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मुकदमे का निर्णय होने तक शान्ति से प्रतीक्षा कीजिए . . .

Havel handcuffसमस्या-
हैदरगढ़, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश से यू.एस.पाण्डेय ने पूछा है –   

मेरा एक मकान ग्राम खेमीपुर, जिला बाराबंकी, उत्तर प्रदेश में स्थित है। मेरे मकान के सहन के एक हिस्से पर पड़ौस में रहने वाले एक पडौसी ने आज से तीन वर्ष पहले कब्ज़ा कर लिया है।  हम पुलिस के पास गए और पुलिस ने धारा 145 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत केस दर्ज कर दिया जो एसडीएम के न्यायालय में चल रहा है। अभी कोई फैसला नहीं हुआ। लेकिन विरोधी मेरी जमीन पर काबिज है और कब्ज़ा करने कि कोशिश कर रहे हैं। जिसके लिए पुलिस के पास जाते हैं तो विरोधी से पैसा लेते हैं हमें धमकी देते हैं। ज्यादा कोशिश करो तो 107, 151 धारा 145 दंड प्रक्रिया संहिता में बंद कर देते हैं। फ़िलहाल हमें न पुलिस से न एसडीएम से न्याय मिल पा रहा है। क्या करें, बहुत परेशान हैं।

समाधान-

प के मकान की जमीन पर पड़ौसी ने कब्जा कर लिया। पुलिस ने धारा 145 धारा 145 दंड प्रक्रिया संहिता में मामला दर्ज कर के न्यायालय को शिकायत प्रस्तुत कर दी। इस मामले में एसडीएम के न्यायालय को यह निर्णय करना है कि क्या विवादित तिथि को जिस दिन आप पड़ौसी द्वारा आप की भूमि पर कब्जा करना बताते हैं उस दिन के पहले आप का कब्जा था और पडौसी ने जबरन कब्जा कर लिया। यदि वे ऐसा पाते हैं तो भूमि का कब्जा आप को सौंपने का आदेश दिया जा सकता है। लेकिन यह आदेश सुनवाई दोनों पक्षों के की साक्ष्य होने के उपरान्त ही दिया जा सकता है। आप ने यह नहीं बताया कि मुकदमा किस स्तर पर चल रहा है। इस कारण कुछ कह सकना असंभव है।

म तौर पर न्यायालयों में मुकदमों की संख्या बहुत होती है। एसडीएम एक प्रशासनिक अधिकारी भी होता है जो प्राथमिक रूप से प्रशासनिक कार्यों को अधिक महत्व देता है। इस कारण से इस तरह के मामलों में बहुत देरी होती है। इस के लिए राज्य में अधिक न्यायालय होना चाहिए। प्रशासनिक अधिकारियों को इस तरह के न्यायालय संबंधी कार्य नहीं सोंपे जाने चाहिए। ये सभी राज्य में न्यायिक सुधारों से ही संभव है। लेकिन पीड़ित लोग राज्य से इस की मांग नहीं करते। यह कभी राजनीति का विषय नहीं बनता। वोट मांगने आने पर कभी लोग इस बात की मांग नहीं करते कि किसी भी न्यायालय में मुकदमे का निर्णय एक वर्ष में हर हाल में होने जैसी व्यवस्था होनी चाहिए। इस कारण से कोई भी सरकार न्यायिक सुधारों की तरफ कोई ध्यान नहीं देती है। इसी कारण से न्यायार्थी भटकते रहते हैं।

ह अधिक भूमि पर कब्जा नहीं कर सकता क्यों कि न्यायालय में यह स्थिति तो स्पष्ट ही होगी कि किस भूमि पर आप का कब्जा है और किस भूमि पर उस का। यदि उस के कब्जे की विवादित भूमि पर आप कब्जा करने का प्रयत्न करेंगे तो पुलिस निश्चित रूप से आप के विरुद्ध ही कार्यवाही करेगी न कि उस के विरुद्ध। आप के मामले में निर्णय तो एसडीएम के न्यायालय से ही होगा। आप एक काम कर सकते हैं कि अपने वकील को कह सकते हैं कि वह न्यायालय पर जल्दी निर्णय का दबाव बनाए। चूंकि आप के पड़ौसी का वर्तमान में कब्जा है इस कारण से वह कब्जा आप को न्यायालय के निर्णय के उपरान्त ही मिल सकेगा। तब तक आप को शान्त हो कर बैठना ही पड़ेगा।

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