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मकान मालिक से किराया भुगतान की रसीद जरूर लें अन्यथा किराया बकाया माना जाएगा।

समस्या-

जबलपुर, मध्यप्रदेश से आशीष गांगुली ने पूछा है-

मैं चार वर्ष से दो कमरे के किराए के मकान में रहता हूँ। अब मकान मालिक हम से दिसंबर में मकान खाली करने को कह रहा है।  हम किराया समय पर देते हैं पर मकान मालिक किराए की रसीद नहीं देता है। हमें इस समय कुछ समस्या है। इस कारण से हम मकान कुछ समय बाद खाली करना चाहते हैं। अभी किराया 2200/- प्रतिमाह दे रहा हूँ जो अधिक है। मकान मालिक रुपए 3000/ प्रतिमाह चाहता है।  मैं अगले वर्ष मकान खाली करना चाहता हूँ।  मुझे क्या करना चाहिए जिस से मैं मकान में कुछ दिन और रह सकूँ।

समाधान-

प चार वर्ष से किराए पर रह रहे हैं, किराया अदा करते हैं और मकान मालिक किराए की रसीद नहीं देता है। कानून यह है कि यदि किराएदार के पास रसीद नहीं है तो यह माना जाएगा कि किराया अदा नहीं किया गया है। इस तरह यदि झगड़ा अदालत तक पहुँचा तो आप का पिछले चार वर्ष का किराया बकाया माना जाएगा। हालांकि तीन वर्ष से अधिक का बकाया किराया वसूलने के लिए कोई दावा नहीं किया जा सकता। आप के मामले में 36 महिने का बकाया किराया रुपए 79200/- की वसूली का वाद कभी भी मकान मालिक आप के विरुद्ध कर सकता है। इस लिए सभी किराएदारों के लिए यह जरूरी है कि वे मकान मालिक से किराए की रसीद अवश्य प्राप्त करें।  रसीद न देने पर किराया चैक से, मकान मालिक के बैंक खाते में जमा करवा कर अथवा मनिआर्डर से भेज कर अदा करें या किराया अदा न करें।

वास्तव में देश में ऐसी परिस्थितियाँ हैं कि आवास योग्य मकान कम हैं और निवासी अधिक। इन परिस्थितियों में किराए पर मकान देने के समय हर बार मकान मालिक का पलड़ा भारी रहता है और वह किराए की रसीद नहीं देता।  इस से वह अपना आयकर भी बचाता है।  इन परिस्थितियों में रसीद न होने पर किराया बकाया माने जाने का कानून  मकान मालिक के पक्ष में खड़ा हो जाता है साथ ही सरकार को आयकर का नुकसान भी होता है। यह कानून किराएदारों के लिए दमनकारी है। वास्तव में जब परिस्थितियाँ ऐसी हों कि मकान मालिक का पक्ष बलवान हो तो कानून यह होना चाहिए कि कोई भी बिना किराएनामे के मकान किराए पर नहीं देगा और किराएदार चाहे किराया दे या न दे पर किराए पर मकान उठाने पर किराएनामे में अंकित किराया मकान मालिक की आय मान कर उस पर आयकर देना होगा।  इस के साथ ही किराया कानून में यह उपबंध भी होना चाहिए कि यदि माह समाप्त होने के पन्द्रह दिनों में किराएदार द्वारा किराया अदा न करने के 30 दिनों में यदि मकान मालिक बकाया किराए का कोई लिखित नोटिस किराएदार को नहीं देता है तो उस माह का किराया भुगतान किया हुआ माना जाएगा।  लेकिन किसी भी देश में कानून हमेशा जन समूहों के दबाव से बनते हैं। आज कल सरकारों पर हमेशा मकान मालिक वर्ग का प्रभाव है।  इस कारण इस तरह का कानून बनाए जाने की संभावना बिलकुल नहीं है।

प की परिस्थितियाँ ऐसी हैं कि आप को मकान मालिक के दबाव में रहना ही होगा। उसे उस का इच्छित किराया देना होगा। अन्यथा मकान खाली करना होगा। हाँ, मकान खाली कराने के समय इतना अवश्य करें कि मकान मालिक से ऐसी रसीद प्राप्त कर लें कि मकान का कब्जा प्राप्त कर लिया है और कोई किराया बकाया नहीं है। अन्यथा मकान मालिक दावा करने की तिथि से 36 माह पहले तक के किराए का दावा कभी भी कर सकता है।

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