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लड़कियों के विवाह खर्चे का दायित्व संपूर्ण परिवार का है, न कि सिर्फ लड़कियों के हिस्से का।

rp_Hindu-marrige5.jpg समस्या-

संजीव कुमार ने समस्तीपुर बिहार से समस्या भेजी है कि-

क्या मेरी विवाहित बहनें, मेरे पैतृक निवास के मकान वाली भूमि (वसुकित खतियानी भूमि) में बने मकान तथा भूमि में भी बटवारा सूट दायर कर अपना हिस्सा ले सकती हैं? मेरे पिताजी ने मेरे बहनों की शादी में खर्च के लिए पैतृक जमीन बेचे थे। मेरी बहनें भूमि बटवारा के लिए कोर्ट में केस दायर करेगी तो पूर्व में मेरे पिताजी द्वारा उसके शादी के लिए बेचे गये जमीन को उसके हिस्से में से घटाया जायेगा या नहीं? मेरे स्व. चाचा ने अपने जीवनकाल में अपने हिस्से का पैतृक/उत्तराधिकार जमीन मुझे वर्ष 2010 में गिफ्ट डीड कर दिया था, क्या इसमें भी मेरी विवाहित बहनें बटवारा सूट दायर कर हिस्सा ले सकती है? मेरे पिता की मृत्यृ सरकारी सेवा में रहते हुए वर्ष 2005 में हुआ था। सरकार द्वारा मिलने वाली सभी लाभ राशि मेरे विधवा मॉं ने अपने पास रखा, उसमें से मुझे कुछ भी नहीं मिला, क्या मुझे अब उस राशि में हिस्सा प्राप्त हो सकता है, इसके लिए मुझे किस प्रकार वाद दायर करना होगा?

समाधान

हनों का विवाह केवल बहनों का दायित्व नहीं है, वह पूरे परिवार का दायित्व है। यदि आप के परिवार के कर्ता (मुखिया) आप के पिताजी ने उस काम के लिए कोई जमीन बेची है तो वह पूरे परिवार का खर्चा है। उस खर्चे को आप अपनी बहनों पर किया खर्च कह कर यह नहीं कह सकते कि इस कारण से उन का पिता की या पुश्तैनी संपत्ति पर अधिकार कम या समाप्त हो गया है। उन का अधिकार वैसे ही बना हुआ है जैसे कि आप का अधिकार आप की पैतृक भूमि में आप के विवाह के बाद भी बना हुआ है। वे संपत्ति के बंटवारे का वाद कर सकती हैं। बेची हुई जमीन पूरी जमीन में कम हुई है न कि बहनों के हिस्से में से कम हुई है।

प के चाचा ने अपने हिस्से की जमीन आप को गिफ्ट डीड निष्पादित कर आप को उपहार में दी है वह आप की निजि जमीन है उस में से कोई भी हिस्सा प्राप्त नहीं कर सकता। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 30 के अनुसार पुश्तैनी संपत्ति में कोई भी हिस्सेदार अपने हिस्से की भूंमि को हस्तान्तरित कर सकता है या वसीयत कर सकता है।

प की माता जी को सरकार से जो राशि मिली है या तो उस पर केवल आप की माताजी का अधिकार था इस कारण उन को प्राप्त हुई है या फिर विभाग ने वह राशि तभी उन्हें दी होगी जब कि सभी अन्य अधिकारी व्यक्तियों ने उस पर अपनी सहमति दी होगी। इस कारण उस राशि का हिस्सा आप को मिलना संभव प्रतीत नहीं होता। फिर भी यदि कोई किसी राशि के संबंध में आप की माता जी नॉमिनी रही हों तो वह राशि उन्हें ट्रस्टी के रूप में प्राप्त हुई है। जिस का विधिपूर्वक बँटवारा उन्हें आप के पिता के सभी उत्तराधिकारियों के बीच करना चाहिए था। यदि ऐसा है तो आप अपनी माताजी से ऐसी राशि में अपना हिस्से की मांग कर सकते हैं और न दिए जाने पर दीवानी वाद कर सकते हैं। लेकिन यदि उक्त राशि को मिले 3 वर्ष से अधिक हो चुके हैं तो आप का दावा करने का अधिकार मियाद से बाधित हो चुका होगा। इस मामले में आप दस्तावेज दिखाते हुए अपने क्षेत्र के किसी दीवानी मामलों को देखने वाले वकील से सलाह ले कर ही आगे बढ़ें तो उत्तम होगा।

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