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यदि सारी राशियाँ एक उत्तराधिकारी ने प्राप्त कर ली हैं तो हिस्सा प्राप्त के लिए दीवानी वाद करना होगा।

हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियमसमस्या-

हरीश तिवारी ने टीकमगढ़, मध्यप्रदेश से पूछा है-

मेरे पिताजी नगरपालिका में लेखापाल के पद पर कार्यरत थे। 25-04-2013 को उनकाअचानक स्‍वर्गवास हो गया । उनके स्‍वर्गवास के बाद विभाग से मिलने वालेबकाया वेतन, ग्रेच्यूटी और प्रोवीडेण्ट फन्‍ड के लिए मेंने कई आवेदन दिएलेकिन उस पर मेरी सौतेली मां जिनसे पिताजी ने 8-9 साल पहले मेरी रीयल मदरके स्‍वर्गवास के बाद विवाह किया था, ने आपत्ति प्रस्‍तुत की है वो चाहती हैकि पैसा पूरा उन्हें दिया जावे। एवं पिताजी की सर्विस रिकार्ड मेंनोमीनेशन में मेरी पहली रीयल मदर एवं मेरा नाम है नोमीनेशन होने के बाद भीमुझे अभी तक उनके किसी भी स्‍वत्‍व का भुगतान नहीं किया गया है औरनगरपालिका द्वारा हम दोनों को उत्‍तराधिकारी प्रामणपत्र लाने को कहा गया हैकि जो भी उत्‍तराधिकारी प्रामणपत्र ले आएगा उसे हम भुगतान कर देंगे ।नगरपालिका में उत्‍तराधिकारी प्रामणपत्र हम दोनों में से किसी ने भी पेशनहीं किया है । फिर भी नगरपालिका मुख्‍य अधिकारी द्वारा पिताजी का पूरापैसा मेरी सौतेली मां के खाते में २ महीने पहले ही जमा कर दिया गया है।जबकि मेरी सौतेली मां के पास मेरे पिताजी से शादी करने का कोई वैधप्रमाणपत्र नहीं है। फिर भी पूरा पैसा उनके खाते में क्‍यों जमा करा दियागया है अगर यह गलत तरीके से जमा कराया गया हे तो मुझे क्‍या कार्यवाही करनीचाहिए और किसके विरूद्ध करनी चाहिए?

समाधान-

प स्वयं मान रहे हैं कि आप की सौतेली माँ से आप के पिता ने आप की माता जी की मृत्यु के बाद विवाह किया था। जरूरी नहीं कि विवाह का कोई प्रमाण पत्र हो ही। अन्य प्रकार से वे खुद को आप के पिता की वैध पत्नी साबित कर सकती हैं। इस तरह उन्हें भी आप का पिता का उत्तराधिकार प्राप्त है। आप की सौतेली माता को पेंशन प्राप्त करने का अधिकार है वह उन्हें ही प्राप्त होगी।

हाँ तक अन्य प्राप्तियों ग्रेच्युटी, प्रोविडेण्ट फण्ड व बकाया वेतन का का प्रश्न है, उस पर आप के पिता के सभी उत्तराधिकारियों को समान अधिकार है और आप का भी उस पर अधिकार है। बिना किसी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के प्रस्तुत किए वे सभी राशियाँ आप की सौतेली माँ को कैसे दे दी गई हैं इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं है। यह तो नगरपालिका प्रशासन ही बेहतर बता सकता है। उस के लिए आप को आरटीआई का उपयोग करना चाहिए।

दि अभी भी राशियाँ नगरपालिका के पास हैं तो आप को चाहिए कि आप तुरन्त स्थाई निषेधाज्ञा (Permanent Injunction) का वाद दीवानी न्यायालय में प्रस्तुत कर उन का आप की सौतेली माता जी को भुगतान रुकवाएँ। जिस से उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद वे राशियाँ आप को प्राप्त हो सकें। यदि आप की माता जी को वे राशियाँ उन के बैंक खाते में अदा कर दी गई हैं तो आप को माता जी से उन राशियों में से अपना हिस्सा प्राप्त करने के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत करना होगा। इस वाद में बैंक को पक्षकार बना कर उस राशि को आप की माता जी को बैंक से निकलवा कर प्रयोग करने पर रोक लगाने के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा का आदेश प्राप्त करना होगा। इस मामले में आप को तुरन्त किसी स्थानीय वकील को दस्तावेजों सहित सारे तथ्य बता कर उस की सलाह के अनुसार उचित कार्यवाही आरंभ कर देनी चाहिए।

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