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कोई वसीयत न करने पर हिन्दू स्त्री की संपत्ति उत्तराधिकार में किसे प्राप्त होगी?

 रचना ने पूछा है –

क परिवार में पति-पत्नी और तीन बेटे हैं। पत्नी हमेशा गृहणी रही यानी उनकी अपनी कोई आय नहीं थी। बड़े बेटे का विवाह हो चुका है और वह उसकी पत्नी के साथ अलग रहता है। शेष दोनों बेटे अविवाहित हैं और विदेश मे हैं। अभी माँ का देहांत होगया है। माँ ने कुछ कैश और एफ डी करा रखी थी जिसका उनके पति कहते हैं उनको पता नहीं है। माँ के पास कुछ जेवर भी थे जैसे 3 सोने की चैन { हर बेटे ने एक दी थी } २ सोने के कड़े { जो उन्होने बहू को मुहँ दिखाई में दिये थे और वापस ले लिये } इस अलावा एक चैन जो उनको बहू के मायके से मिली थी। मैं जानना चाहती हूँ की क्या माँ की जो ये सम्पत्ति है, उस पर बेटों और पति का अधिकार है या केवल पति का जो चीज़ बहू को मुहँ दिखाई में देने के बाद वापस ली गयी, उस पर बहू का अधिकार होगा या नहीं? जो चीज बहू के मायके से दी गयी थी सास को उस पर किसका अधिकार बनता हैं? बड़े बेटे के बेटे-बेटी का क्या क़ानूनी अधिकार हैं? बैंक में जो पैसा हैं उस पर क्या बहू का अधिकार है या बेटे के बेटे-बेटी का कोई कानूनी अधिकार है?

 उत्तर –
रचना जी,
प ने संपत्ति का अलग-अलग वर्णन कर के प्रश्न को बहुत जटिल बना दिया है, वास्तव में यह इतना जटिल नहीं है। सब से पहले हमें यह निर्णय करना चाहिए कि कौन सी संपत्ति मृतक गृहणी महिला की थी, और कौन सी उन के पास अमानत के रूप में थी?  वे गृहणी थीं, और उन की स्वयं की कोई आय नहीं थी। इस कारण से उन के पास स्वअर्जित संपत्ति नहीं थी। लेकिन कोई भी व्यक्ति उपहार के रूप में कोई भी संपत्ति अर्जित कर सकता है। इस तरह अर्जित संपत्ति उस की स्वयं की संपत्ति होती है। किसी स्त्री को किसी भी व्यक्ति से मिला उपहार उसी की संपत्ति होता है। इस मामले में जो धनराशि नकद अथवा सावधि जमा के रूप में बैंक में उन गृहणी के नाम से जमा है वह उन की स्वयं की संपत्ति थी। उन के पास तीन सोने की चैनें जो उन के बेटों ने उन्हें उपहार में दी थीं वे उन की अपनी संपत्ति थी। दो सोने के कड़े जो वे अपनी बहू को उपहार में दे चुकी थीं और वापस ले लिए थे वे पहले से ही बहू की संपत्ति हैं, उन गृहणी के पास वे केवल अमानत के बतौर रखे हुए थे। जो चैन बहू के मायके से उन्हें मिली है वह भी उन की स्वयं की संपत्ति है क्यों कि वह उन्हें उपहार में प्राप्त हुई है। इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता कि उन्हें वह किस से उपहार में प्राप्त हुई थी। इस तरह हम देखते हैं कि उन के पास जो भी संपत्ति आपने बताई है, उन में से बहू को उपहार में दे कर वापस ले लिए गए दो सोने के कड़ों के अतिरिक्त सभी संपत्ति उन गृहणी की हैं। बहू की अमानत पर तो उसी बहू का अधिकार है, जिसे वे सोने के कड़े उपहार में दिए गए थे। शेष संपत्ति किसे प्राप्त हो इस का निर्धारण हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के उपबंधों के अनुसार होगा। 
किसी भी हिन्दू स्त्री की मृत्यु हो जाती है और वह कोई वसीयत नहीं कर जाती है तो उस की संपत्ति के उत्तराधिकार का निर्णय निम्न क्रम में होगा-
क. सर्वप्रथम उस के पुत्रों और पुत्रियों (यदि किसी पुत्र या पुत्री का देहान्त पहले ही हो गया हो तो उस के पुत्र पु्त्रियों को अपने पिता या माता के बराबर के भाग सहित) व पति को बराबर भागों में प्राप्त होगा।
अर्थात् – यदि किसी महिला के दो पुत्र, दो पुत्रियाँ और पति हैं तो उस की संपत्ति पाँच भागों में विभाजित की जाएगी और एक भाग प्रत्येक को प्राप्त होगा

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