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लिव इन रिलेशन में कोई कानूनी दायित्व या अधिकार नहीं।

rp_judicial-sep8.jpgसमस्या-

राकेश अग्रवाल ने गंगानगर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरी छोटी बहन की शादी समाज मे होने के बाद जीजाजी के सेठ जी (स्वंय भी विवाहित) ने बहन को फँसाकर जीजाजी से रिश्ता मौखिक तोडाकर ता उम्र साथ निभाने का वादा करते हुए उस के दोनों लड़को व एक लड़की सहित अपना कर (वर्ष २००० से) अलग रखकर दोनो पत्नियों से संबध बनाये हुए हैं। सिर्फ भरण पोषण योग्य राशि भी देते हैं, रहने का मकान सेठजी के नाम पर है। उम्र के साथ अय्याशी बढ़ने के साथ बहन से मोह भंग हो रहा है, शहर का प्रतिष्ठित और प्रमुख व्यापारी होने के बाद भी मेरे भान्जो को कहीं व्यापार में सेट नहीं कर रहा है ना ही पिता जैसा प्यार देता है। लिव इन रिलेशनशिप के चलते अब मेरी बहन व उसके बच्चो का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है। बहन के नाम पर कुछ नहीं किया ना उस ने कुछ करवाया। बहन से जीवन में बडी भारी गलती तो हो गयी पर अब अपने व बच्चो के भविष्य के लिये क्या करना चाहिये? अगर उसका कोई कानूनी अधिकार बनता है तो उसके लिये क्या करना होगा

समाधान-

क हिन्दू विवाह में पत्नी को भरण पोषण का और मृत्यु के उपरान्त पति की संपत्ति में उत्तराधिकार के सिवा और कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता। यदि पति अपनी सारी संपत्ति को वसीयत कर दे तो पत्नी उत्तराधिकार से भी वंचित हो जाती है। तब लिव इन रिलेशन में किसी अधिकार की मांग कैसे की जा सकती है। लिव इन रिलेशन बिना किसी दायित्व और अधिकार के एक दूसरे के साथ रहने का समझौता है। इस में किसी तरह का कोई अधिकार उत्पन्न नहीं होता। दोनों पक्ष अपने लिए स्वयं जिम्मेदार होते हैं। एक लंबे समय तक साथ रहने और पत्नी के जैसा व्यवहार करने के कारण स्त्री को अपने साथी से भरण पोषण कराने का अधिकार है, इस से अधिक कुछ भी नहीं।

हाँ तक आप की बहिन के बच्चों का प्रश्न है, वे बालिग हो चुके होंगे या हो जाएंगे। सेठ जी आप की बहिन और बच्चों का भरण पोषण कर ही रहे हैं। बालिग हो जाने के बाद तो हिन्दू माता पिता पर भी अपने बच्चों के भरण पोषण करने का कोई कानूनी दायित्व नहीं है। फिर लिव इन रिलेशन में रहने पर स्त्री के पति से उत्पन्न बच्चों का दायित्व लिव इन रिलेशन वाले पति पर नहीं डाला जा सकता।

लिव इन रिलेशन का अर्थ ही यह है कि स्त्री और पुरुष सब कानूनी दायित्वों से अलग हैं और केवल अपनी इच्छा से साथ रह रहे हैं। इस में किसी तरह का कोई अधिकार उत्पन्न नहीं होता। यदि इस में किसी प्रकार का कोई अधिकार उत्पन्न होगा तो यह भी विवाह का ही एक प्रकार हो जाएगा लिव इन रिलेशन नहीं रहेगा।

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