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बहिन और जीजा जी को उन के भाई ने घर से निकाल दिया, क्या करें?

 रामगोपाल अग्रवाल पूछते हैं…                                                             

 मेरी बहिन का विवाह हम ने 1994 में दिल्ली में किया था। जीजा जी के पिता जी का देहान्त बचपन में ही हो चुका था।  उन की शादी उन के बड़े भाई ने की। उन्हों ने हम से कहा था कि यह (जीजा जी) मेरे बेटे जैसा है। शादी के बाद बहन को उस के जेठ, जिठानी और ननद ने बहुत परेशान किया। जीजा जी को भी कहा -हमने तुम्हारी शादी कर दी है,अब तुम अपने ससुर से पैसा ले कर अपना काम करो। फिर जीजा जी को बिना कुछ दिए ही घर से निकाल दिया। इस के चलते मेरी बहन ने पुलिस को 1997 में शिकायत की। पुलिस ने उन खिलाफ 498-ए, 406, 341 आईपीसी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर दिया। इस के तीन साल बाद मेरी बहिन के जेठ ने मेरे जीजा जी के खिलाफ 380 आईपीसी के अंतर्गत मोटर बाइक चोरी का मुकदमा उसी तारीख का जिस तारीख को 498ए का मुकदमा दर्ज हुआ था दर्ज करवा दिया। दोनों मुकदमों में आरोप निश्चित किए जा चुके हैं। जिस के खिलाफ उन्हों ने उच्च न्यायालय में रिविजन डाला हुआ है। हाई कोर्ट ने समझौते के लिए बुलाया था। समझौते में कहते हैं कि तुम अपना केस वापस ले लो हम अपना केस वापस ले लेते हैं। सामान के लिए मना कर दिया। अब हमारे लिए क्या करना उचित होगा? दिल्ली हमारे यहाँ से 150 किलोमीटर दूर है।

उत्तर-

 राम गोपाल जी, आप का प्रश्न अस्पष्ट है। इस से पता लगता है कि आप के जीजाजी के पिता जी का देहान्त पहले ही हो चुका था। उन के बड़े भाई ने उन का पालन पोषण किया और शादी कर दी। इस के बाद एक वयस्क पति-पत्नी को अपना निर्वाह खुद करना चाहिए था। आखिर कब तक भाई पर निर्भर रहा जा सकता था। यदि उन्हों ने आप के जीजाजी और बहिन को अलग रहने को कहा तो उचित ही किया है।  यदि आप के जीजा जी ने उन से यह कहा हो कि मुझे कुछ पैसा दे दें तो मैं अपना कारोबार कर लूँ तो हो सकता है उन्हों ने कहा हो कि मैं जितना कर सकता था कर चुका अब मदद लेनी है तो अपने ससुराल वालों से लो। यदि उन्हों ने आप के जीजाजी को बिना कुछ दिए घर से निकाल भी दिया तो उस में उन की कोई गलती नहीं है।

प्रश्न इस बात का है कि आप की बहिन के साथ कोई क्रूरता पूर्ण व्यवहार हुआ है तथा उन का स्त्री-धन जो आप की बहिन ने उपहार के बतौर पाया हो या जो उन का खुद का कमाया हुआ हो और उसे आप की बहिन के जेठ के परिवार ने रख लिया हो और मांगने पर नहीं दिया हो तो इस मामले में 498-ए और 406 भादंसं का मुकदमा जरूर चलाया जा सकता है। जो आप की बहिन ने पेश कर ही रखा है।

बाइक चोरी के मामले में वह बाइक किस के नाम रजिस्टर्ड है जिस की चोरी का आरोप लगाया गया है। यदि वह आप के जीजाजी के भाई या उन के परिवार के किसी सदस्य के नाम है और आप के जीजाजी के कब्जे से बरामद हुई है तो फिर वह मुकदमा आप के खिलाफ जा सकता है।

मुझे लगता है कि सारा झगड़ा किसी पैतृक संपत्ति में आप के जीजाजी द्वारा हिस्सा मांगने का है। या हो सकता है आप के जीजाजी यह समझ रहे हों कि उन के पिताजी भाई साहब को सब संपत्ति दे गए हैं और वे उन्हें उन का हिस्सा नहीं दे रहे हैं। लेकिन इस मामले में आप ने कुछ भी नहीं लिखा है। आप के जीजाजी आज कल क्या कर रहे हैं? यह भी आप ने नहीं बताया है। यदि आप के जीजाजी किसी तरह से रोजगार कर स्थापित हो गए हों तो इस झगड़े से कुछ मिलने वाला नहीं है अलावा इस के कि दोनों पक्ष समय और अर्थ नष्ट कर रहे हैं। मेरे विचार में आप के जीजाजी को उन के भाई से समझौता कर लेना चाहिए। जिस से अपने जीवन को शांतिपूर्वक गुजार सकें।

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