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कोई भी हिन्दू केवल अपनी स्वअर्जित व संयुक्त संपत्ति में अपने हिस्से को हस्तान्तरित कर सकता है।

ऊसरसमस्या-

शिरीष अग्रवाल ने गोदारी, महासमुन्द, छत्तीसगढ़ से पूछा है- 

कुछ दिनों से पिताजी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है, वे मुझसे काफी नाराज हैं।  मुझे सबक सिखाने के लिए वे कृषि भूमि, घर, ट्रेक्टर, कृषि उपकरण, खदान की जमीन में से ज्यादातर हिस्सा मेरे प्रिय अनुज को देना चाहते हैं। पिताजी ने उक्त पैतृक कृषि भूमि अपने भाइयों से खरीदी थी जिसका केवल मौखिक बँटवारानामा सादे कागज पर हुआ है। वर्तमान में कुल 18 एकड़ कृषिभूमि में से 3 मेरे, 3 मेरी पत्नी, 6 अनुज के तथा 6 पिताजी के नाम से खाते (ऋण पुस्तिका) पर चढ़ी है। क्या भूमि मेरे खाते पर चढ़ी होने के बाद भी पिताजी मुझसे जमीन वापस लेकर अनुज भाई को दे सकते हैं। मैं किस प्रकार से इस विवाद से बच सकता हूँ? कृपया उचित मार्गदर्शन देने की कृपा करें।


समाधान-

प के पिता द्वारा कृषि भूमि को उन के भाइयों से खरीदने की बात पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। देखना यह है कि पिताजी के भाइयों से आप के पिता के नाम किस दस्तावेज के माध्यम से भूमि का हस्तान्तरण हुआ है। हो सकता है वह रिलीज डीड के माध्यम से हुआ हो या किसी अन्य रीति से। जिस रीति से हस्तान्तरण हुआ है वह कृषि भूमि के स्वामित्व को प्रभावित करेगी। जिस 18 एकड़ भूमि की आप बात कर रहे हैं वह पहले से ही विभिन्न व्यक्तियोें के खाते चढ़ी हुई है। उन में से केवल 6 एकड़ भूमि आप के पिता के खाते की है वे उसे आप के भाई को या किसी अन्य व्यक्ति को हस्तान्तरित कर सकते हैं, अन्य भू्मि को नहीं। आप के व आप की पत्नी के खाते जो 3-3 एकड़ भूमि है उसे वे् हस्तान्तरित नहीं कर सकते।

 कोई भी हिन्दू अपनी स्वअर्जित अथवा सहदायिक (पुश्तैनी) संपत्ति में अपना हिस्सा हस्तान्तरित कर सकता है या उस के संबंध में वसीयत कर सकता है। लेकिन किसी दूसरे के खाते की संपत्ति को हस्तान्तरित नहीं कर सकता और न ही उस की वसीयत कर सकता है। यदि आप के पिता किसी तरह से आप के व आप की पत्नी के खाते की भूमि में दखल करें और उस का हस्तान्तरण करना चाहेँ तो आप उस के हस्तान्तरण पर रोक के लिए दीवानी न्यायालय में निषेधाज्ञा का वाद प्रस्तुत कर निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं। यदि अन्य संपत्तियों का निर्माण पुश्तैनी संपत्ति की आय से हुआ है तो आप अन्य संपत्तियों को भी संयुक्त कृषि भूमि की आय से बनी हुई बताते हुए उस के हस्तान्तरण पर भी निषेधाज्ञा के लिए प्रयास कर सकते हैंं।

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