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प्रतिकूल आधिपत्य बचाव का सिद्धान्त है।

समस्या-

कीर्ति सिंह मगरौरा, ने ग्वालियर मध्यप्रदेश से पूछा है-

प्रतिकूल आधिपत्य Adverse possession के मामले में क्या दस्तावेज आवश्यक हैं?मेरेपास एक प्रॉपर्टी है जिस में पिछले 50 वर्षों से विद्यालय संचालित है।वास्तविक रूप से जो मकान मालिक थे उनकी मृत्यु हो चुकी है और उनकी कोईसंतान या नजदीकी रिश्तेदार नहीं है। 1998 तक हमने किराया दिया उसके बादसे उनकी मृत्यु उपरांत किराया बंद हो गया। नगर पालिका दस्तावेजों में हमटैक्स पेयर हैँ, टैक्स आदि जिम्मेदारी हम पूरी कर रहे हैँ।कृपया बताइये किहम किस तरह मकान मालिक की पूर्ण हैसियत हासिल कर सकते हैँ?

समाधान-

प्रतिकूल आधिपत्य Adverse possession का सिद्धान्त बचाव का सिद्धान्त है। यदि आप का किसी स्थाई संपत्ति पर आधिपत्य है तो वह आधिपत्य वैधानिक रीति से अर्थात कानूनी कार्यवाही के बिना हटाया नहीं जा सकता। उदाहरण के रूप में जिस संपत्ति पर आप का आधिपत्य है उसे किसी न्यायालय की डिक्री या आदेश से ही हटाया जा सकता है। इस के लिए उस के आधिपत्य का दावा करने वाले व्यक्ति को न्यायालय की शरण लेनी होगी।

किसी भी स्थावर संपत्ति का आधिपत्य प्राप्त करने के दो ही वैधानिक तरीके हैं। यदि संपत्ति पर किसी का आधिपत्य जबरन छीन लिया गया हो तो छीने जाने से पहले जिस व्यक्ति का आधिपत्य था वह इस आधिपत्य छीने जाने से 60 दिनों की अवधि में धारा 145 दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत परिवाद प्रस्तुत कर सकता है तब न्यायालय सुनवाई कर के जिस का भी आधिपत्य पहले साबित हो जाता है उसे दिला देता है।

दूसरा मार्ग यह है कि आधिपत्य का दावा करने वाला व्यक्ति आधिपत्य प्राप्त करने का दावा करे। इस तरह का दावा प्रतिकूल आधिपत्य होने के 12 वर्ष की अवधि के उपरान्त नहीं किया जा सकता। यदि कोई दावा भी करेगा तो वह अवधि अधिनियम के अनुरूप न होने से निरस्त कर दिया जाएगा।

स का सीधा अर्थ यह है कि प्रतिकूल आधिपत्य होने के आधार पर आप खुद कोई दावा नहीं कर सकते।

प के मामले में आप 1998 तक तो किराएदार रहे हैं तब आप का आधिपत्य एक किराएदार की हैसियत से था। लेकिन उस के बाद से आप का प्रतिकूल आधिपत्य हो गया। आप के इस प्रतिकूल आधिपत्य को 16 वर्ष हो चुके हैं। इस कारण कोई व्यक्ति तो इस संपत्ति का कब्जा प्राप्त नहीं कर सकता।

लेकिन यदि किसी संपत्ति का कोई दावेदार नहीं होता तो वह संपत्ति हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा -29 के अन्तर्गत सरकार में निहीत हो जाती है। आप के मामले में यह संपत्ति कानून के प्रभाव से सरकार में निहीत हो चुकी है और सरकार यदि अपनी संपत्ति पर आधिपत्य चाहती है तो वह प्रतिकूल आधिपत्य होने से 30 वर्षो के अन्तर्गत आप के विरुद्ध दावा कर सकती है।

ज की तिथि में उक्त संपत्ति का स्वामित्व राज्य सरकार का है और वह 1998 से तीस वर्षों की अवधि पूर्ण होने तक अर्थात 2028 तक उक्त संपत्ति का आधिपत्य प्राप्त करने का दावा कर सकती है। इस कारण आप के लिए उपाय यही है कि आप 2028 तक प्रतीक्षा करें। उस के बाद कोई कार्यवाही करें। एक अन्य उपया यह है कि राज्य सरकार इस तरह की संपत्तियों को कब्जेदारों को पट्टे पर देने के लिए योजनाएँ निकालती है। जब भी राज्य सरकार की इस तरह की कोई योजना आए आप योजना के अनुसार आवेदन कर के अपने या अपनी संस्था के नाम से उक्त संपत्ति का पट्टा राज्य सरकार से हासिल कर लें।

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