DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

पहली पत्नी से तलाक न होने की बात छुपा कर किया गया विवाह शून्य है।

Nullity

समस्या-

मेरी छोटी बहन प्रियंका तोमर ने  4 जनवरी 2018  को शुभम सूर्यवंशी से प्रेम विवाह किया था। मेरी बहन सामान्य वर्ग से है और शुभम एसी/एसटी वर्ग से। शादी के बाद मेरी बहन को पता चला की शुभम पहले से ही शादीशुदा है और  डिवोर्स के लिए तारीख पर जाता है! लेकिन शुभम के परिवार वालों ने उस लड़की के बारे में कुछ नहीं बताया है जिससे शुभम की पहले शादी हुई थी। अब मेरी बहन मेरे घर वापस आ चुकी है और वह शुभम से तलाक लेना चाहती है तो उसके तलाक लेने की क्या विधि रहेगी? या हम इसकी शादी को शून्य घोषित करवा सकते हैं? दोनों ही स्थिति में क्या प्रोसेस रहेगी? मेरी मम्मी द्वारा उन्हें सोने के कुछ जेवर भी दिए गए थे, वह भी उन्होंने वापस नहीं किए। हमने थाने में जाकर रिपोर्ट करने की कोशिश की। लेकिन थाने वालों ने हमारी रिपोर्ट नहीं लिखी और कहा कि वह तुम्हें एसी/एसटी केस में फंसा देंगे। तुम उनके ऊपर कोई कार्यवाही मत करो और कोर्ट में जाकर विवाह विच्छेद के लिए आवेदन करो या फिर आपसी सहमति से तलाक ले लो। कृपया आप हमारा मार्गदर्शन करें।

– गोलू तोमर, एम/23, रतन आवा न्यूज

समाधान-

किसी हिन्दू विवाह में हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 की उपधारा (i), (iv) तथा (v) की शर्तों का उल्लंघन किया गया हो तो वह विवाह शून्य होता है। इन तीन शर्तों में पहली (i) शर्त यही है कि विवाह के किसी भी पक्षकार का जीवनसाथी जीवित नहीं होना चाहिए। आप की बहिन के मामले में यही हुआ है। जब विवाह हुआ तब आप की बहिन के पति की पहली पत्नी जीवित थी और उस से तलाक नहीं हुआ था। जिस के कारण आप की बहिन का विवाह शून्य है। इस के लिए आप की बहिन हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत परिवार न्यायालय में विवाह की शून्यता की डिक्री पारित करने के लिए आवेदन कर के डिक्री प्राप्त कर सकती है। इस के लिए चाहिए कि आप बहिन के पति का जिस अदालत में मुकदमा चल रहा है उस अदालत से उस मुकदमे की पत्रावली की प्रमाणित प्रतिलिपियाँ प्राप्त कर आवेदन के साथ ही न्यायालय में प्रस्तुत करें।

प की माँ के द्वारा आप की बहिन को जो सोने के बिस्कुट दिए थे वे तथा अन्य सभी उपहार जो आप की बहिन को विवाह या उस के उपरान्त दिए गए हों आप की बहिन का स्त्री-धन हैं। आप की बहिन उन्हें वापस मांग सकती हैं और नहीं लौटाने पर यह धारा 406 आईपीसी का अपराध है। पुलिस को इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कर लेना चाहिए। लेकिन पूरे भारत में पुलिस का रवैया उस के पास किसी अपराध की रिपोर्ट दर्ज करने जाने वाले व्यक्ति के प्रति यही रहता है कि वे उसे रिपोर्ट न करने और मामले को बाहर ही सलटाने के लिए कहते हैं इस के लिए वे तरह तरह के डर भी दिखाते हैं। आप की बहिन के साथ जिस तरह का अपराध उस के कथित पति और उस के परिवार ने किया है उस के बाद वे एससी एसटी एक्ट के अंतर्गत कोई रिपोर्ट करेंगे भी तो उस का कोई मूल्य नहीं होगा। पुलिस केवल अपने यहाँ दर्ज अपराधों की संख्या को कम रखने के लिए इस तरह करती है। यदि पुलिस थाने ने रिपोर्ट दर्ज करने से मना किया है तो आप रजिस्टर्ड एडी डाक से अपना परिवाद एस.पी. पुलिस को प्रेषित करें। उस की रसीद और प्राप्ति स्वीकृति यदि लौट आए तो सुरक्षित रखें और एक सप्ताह में कार्यवाही न होने पर सीधे न्यायालय में अपना परिवाद प्रस्तुत करें। न्यायालय आप की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पुलिस को आदेश दे देगा। एस.पी. और न्यायालय को प्रस्तुत होने वाले परिवाद में स्पष्ट रूप से कहें कि पुलिस ने एससी एसटी एक्ट की कार्यवाही होने का डर दिखाते हुए रिपोर्ट दर्ज करने से मना कर दिया है।

Print Friendly, PDF & Email