी पड़ेगी।  आप की भी जिन्दगी ख्रराब हो जायेगी।  आप कानून में रह कर मुझ से शादी कर के ले जाइयेगा तभी आप के साथ जा सकती हूँ ताकि फिर हमें कोई परेशान न करे।

मैं अपनी पत्नी को तलाक नहीं देना चाहता हूँ। अगर मैं तलाक दे दूँगा तो उसकी जिन्दगी खराब हो जायेगी और हमारे यहाँ तलाक के बाद लड़की की शादी बहुत मुश्किल से होती है और मेरी पत्नी तो दिमागी रुप से कमजोर है।  मुझे पता है कि मेरी पत्नी मेरे साथ रहने लगेगी तो वो फिर से मेरे पक्ष में हो जायेगी।  उसे लगता है कि मैं उसे अब नहीं रखना चाहता।  क्योंकि जब से वो मायके गयी है। बहुत बार उस ने मुझे बुलाया है पर मैं अपने ससुर से खराब रिश्ते की वजह से कभी नहीं गया।  मेरे ससुर कहते हैं कि जब तक वे मेरी साली की शादी नहीं करा देंगे मेरी पत्नी को मेरे यहाँ आने नहीं देंगे।  मेरी साली समाज में इतना बदनाम हो गयी है कि उसकी शादी अगर होगी भी तो कोई मजबूरी में ही करेगा जिस से उसकी जिन्दगी बर्बाद हो जायेगी। वह कहती है कि मैं आपको अपना पति मान चुकी हूँ।  मैं जिन्दगी भर आपके नाम के सहारे अकेले जी लूंगी और अगर जबर्दस्ती मेरी शादी करवाई जायेगी तो आत्महत्या कर लूंगी।  मैं चाहता हूँ कि मेरी साली को पढ़ने का अवसर मिले, जिस से वह अपने पैरों पर खड़ी हो कर अपनी जिन्दगी का सही फ़ैसला ले सके और मेरे साले को सजा दिला सके। उसके बाद भी उसे यह लगे कि वो मेरे साथ खुश रहेगी मैं उसे भी रखने को तैयार हूँ।  पर कानून मुझे दूसरी शादी का इजाजत नहीं देता। मेरा साला जिस ने न जाने कितनी जिन्दगियाँ बर्बाद की हैं विजयी मुस्कान के साथ घूम रहा है।  उसे इस बात का तनिक भी अफसोस नहीं है।  मुझे समझ में नही आता कि मैं क्या करुँ,? क्या करना उचित रहेगा? हमेशा मैं परेशान रहता हूँ।

समाधान-

हुत जटिल समस्या है आप की। यह केवल आप की समस्या न हो कर पूरी तरह एक सामाजिक समस्या बन चुकी है। एक तरफ आप के ससुर का परिवार है जो सम्पन्न है और अपनी संपन्नता के बल पर कुछ भी कर सकता है। फर्जी मुकदमे खड़े कर के लोगों को परेशान कर सकता है और अपने विरुद्ध लगाए गए मुकदमों में अपना बचाव कर सकता है, यहाँ तक कि गवाहों को भी अन्यान्य तरीकों से प्रभावित कर सकता है। दूसरी तरफ आप की रिश्ते की साली का परिवार है जो विपन्न है, जिसे जीवन जीने के लिए कुछ भी करना पड़ता है। अपने और अपने परिवार के सदस्यों के साथ हुए हर अन्याय को सहना पड़ता है। विपन्न लोग अपने जीवन यापन का मामूली स्थाई समाधान प्राप्त करने के चक्कर में गैरकानूनी रूप से नौकरी हासिल करने का काम भी कर सकते हैं, इस काम को करने के समय उन्हें यह भय भी नहीं होता कि नौकरी चली जाएगी या फिर फर्जीवाड़े के कारण उन्हें सजा भी हो सकती है। लेकिन एक बार नौकरी मिल जाए तो उसे बचाने को कुछ भी कर सकते हैं। उन के लिए अपना, पत्नी और बच्चों का सम्मान वगैरा सब थोथी चीजें हैं, वे सिर्फ और सिर्फ अपने जीवन को बनाए रखने के लिए ही संघर्ष करते रहते हैं।

न दो परिवारों में से एक परिवार के पुरुष ने दूसरे परिवार की लड़की और अन्य भी अनेक लड़कियों के साथ बलात्कार किए और अपनी संपन्नता के बल पर उन्हें छिपाए रख कर समाज में सम्मान बनाए हुए हैं। वे अपनी संपन्नता के साधनों और अपने मिथ्या सम्मान को बनाए रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। ये दोनों तरह के परिवार अपने तरीके से जी रहे हैं। एक अपनी संपन्नता और मिथ्या सम्मान को बनाए हुए और दूसरा अपने जीवन के लिए कड़ा संघर्ष करते हुए। कानून और नैतिकता का दोनों के लिए बस इतना अर्थ है कि जब भी उन में से किसी का अपने साध्य के लिए उपयोग किया जा सके कर लो, वर्ना ये दोनों व्यर्थ हैं।

न दो तरह के परिवारों में से जो संपन्न परिवार था उस की बेटी के साथ विवाह कर के आप उस के दामाद हो गए। इस विवाह का स्वाभाविक परिणाम यह होना चाहिए था कि आप अपने ससुराल के सदस्यों के सभी नैतिक अनैतिक, कानूनी और गैर कानूनी कामों में उन के साथ खड़े हों। यदि आप उन के विरुद्ध खड़े होंगे तो वे अपनी संपन्नता और मिथ्या सम्मान को बचाए रखने के लिए आप के विरुद्ध भी खड़े होंगे। क्यों कि उन की यह सामाजिक स्थिति ही उन के लिए सब से प्रमुख है, शेष सभी बातें बिलकुल गौण हैं।

मारे समाज में कुछ आत्मनिर्भर स्वतंत्र स्त्रियों को छोड़ कर सभी स्त्रियाँ परतंत्रता का जीवन व्यतीत करती हैं। आप की पत्नी भी उन में से एक है। समाज के मूल्य ऐसे हैं कि किसी स्त्री को जबरन बलात्कार का शिकार बनाया जाए तो वही बरबाद होती है, बलात्कारियों का कुछ नहीं बिगड़ता, वे बने रहते हैं। अधिकांश स्त्रियाँ अपने बचपन या किशोरावस्था में ही अपने ही परिजनों के इस बलात्कर्म का शिकार होती हैं और अत्याचारों को बनाए रखने के लिए अस्तित्व में लाए गए स्त्री के कौमार्य और सतीत्व के बेढ़ब सामाजिक मूल्यों की कंदराओं में कैद स्त्रियों के पास यह सब अत्याचार सहने के अलावा कोई मार्ग नहीं होता। वे इसे ही अपनी नियति के रूप में स्वीकार कर लेती हैं, और इसी तरह जीती रहती हैं। वे इस स्थिति से जरा भी विचलित होती हैं तो समाज उन्हें कहीं का नहीं छोड़ता। आप की पत्नी के साथ उस के ही भाई ने यह अत्याचार किया और फिर रिश्ते की बहिन के साथ भी और अन्य कुछ और स्त्रियों के साथ भी।

ह सारी स्थिति चलती रहती, यदि आप को आप के रिश्ते की साली ने अपनी व्यथा न बताई होती। आप के ससुराल का परिवार, विशेष रूप से आप का साला और ससुर इस मामले में आप का दखल पसंद नहीं था। किसी भी विवाद की स्थिति में उन की सामान्य अपेक्षा यही है कि आप अपने साले और ससुर के साथ खड़े हों चाहे वे कितने ही गलत हों। (हमारे सामाजिक मूल्य यही कहते हैं) इस आप के ससुराल के पुरुषों ने जो भी संतुलन बनाया हुआ था उस में आप की बात से खलल पड़ गया। आप ने रिश्ते की साली के पिता की मदद की उन्हें रोजगार दिला दिया और रिश्ते की साली की पढ़ाई की व्यवस्था कर दी। वहीं से आप के साले और ससुर आप के विरुद्ध हो गए। उन्हें यह खतरा लगने लगा कि लड़की और उस के पिता का जीवन जैसे ही कुछ स्थिर होगा। वे उन के काले कारनामों के लिए उन्हें कानून के सामने खड़ा कर सकते हैं जिस से उन का ताश का महल गिर सकता है। उन्हों ने उस लड़की और उस के पिता को डराना धमकाना आरंभ कर दिया और लड़की और उस के पिता ने जो इन धमकियों का सामना नहीं कर सकते थे हथियार डाल दिए। आप की पत्नी जो स्वयं पीड़ित थी उस ने आप का साथ देना पसंद किया लेकिन किसी बहाने से आप के ससुर उसे अपने कब्जे में ले गए। जहाँ पहुँच कर वही हुआ जो होना था। एक बंदी स्त्री तो केवल उसी का साथ दे सकती है जिस के वह कब्जे में हो।

जो लड़की अनेक बार बलात्कार का शिकार हो चुकी हो। उस के लिए देह की पवित्रता का क्या अर्थ रह जाता है। यह बात आप की पत्नी और रिश्ते की साली के लिए पूरी तरह सच है। आप ने उस का साथ दिया। उस उपकार का आभार प्रकट करने के लिए आप की साली के पास उस की देह आप को समर्पित करने के अलावा कुछ भी नहीं था। परिस्थितियों ने आप को साथ कर दिया और आप के संबंध बन गए। आप की पत्नी को भी इस में क्या आपत्ति हो सकती थी? वह भी तब जब कि वह स्वीकार कर चुकी हो कि वह विवाह के पहले अपने ही भाई के अत्याचार से अपना कौमार्य खो बैठी है। लेकिन जैसे ही वह अपने पिता और भाई के संरक्षण (कब्जे) में गई उस के स्वर बदल गए। आप समझ सकते हैं कि हमारे समाज में स्त्री का अपना कोई स्वर नहीं होता। उस का स्वर उसी पुरुष का स्वर होता है जिस के वह कब्जे में होती है।

न सारी परिस्थितियों में आप अपने ही साले को उस के अपराधों के लिए दंडित कराना चाहते हैं। एक तो उस के अपराध इतने पुराने हो चुके हैं कि उन के सबूत तक नहीं मिलेंगे। दूसरे आप यदि इस कामं को हाथ में लेते हैं तो आप का साला और ससुर हाथ धो कर आप के पीछे पड़ जाएंगे। वे इस काम के लिए कानून का भी इस्तेमाल करेंगे। पलड़ा उन के पक्ष में इसलिए है कि आप की पत्नी आप के पास न हो कर अपने मायके में भाई और पिता के कब्जे में है। आप के रिश्ते की साली इन परिस्थितियों को अच्छी तरह समझती है। इसी लिए उस ने यह शर्त रखी है कि वह आप के साथ केवल वैध विवाह में ही साथ रहने को तैयार है अन्यथा नहीं। क्यों कि उस का सर्वस्व आप के अस्तित्व पर निर्भर करता है और वह नहीं चाहती कि इस लड़ाई में आप को कोई नुकसान पहुँचे। क्योंकि आप का नुकसान उस का बहुत बड़ा नुकसान है। आप को तो सिर्फ नुकसान होगा, जब कि उस का तो सब से बड़ा सहारा छिन जाएगा।

सारी समस्या की कुंजी इस बात में है कि किसी तरह आप की पत्नी आप के ससुर और साले के कब्जे से निकल कर आप के पास आए।  लेकिन आप के ससुर व साले ने इस के लिए यह शर्त रखी है कि पहले आप के रिश्ते की साली का विवाह हो जाए। यदि ऐसा विवाह हो जाता है तो वह केवल फर्जी विवाह होगा और आप के व आप की रिश्ते की साली के मार्ग में एक स्थाई बाधा और खड़ी हो जाएगी।

किसी भी तरह यदि आप आप की रिश्ते की साली का विवाह कराए बिना अपनी पत्नी और बच्चे को अपने ससुराल से निकाल कर अपने पास ला सकते हैं तो फिर पत्नी आप के साथ होगी और संतुलन आप के पक्ष में हो जाएगा। तब आप इस लड़ाई को आगे लड़ सकते हैं। इस के बिना आप के ऊपर कभी खत्न न होने वाली कानूनी कार्यवाहियों, गिरफ्तारी जमानत आदि की तलवार लटकी रहेगी। फिर आप सारी लड़ाई को भूल कर अपने बचाव में लग जाएंगे। आप अपनी पत्नी को इस तरह उस के मायके से निकाल कर अपने पास कैसे लाएंगे यह आप ही तय कर सकते हैं। यदि आप ऐसा कर सकें तो आगे का मार्ग खुल सकता है।

क मार्ग और है। यदि आप की पत्नी आप के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाती है तो गिरफ्तारी केवल 498 ए तथा 406 आईपीसी के मामलों में हो सकती है। आप इस गिरफ्तारी से बचने की या गिरफ्तारी के बाद एक दो सप्ताह में जमानत पर छूटने की व्यवस्था स्थानीय रूप से बना लें तथा अपनी पत्नी और बच्चे के लिए साल दो साल बाद न्यायालय द्वारा दिलाए जाने वाले निर्वाह भत्ते की राशि देने का साहस कर लें तो एक बार गिरफ्तार हो कर जमानत पर छूटने के बाद इस लड़ाई को आगे ले जा सकते हैं।

क तीसरा मार्ग यह है कि किसी तरह अपनी रिश्ते की साली का विवाह करा दें और पत्नी व बच्चे को ला कर अपने साथ रखें और साली व उस के परिवार को उन के हाल पर छोड़ दें। पर यह भी न होने वाला है क्यों कि साली इस के लिए तैयार नहीं है।

प के तीनों में से एक मार्ग चुनना है। यह आप के ऊपर है कि आप क्या चुनते हैं। लेकिन इतना समझ लें कि कानून, अदालत और पुलिस दमन का औजार बन कर रह गए हैं। उन का उपयोग आप अत्याचारियों को सजा दिलाने के लिए कर सकते हैं तो आप का साला और ससुर भी उन का उपयोग आप के और आप की रिश्ते की साली व उस के परिवार के दमन के लिए कर सकते हैं। परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन इन औजारों का उपयोग करने में बाजी मार ले जाएगा।  इस तरह की समस्याओं का अंत तो समाज में मूल्यों में परिवर्तन से ही संभव है जो अभी बहुत दूर दिखाई पड़ता है।

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