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न्यायाधीश के दुराचरण की शिकायत उच्च न्यायालय के विजिलेंस रजिस्ट्रार को करें

समस्या-

जमशेद्पुर, झारखण्ड से राकेश मिश्रा ने पूछा है-

मुझ पर एक झूठा केस किया गया, जिस में मुझे न्यायाधीश द्वारा पक्षपात करते हुए जेल भेज दिया गया। क्या मैं इस के लिए जज की शिकायत कर सकता हूँ तो कहाँ कर सकता हूँ? मैं निर्दोष होते हुए भी जेल गया। कृपया मेरी मदद करें।

समाधान-

हो सकता है कि आप के विरुद्ध मिथ्या मुकदमा किया गया हो और आप को उस में सजा हो गई हो। न्यायाधीश को कुछ पता नहीं होता है कि कौन सा मुकदमा सच्चा है और कौन सा मुकदमा झूठा है। न्यायाधीश सदैव ही उस के समक्ष प्रस्तुत किए गए सबूतों के आधार पर निर्णय करता है। यदि न्यायाधीश के समक्ष मिथ्या सबूत प्रस्तुत किए गए हों और उन के झूठ को आप सुनवाई के दौरान साबित नहीं कर सके हों तो भी आप को झठे मुकदमे में सजा हो सकती है। सुनवाई के दौरान हर अभियुक्त को इस बात का अवसर प्राप्त होता है कि वह गवाहों और सबूतों को मिथ्या साबित करे। हो सकता है मुकदमे की सुनवाई के दौरान आप से और आप के वकील से गलती हुई हो और वे झूठ को पकड़ नहीं सके हों और आप को मिथ्या मुकदमे में सजा हो गई हो। लेकिन इस में न्यायाधीश की कोई गलती नहीं है।

ह भी हो सकता है कि न्यायाधीश से सबूतों के विश्लेषण में कोई गलती हुई हो तो आप सजा को निलंबित करवा कर न्यायालय के निर्णय की अपील करते। अपील में निर्णय आप के पक्ष में हो जाता।

प को इन सब बातों पर विचार करना चाहिए। यदि फिर भी आप को लगता है कि गलती न्यायाधीश की है और उस ने दुर्भावना से प्रेरित हो कर आप के विरुद्ध निर्णय किया है तो आप उच्च न्यायालय के विजिलेंस रजिस्ट्रार को न्यायाधीश के संबंध में शिकायत भेज सकते हैं। अपनी शिकायत के तथ्यों के समर्थन में आप को एक शपथ पत्र भी देना होगा। आप की शिकायत की जाँच हो जाएगी। यदि आपकी शिकायत सही पाई गई तो न्यायाधीश के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही हो सकती है।

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