DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

मुस्लिम विधि में कोई पैतृक या सहदायिक संपत्ति नहीं।

muslim inheritanceसमस्या-

आर एस ध्रुव ने धमतरी, छत्तीसगढ़ से समस्या भेजी है कि-

क्या एक मुस्लिम अपने जीवनकाल में अपनी सारी संपत्ति का बँटवारा कर सकता है? उसे संपत्ति अपने पिता से वसीयत में मिली है।

समाधान

मुस्लिम विधि में कोई भी संपत्ति पैतृक या सहदायिक नहीं होती। केवल संयुक्त संपत्ति हो सकती है। लेकिन उस संयुक्त संपत्ति में किसी भी व्यक्ति का हिस्से पर उस का संपूर्ण अधिकार होता है न की उस में किसी अन्य का कोई अधिकार। इस तरह किसी भी मुस्लिम की संपत्ति उस की निजि संपत्ति होती है। इसी तरह किसी भी व्यक्ति को वसीयत में मिली संपत्ति उस की निजि संपत्ति होती है।

पिता से किसी मुस्लिम को वसीयत में प्राप्त संपत्ति उस की व्यक्तिगत संपत्ति है न कि संयुक्त या पैतृक या सहदायिक संपत्ति। इस कारण उस का बँटवारा किया जाना संभव नहीं है। हाँ एक मुस्लिम अपनी संपत्ति को दान कर सकता है, या विक्रय कर सकता है। यदि किसी मुस्लिम को अपनी संपत्ति का बँटवारा कुछ लोगों में करना है तो वह ऐसा केवल संपत्ति हस्तान्तरण की किसी विधि द्वारा कर सकता है। जब कि वह केवल अपने अंतिम संस्कार के खर्च और कर्जों को चुकाने के बाद बची हुई संपत्ति का एक तिहाई ही उन लोगों को वसीयत कर सकता है जो उस के उत्तराधिकारी नहीं हों। यदि किसी उत्तराधिकारी को वसीयत करना हो तो उस के शेष सभी उत्तराधिकारियों की सहमति आवश्यक होगी। इस तरह एक मुस्लिम द्वारा अपनी संपत्ति का बँटवारा किया जाना संभव नहीं है।

Print Friendly, PDF & Email
One Comment