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न्यायालय प्रमाणित तथ्यों के आधार पर निर्णय करते हैं

समस्या-

गर कोई तीन कक्षा पढ़ कर छोड़ देता है और फिर पहली में वापस प्रवेश लेकर आज बी.ए कर रहा है। तो उसकी उम्र के दो रिकार्ड हो जाते हैं। बाद वाली पढाई से उसकी उम्र सतरह साल होती है और पहले वाली से बीस साल होती है। इस तरह उस की उम्र के दो दस्तावेज हो जाते है! बाद वाली उम्र से वह नाबालिग होता है।  अगर उसका पहले वाला दस्तावेज न्यायालय में प्रस्तुत हो तो क्या न्यायलय उसे बालिग मानेगी? यदि  उस ने कोई एग्रीमेंट किया हुआ है तो उसे मानेगी या बाद वाली उम्र से उस एग्रीमेंट को शून्य मानेगी?

-भंवर जानी, जोधपुर, राजस्थान

समाधान-

न्यायालय सदैव ही साक्ष्य द्वारा प्रमाणित किए गए तथ्यों के आधार पर अपना निर्णय देते हैं। यहाँ एक ऐसे व्यक्ति के मामले में प्रश्न किया गया है जिस के सम्बन्ध में कोई मुकदमा चल रहा है। लेकिन अंतिम निर्णय इस बात पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति की उम्र क्या है। एक तो उस का सैकंडरी स्कूल परीक्षा का प्रमाण पत्र है जिस में उस की जन्म तिथि अंकित है और जिस के आधार पर वह नाबालिग ठहरता है। दूसरा उस के स्कूल का स्कॉलर रजिस्टर हो सकता है जिस में स्कूल में प्रवेश लेने वाले बालक का विवरण होता है। इस अभिलेख के आधार पर वह व्यक्ति बालिग ठहराया जा सकता है।

लेकिन दोनों ही साक्ष्य दस्तावेजी हैं। इन्हें किसी मौखिक साक्ष्य द्वारा प्रमाणित कराया जाना आवश्यक है।  यदि मौखिक साक्ष्य से यह प्रमाणित हो जाता है कि दोनों ही दस्तावेजी साक्ष्य सही हैं तो न्यायालय के समक्ष सही स्थिति सामने आ जाएगी कि इस व्यक्ति ने पहले स्कूल में प्रवेश लिया और तीन वर्ष के बाद अध्ययन कर के स्कूल त्याग दिया। पुनः उस ने स्कूल में पहली कक्षा में प्रवेश लिया और इस समय उस के माता पिता ने अपनी जन्म तिथि तीन वर्ष कम कर के लिखवा दी। ऐसी अवस्था में न्यायालय इसी निष्कर्ष पर पहुँचेगा कि व्यक्ति की जन्म तिथि वही सही है जो उस के माता पिता ने पहले वाले प्रवेश के समय स्कूल का प्रवेश फार्म भरते समय लिखाई थी। इस हिसाब से वह व्यक्ति वयस्क माना जाएगा।

क बार यह निर्धारित हो जाने पर कि वह व्यक्ति वयस्क है। उस के द्वारा किए गए अनुबंध पर विचार किया जाएगा। यदि अनुबंध करते समय वह व्यक्ति वयस्क पाया जाता है तो उस के द्वारा निष्पादित किया गया अनुबंध वैध माना जाएगा और यह माना जाता है कि वह अनुबंध करते समय वह व्यक्ति अवयस्क था तो उस अनुबंध को अवैध माना जाएगा।

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