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बोनस का समझौता केवल एक वर्ष का ही हो सकता है …

समस्या-

खरगौन, मध्यप्रदेश से हरि यादव पूछते हैं –

 कारखाने में अगर मजदूरों को बोनस जो कि 15 सालों से एक जैसा दिया जा रहा है तो क्या बोनस की बढ़ोतरी को लेकर की गई अहिंसात्मक शांतिपूर्ण ह्ड़ताल सही है।  हमारे समझौते की अवधि अगस्त 2012 में समाप्त हो चुकी है।  हमें 15 सालों से 3000/- रुपए से से भी कम बोनस दिया जाता रहा है।  इस दीपावली पर बोनस बढ़ोतरी की माँग की तो कंपनी ने कहा कि आपके समझौते में बोनस तीन हज़ार है जो 5 सालों का है और इस साल भी समझौते के अनुसार 3000/- हज़ार ही मिलेगा। जब कि समझौते की अवधि 2007-2012 है।  इसके बाद मजदूरों ने बोनस वृद्धि लिए ह्ड़ताल कर दी।   पहले हमने हड़ताल की सूचना दी जिसे कंपनी ने नहीं लिया।  हमें क़ानूनी सलाह दीजिए कि क्या मजदूर सही है?

 समाधान-

बोनस कानून के अंतर्गत बोनस कम से कम 8.33 प्रतिशत और अधिक से अधिक 20 प्रतिशत दिया जा सकता है। इस का अर्थ यह है कि किसी मजदूर ने वर्ष भर में मूल वेतन और महंगाई भत्ते की जितनी राशि अर्जित की है उस का 8.33 से 20 प्रतिशत तक बोनस मजदूर प्राप्त कर सकता है। हर वर्ष मजदूरों की वेतन वृद्धि होती है, महंगाई भी बढ़ती है और आम तौर पर हर तीन वर्ष में वेतन पुनरीक्षण भी हो जाता है। इसलिए बोनस की राशि में तो अंतर आना चाहिए। ऐसा संभव नहीं है कि पिछले 15 वर्ष से 3000/- रुपए या उस के आसपास ही बोनस मिल रहा हो।  बोनस का आधार पिछले वर्ष की कारखाने की बैलेस शीट पर निर्भर करता है।  बैलेंस शीट केवल पिछले वर्ष की हो सकती है। आगामी वर्ष की नहीं। इस कारण बोनस का समझौता पिछले एक वर्ष की अवधि के लिए ही हो सकता है, इस से अधिक का नहीं। बोनस का कोई भी समझौता 5 वर्ष का नहीं हो सकता।

 आप ने यह कहा है कि मजदूरों ने नोटिस दिया था जिसे प्रबंधक ने नहीं लिया। इस का अर्थ यह है कि आप के कारखाने में या तो मजदूरों की कोई यूनियन है जिस ने नोटिस दिया होगा। यदि यूनियन नहीं है तो कारखाने के बहुसंख्यक मजदूरों की आमसभा में आठ-दस मजदूरों की कमेटी बनाई गई होगी और उस ने नोटिस दिया होगा।  यह कहना भी उचित नहीं है कि प्रबंधक ने नोटिस नहीं लिया। यदि प्रबंधक ने नोटिस नहीं लिया है तो नोटिस रजिस्टर्ड डाक से उसे भेजा जा सकता था। यदि वह नहीं ले कर डाक को वापस कर देता तो भी यही माना जाता कि नोटिस दे दिया गया था। एक रीति और है कि यूनियन श्रम विभाग को नोटिस देती जिसे श्रम विभाग प्रबंधन को भेज देता।

मारा अनुमान है कि आप के कारखाने में मजदूरों की यूनियन और प्रबंधन के बीच पाँच वर्ष का वेतन पुनरीक्षण का समझौता हुआ होगा और उस की अवधि पाँच वर्ष की रही होगी। अवधि समाप्त हो जाने के कारण फिर से वेतन पुनरीक्षण की मांग उठाई गई होगी। चूँकि वार्षिक बोनस का समय भी है इस कारण से बोनस की मांग भी उसी मांग पत्र में सम्मिलित कर दी गई होगी।  इसी कारण से आप इसे बोनस का ही विवाद समझ रहे हैं।

 हमें लगता है आप अपनी समस्या को ठीक से समझ नहीं सके हैं और इस कारण से यहाँ ठीक से हमें भी नहीं बता पा रहे हैं।  आप को चाहिए कि आप मजदूरों की यूनियन के नेता से पूरी जानकारी हासिल करें कि वास्तविक समस्या क्या है।  यदि यूनियन को कोई समस्या है तो आप यूनियन के अध्यक्ष या मंत्री को कहें कि वे उचित कानूनी सहायता प्राप्त करें और जो कुछ भी हो चुका है उसे दुरुस्त करने का प्रयत्न करें।

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