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न्यायिक पृथक्करण की डिक्री के लिए आवेदन करें . . .

two wives one husbandसमस्या-
मुम्बई, महाराष्ट्र से शालिनी सिंह ने पूछा है –

मेरी एक मित्र की शादी 25-4-2012 को हुई है, उसकी शादी के कुछ दिन का बाद ही उस की वाइफ हर बात पर झगड़ा करने लगी।  वो ये कहती है कि मेरी शादी तुम्हें देख कर नहीं हुई है तेरी प्रॉपर्टी देख कर हुई है तो मुझे प्रॉपर्टी में आधा हक चाहिए। शादी में मेरे दोस्त की माँ  ने अपनी बहू को काफ़ी गोल्ड ज्वेलरी चढ़ाई थी वो ये भी बार बार मांगती है कि मैं अपनी माँ के पास रखूंगी। वह इन बातों को ले कर सभी को तंग करती है। बात बात पर घर छोड़ कर चली जाती है। एक बार पुलिस स्टेशन चली गई थी। जिसकी वजह से वो लोग डर कर  बहू-बेटे को अलग कर दिया। ताकि वो समझने लगे।  अलग होने के बाद भी वह वही बात बार बार कहती है। कई बार तो पुलिस में शिकायत भी कर चुकी है कि मेरा पति मुझे मारता है।  अभी उसका  एक बच्चा है जो कि 7 माह का है। सब को लगा कि वो बच्चा होने के बाद बदल जाएगी पर इस का उलटा हुआ। अब तो ये कहती है की मुझे गहने दो नहीं तो बच्चे को जान से मार डालूंगी और ये कहूँगी कि मेरे पति ने दहेज के लिये अपने बच्चे को मार दिया है।  इतना सब हो जाने के बाद अब वो पत्नी के साथ नहीं रहना चाहता है पर वो फिर से वापस आना चाहती है पर पति तैयार नहीं है। कहता है कि उसके साथ रहने में उस की जान को भी खतरा है। अब वो उस लड़की से तलाक लेना चाहता है और बच्चा भी लेकिन पत्नी तलाक़ नहीं देना चाहती है। साथ में रहने के लिए भी पुलिस में शिकायत कर के आई है। लड़की पाँच बार पुलिस में शिकायत कर चुकी है। पर लड़के वालों ने कुछ भी नहीं किया है सिर्फ़ अपनी साफ़्टी का लिया 2 बार न.सी. किया है। अब क्या लड़की से तलाक़ लिया जा सकता है?

समाधान-

दि आप के मित्र की पत्नी उस की सास द्वारा चढ़ाए गए गहने मांगती है तो उस में कुछ गलत बात नहीं है। वे गहने यदि उसे उपहार में मिले हैं तो स्त्री-धन हैं तथा उस की संपत्ति हैं। वह उन्हें मांग सकती है। नहीं देने पर यह अमानत में खयानत होगी जो कि धारा 406 आईपीसी के अंतर्गत एक अपराध है। हाँ, यदि इस में कोई शंका हो कि पत्नी यह सब किसी झगड़े के उद्देश्य से या अन्य किसी कारण से ऐसा कर रही है तो उसे कहा जा सकता है कि पति-पत्नी के नाम से बैंक में एक लॉकर ले कर रख दिए जाएँ जिसे दोनों के साथ जाए बिना नहीं खोला जा सकता हो। वैसी स्थिति में गहनों पर दोनों का संयुक्त नियंत्रण स्थापित हो सकता है।

लेकिन उस का यह कहना की मेरी शादी तुम्हें देख कर नहीं बल्कि तुम्हारी प्रोपर्टी देख कर हुई है तो यह पति के साथ हद दर्जे की क्रूरता है। बार बार बिना किसी कारण के पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराना भी क्रूरतापूर्ण व्यवहार है। बच्चे को मार डालने की धमकी देना तो निहायत दर्जे का क्रूरतापूर्ण व्यवहार है। इन कारणों से पति अपनी पत्नी से अलग रह सकता है।

न परिस्थितियों में पति को चाहिए कि वह हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 10 के अन्तर्गत न्यायिक पृथक्करण की डिक्री के लिए अदालत में आवेदन करे कि मैं अपनी पत्नी के साथ नहीं रह सकता तथा बच्चे की अभिरक्षा के लिए भी आवेदन प्रस्तत करे। इन आवेदनों में उसे यह भी कहना होगा कि वह पत्नी को उसी मकान में जिस में अभी वह रहता है रहने का पूरा खर्चा उठाएगा। इस तरह न्यायालय से सारी परिस्थितियाँ होते हुए भी वह न्यायिक पृथक्करण की डिक्री पारित करवा सकता है। डिक्री पारित होने पर पृथक रह सकता है। बच्चे की अभिरक्षा मिल जाए तो उसे भी अपने साथ रख सकता है। लेकिन इस के लिए उसे सारी परिस्थितियों को प्रमाणित करना होगा। यदि बाद में भी परिस्थितियाँ ऐसी ही रहें तो लंबे न्यायिक पृथक्करण के आधार पर विवाह विच्छेद की डिक्री के लिए भी आवेदन किया जा सकता है। इस कार्यवाही के लिए किसी अच्छे स्थानीय वकील की सहायता लेनी होगी।

ह सब करने के पहले पति को अपनी पत्नी या पुलिस कार्यवाही से डरना छोड़ना पड़ेगा। अधिकांश मामलों में पतियों को असफलता इसी लिए प्राप्त होती है कि वे पुलिस कार्यवाही से तथा पत्नी द्वारा किए जाने वाले फर्जी मुकदमों से भयभीत रहते हैं। यह फिजूल का भय त्यागना होगा और पत्नी यदि ऐसा करती है तो निर्भय हो कर उस का मुकाबला करना होगा।

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