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किरायानामा क्यों और कैसे लिखा जाए?

समस्या-

पानीपत, हरियाणा से दीपक ने पूछा है-

म अपने मकाना में किराएदार बैठाना चाहते हैं । क्या एग्रीमेंट करना (किरायानामा) लिखाना चाहिए? हम पहली बार मकान किराए पर देंगे। अगर एग्रीमेंट कराते हैं तो उस की प्रक्रिया क्या है ? और एग्रीमेंट के बाद उस का क्या महत्व है? अगर किराएदार के दिल में मकान कब्जाने की सोच आ जाए तो ये काम में आता है क्या?

समाधानः

मै अनेक बार यहाँ यह बता चुका हूँ कि कोई भी किराएदार कभी भी मकान का स्वामी नहीं हो सकता। बस यह स्पष्ट होना चाहिए कि वह किराएदार है और आप मकान मालिक। कुछ शर्तें दोनों के बीच सुस्पष्ट होनी चाहिए। जैसे किराया क्या तय हुआ है। नल, बिजली का खर्च जो हमेशा किराए से अलग होना चाहिए वह किस हिसाब से भुगतान किया जाएगा। किराएदार मकान या उस के हिस्से को किस किस उपयोग में ले सकता है और किस किस तरह के उपयोग में नहीं ले सकता है। किराए पर लिए गए परिसर के साथ क्या क्या सुविधाएँ उसे प्राप्त होंगी? छत और आंगन का उपयोग कर सकेगा या नहीं या किस सीमा तक कर सकेगा? किराए में वृद्धि की दर क्या होगी? यदि मकान मालिक परिसर खाली कराना चाहे या फिर किराएदार खाली करना चाहे तो कितने दिन पहले नोटिस देगा? आम तौर पर एक या दो माह का नोटिस पर्याप्त माना जाता है। किराएदार हर माह का किराया एडवांस देगा या महिना पूरा होने पर अर्थात महिने के आरंभ में दिया जाएगा या अगले महने के आरंभ में और सीक्योरिटी राशि क्या होगी? आदि आदि। ये शर्तें तय करने के लिए कोई न कोई एग्रीमेंट दोनों के बीच किया जाना चाहिए।

किराएदारी का एग्रीमेंट (किरायानामा) यदि एक वर्ष या इस से अधिक अवधि का हो तो उसे पंजीकृत होना चाहिए और उस पर स्टाम्प डूयूटी भी अधिक लगती है। इस कारण से सामान्य रुप से किराएदार और मकान मालिक 11 माह के लिए मकान किराए पर देने का एग्रीमेंट लिखते हैं। जिस में यह लिखा जाता है कि दोनों पक्षों की सहमति से इस किराएनामे को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसे एक नॉन ज्यूडीशियल स्टाम्प पेपर पर लिखा जाता है। यह स्टाम्प पेपर एग्रीमेंट के लिए आवश्यक मूल्य का होना चाहिए। हर राज्य में यह मूल्य अलग अलग हो सकता है। जो स्टाम्प बेचने वाला व्यक्ति ही आप को बता देगा। राजस्थान में एग्रीमेंट के लिए 100 रुपए का स्टाम्प आवश्यक है। इस किराया एग्रीमेंट पर मकान मालिक और किराएदार के अतिरिक्त दो गवाहों के हस्ताक्षर होना पर्याप्त है। लेकिन आप चाहें तो इस किराएनामे को नोटेरी के यहाँ जा कर सत्यापित करवा सकते हैं जहाँ नोटेरी के रजिस्टर पर मकान मालिक और किराएदार के हस्ताक्षर होते हैं।

स के अलावा किराएदार को हर माह किराए का भुगतान कर के मकान मालिक से उस की रसीद अवश्य प्राप्त करनी चाहिए। क्यों कि किराया तभी भुगतान किया हुआ माना जाता है जब कि उस की रसीद किराएदार के पास हो। मकान मालिक को भी अपने हस्ताक्षर युक्त रसीद अवश्य देनी चाहिए और इस रसीद की एक प्रति अपने पास किराएदार के हस्ताक्षर करा कर सुरक्षित रखनी चाहिए।  आपस में विवाद हो जाने पर ये रसीदें और उन की प्रतियाँ बहुत मूल्यवान दस्तावेज साबित होते हैं। किराएदार को किराए की रसीद देने के लिए बाजार में रसीदबुकें छपी छपाई मिलती हैं। इन रसीद बुकों प्रत्येक क्रमांक की  एक रसीद और उस की डुप्लीकेट होती है तथा इस पर किराएदारी की शर्तें भी लिखी होती हैं। यदि इस पर मकान मालिक हस्ताक्षर कर रसीद देता है और डुप्लीकेट (दूसरी) प्रति पर किराएदार के हस्ताक्षर करवा लेता है तो हर माह किरायानामा बढ़ता रहता है। इस रसीद बुक से रसीद देना दोनों के लिए बहुत लाभदायक है।

हाँ किराएनामे का एक नमूना प्रदर्शित किया जा रहा है जो किराया नामा लिखने में आप की मदद करेगा।

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