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नामिनी ट्रस्टी होता है मृतक की संपत्ति का वसीयती या उत्तराधिकारी नहीं।

समस्या-

प्रशान्त वर्मा ने नवाकपुरा, लंका, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरी पत्नी हमसे पिछले 21 वर्षों से अलग रह रही है। मेरी माँ की मृत्यु के पश्चात मुझे अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी मिली। अब मेरी पत्नी चाहती है कि मेरी सेवा पुस्तिका और अन्य अभिलेखों में नामिनी के तौर पर उसका नाम दर्ज हो।  जबकि मैं ने अपने प्रधान लिपिक से इस बारे मे बात की तो उन्होंने कहा कि यह कर्मचारी के ऊपर निर्भर करता है कि वह किसे नामिनी बनाए। क्या यह मुझ पर निर्भर है मैं किसे नामिनी बनाऊँ या यह पत्नी का अधिकार है?  जबकि मेरी पत्नी हमसे मुक़दमा भी लड़ती है 125 दं.प्र.सं. 498 भा.दं.सं के मुकदमे किए हैं मैं माननीय उच्च न्यायालय के आदेश से अपनी पत्नी को हर माह 1500/ प्रति माह देता हूँ। उसने ये भी कहा है कि उसे विभाग द्वारा पैसा दिलवाया जाए। कृपया उचित मार्गदर्शन करे।

समाधान-

धिकांश लोगों को यह नहीं पता कि सरकारी विभाग में, पीएफ के लिए या बीमा के लिए नॉमिनी क्यों बनाए जाते हैं। आप को और आप की पत्नी को भी संभवतः यह पता नहीं है। इस कारण सब से पहले यह जानना आवश्यक है कि नॉमिनी का अर्थ क्या है।

नौकरी करते हुए किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो उस का वेतन व अन्य लाभ नियोजक के यहाँ अथवा सरकारी विभाग की ओर बकाया रह जाते हैं। इस राशि को प्राप्त करने का अधिकार उस कर्मचारी के कानूनी उत्तराधिकारियों का है। लेकिन उत्तराधिकारियों की स्थिति हमेशा बदलती रहती है। हो सकता है मृत्यु के कुछ दिन पूर्व ही कर्मचारी को संतान हुई हो लेकिन उस का नाम विभाग में दर्ज न हो। मृत्यु के बाद अक्सर उत्तराधिकारियों के बीच इस बात की होड़ भी लगती है कि मृतक की संपत्ति में से अधिक से अधिक उसे मिल जाए। इस कारण विभाग या कर्मचारी या बीमा विभाग या भविष्य निधि विभाग किसे उस राशि का भुगतान करे यह तय करना कठिन हो जाता है। इस के लिए नॉमिनी की व्यवस्था की जाती है। नॉमिनी की नियुक्ति एक ट्रस्टी के रूप में होती है। जिस का अर्थ यह है कि विभाग किसी कर्मचारी या बीमा कर्ता की मृत्यु के उपरान्त कर्मचारी की बकाया राशियाँ नॉमिनी को भुगतान कर दे। नॉमिनी का यह कर्तव्य है कि वह उस राशि को प्राप्त कर उसे मृतक के उत्तराधिकारियों के मध्य उन के कानूनी अधिकारों के अनुसार वितरित कर दे। इस तरह नॉमनी हो जाने मात्र से कोई व्यक्ति किसी की संपत्ति प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हो जाता, अपितु उस का दायित्व बढ़ जाता है। लेकिन समझ के फेर में लोग समझते हैं कि किसी का नॉमिनी नियुक्त हो जाने से वह मृत्यु के उपरान्त उस की संपत्ति का अधिकारी हो जाएगा। जब नॉमिनी को संपत्ति मिल जाती है तो वह उसे मृतक के उत्तराधिकारियों में नहीं बाँटता और उत्तराधिकारी अपने अधिकार के लिए नॉमनी से लड़ते रह जाते हैं और मुकदमेबाजी बहुत बढ़ती है।

यदि किसी व्यक्ति को अपनी मृत्यु के उपरान्त अपनी संप्तति किसी व्यक्ति विशेष को देनी हो तो वह उस के नाम वसीयत लिखता है। नोमिनी वसीयती या उत्तराधिकारी नहीं होता। इस कारण नॉमिनी उसी व्यक्ति को नियुक्त करें जो मृत्यु के पश्चात आप की संपत्ति को पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ आप के उत्तराधिकारियों में कानून के अनुसार वितरित कर दे। यह पूरी तरह आप की इच्छा पर निर्भर करता है कि आप किसे अपने नोमिनी नियुक्त करते हैं।

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