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नोटिस वापस लौटा देने पर भी चैक अनादरण का मुकदमा किया जा सकता है

समस्या-

क परिचित व्यक्ति को उस की बहिन की शादी के लिए मैं ने एक लाख रुपए की मदद की।  उस ने उस राशि के भुगतान के लिए मुझे अपना चैक दिया।  किन्तु चैक अनादरित हो गया। मैं ने उसे जब ये बताया तो उस ने मुझ से बात करनी ही बन्द कर दी।  मैं ने उसे वकील का नोटिस भेजा तो उस ने लेने से इन्कार कर दिया जिस से नोटिस वापस आ गया।  क्या मैं उस पर धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अन्तर्गत मुकदमा कर सकता हूँ? उस पर कितना खर्चा आएगा?

-दानिश खान, नागपुर, महाराष्ट्र

समाधान-

प उस व्यक्ति पर धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम का मुकदमा कर सकते हैं।  उस के द्वारा नोटिस न लेने का अर्थ यह है कि उसे चैक के अनादरित होने की सूचना है और उसे यह भी पता है कि यह नोटिस किस कारण से भेजा है।  नोटिस को वापस कर देना नोटिस को प्राप्त कर लेने के समान है।

न्यायालय में मुकदमा कर देने पर अभियुक्त व्यक्ति यह कह सकता है कि उसे नोटिस मिला ही नहीं।  तब न्यायालय उसे यह भी कह सकता है कि आप को न्यायालय का नोटिस तो मिल गया है उस के मिलने के बाद 15 दिनों में आप को भुगतान कर देना चाहिए था।

प को यह मुकदमा आप के द्वारा भेजे गए नोटिस के भेजे जाने के 45 दिनों के अंदर कर देना चाहिए।  अन्यथा परिसीमा से बाधित होने का अवसर हो सकता है। इस तरह के मामले में न्यायालय में चार-पाँच सौ से अधिक का खर्च नहीं आता है।  लेकिन वकील की फीस इस के अलावा होगी।  यह चैक की धनराशि रुपए एक लाख की दस प्रतिशत या कम या अधिक भी हो सकती है।  लेकिन उस की परवाह न करें।  न्यायालय आप को आप की राशि के अलावा अच्छा खासा न्यायालय व्यय और हर्जाना दिला सकता है।

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