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पंचायत व तहसीलदार के समक्ष हुआ विवाह विच्छेद वैध नहीं है, परिवार या जिला न्यायालय से डिक्री प्राप्त करें

समस्या-

शिमला, हिमाचल प्रदेश से कृष्ण ने पूछा है –

मेरा मित्र 100 प्रतिशत दृष्टिहीन है, उसका विवाह 2006 में एक दृष्टिवान लड़की से हुआ।  वो प्रारंभ से ही उसके साथ मानसिक उतपीड़न करती थी, आज उनके 2 बच्चे हैं।  मेरा मित्र हिमाचल सरकारी कर्मचारी है। उसकी पत्नी के कई लोगों के साथ अवैध शारीरिक संबंध है। जिसका प्रमाण कई बार मिल चुका है। अपनी गलती उसने सादे कागज पर भी स्वीकार की है। 30 जून 2012 को वो तहसीलदार के सामने उसे तलाक देकर चली गई थी। पर 3-4 महिने बाद वो पुनः आ गई।  मजबूरन उसे वो फिर रखनी पड़ी। उनके दो बच्चे 1 बेटा 1 बेटी जिन्हें वह जो  मेरे मित्र के पास छोड़कर चली जाती है। उसके कुछ दिनों बाद वह पुनः पंचायत के समक्ष उसे तलाक देकर चलई गई। यह तलाक जनवरी 2013 को हुआ था। पर मैंने उसे सलाह दी थी कि वो सेशन कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन करे। दोनों बच्चे उसके पास हैं। वो उसे धमकी देती है कि अगर तू अदालत में गया तो वो उस से खर्चे के रूप में आधा वेतन लेगी। जिससे मेरा मित्र बहुत परेशान है।  दृष्टिहीनता तथा दो बच्चों के कारण वो खुद ही खर्चे से तंग है। मेरा मित्र काफी मानसिक तनाव में है। मैं कुछ जानकारियाँ आप से चाहता हूँ।
1  क्या मेरा मित्र तहसीलदार व पंचायत के तलाक के बाद विवाह कर सकता है? तलाक में उसकी पत्नी ने उसे इसकी स्वतंत्रता दी है।
2 जैसा कि मैं कह चुका हूं कि उसने पंचायत के समक्ष व तहसिलदार ने तलाक में उसके हस्ताक्षरों को सत्यापित किया है, क्या वो फिर भी अदालत में मेरे मित्र के विरुद्ध मुकदमा कर सकती है?
3 अगर मेरा मित्र विवाह करता है तो क्या उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही हो सकती है? पंचायत के तलाक के बाद उसका नाम मेरे मित्र के परिवार रजिस्टर से काट दिया गया है।
4. अगर वो खर्चे का दावा करती है तो उसे कितना खर्चा देना होगा, वो आज कल प्राईवेट कंपनी में कार्य कर रही है। दोनों बच्चे मेरे मित्र के पास है।

समाधान-
Blind father with children

प के मित्र की पत्नी ने उसे पंचायत और तहसीलदार के समक्ष तलाक दिया है। हिन्दू विधि में तलाक नहीं होता, यह शब्द केवल पुरुष द्वारा मुस्लिम विवाह विच्छेद के लिए है। हिन्दू विधि में पूर्व में तलाक जैसा कोई प्रावधान नहीं होने से बाद में जब हिन्दू विवाह अधिनियम के द्वारा विवाह विच्छेद अस्तित्व में आया तो लोग उसे भी तलाक कहने लगे हैं। हिन्दू विधि में विवाह विच्छेद केवल सक्षम न्यायालय की डिक्री से ही मान्य है।  इस के लिए सक्षम न्यायालय परिवार न्यायालय और उस के न होने पर जिला न्यायालय है। चूंकि जिला न्यायाधीश ही सेशन कोर्ट का भी पीठासीन अधिकारी होता है इस कारण से कई लोग उसे भी सेशन न्यायाधीश कह देते हैं। आप के मित्र को तुरन्त जिला न्यायालय या परिवार न्यायालय यदि वहाँ हो तो विवाह विच्छेद के लिए आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए। मित्र की पत्नी के लिखे हुए पत्र और तहसीलदार या पंचायत के सरपंच और उन व्यक्तियों की गवाही से जिन के उन तलाकनामों पर हस्ताक्षर हैं प्रमाणित किया जा सकता है कि मित्र की पत्नी का दूसरे पुरुष से संबंध है और विवाह विच्छेद हासिल किया जा सकता है। क्रूरता का आधार भी लिया जा सकता है।

क्षम न्यायालय से डिक्री प्राप्त होने से पहले आप के मित्र को विवाह नहीं करना चाहिए। क्यों कि तहसीलदार और पंचायत के समक्ष दिया गया तलाक विवाह विच्छेद नहीं है और कानूनन मित्र की पत्नी अभी भी उस की पत्नी है। यदि ऐसा किया तो उसे एक हथियार मित्र के विरुद्ध मिल जाएगा। मित्र की पत्नी नौकरी करती है इस कारण वह भरण पोषण प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है। लेकिन आप के मित्र को उस के विरुद्ध यह साबित करना होगा कि वह नौकरी करती है और उस का वेतन उस के जीवन निर्वाह के लिए पर्याप्त है। यदि किसी तरह निर्वाह भत्ते का आदेश वह प्राप्त कर भी ले तो भी उसे एक तिहाई वेतन से अधिक नहीं मिलेगा क्यों कि उन के दोनों बच्चे आप के मित्र के साथ रहते हैं।

प के मित्र की कानूनी और तथ्यात्मक स्थिति अच्छी है। पत्नी मुकदमे तो कर सकती है लेकिन उस से उसे कुछ नहीं मिलेगा। इसलिए आप के मित्र को घबराने की जरूरत नहीं है। बस कानूनन विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त करनी होगी तथा उस के विरुद्ध कोई मुकदमा या मुकदमे होते हैं तो उन का मुकाबला करना होगा।

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