DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

वसीयत का पंजीकृत होना आवश्यक नहीं ।

वसीयत कब करेंसमस्या-
प्रभुदयाल ने कोटा,  राजस्थान से पूछा है-

मेरे परदादा ने पहले एक वसीत अपने बड़े पुत्र के नाम पंजीकृत कराई थी। उस के बाद उन्हों ने एक वसीयत दो रुपये के स्टाम्प पेपर पर लिखी कि मैंने पहले जो वसीयत पंजीकृत की थी उसे निरस्त करता हूँ और मेरी जो चल अचल संपत्ति है उसे मैं अपने दोनों पुत्रों के बीच में बराबर बाँटता हूँ। किन्तु यह दूसरी वसीयत पंजीकृत नहीं है लेकिन यह दो रुपये के स्टाम्प पेपर पर है। क्या इस का पंजीकृत होना जरूरी था जब कि दस्तावेज 27.05.1984 का है जब कि एसीजेएम कोर्ट गंगापुर सिटी ने इस दस्तावेज को पंजीकृत मांगा है।

समाधान-

कोई भी न्यायालय किसी पक्षकार से दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए नहीं कहती। यह तो मुकदमे के पक्षकार का काम है कि वह अपने पक्ष का कोई भी दस्तावेज यथासमय प्रस्तुत कर सकता है।

किसी भी वसीयत का पंजीकृत होना आवश्यक नहीं है। इस कारण किसी पंजीकृत वसीयत को प्रस्तुत करने के लिए न्यायालय नहीं कह सकता है।

प के मामले में दो वसीयत हैं। ऐसी स्थिति में जो वसीयत बाद की है वह मान्य होगी। लेकिन पक्षकारों को दोनों वसीयतों में यह साबित करना होगा कि वसीयत करने वाले व्यक्ति ने दो गवाहों की उपस्थिति में वसीयत पर हस्ताक्षर किए थे और उन दोनों गवाहों की उपस्थिति में वसीयत पर हस्ताक्षर किए थे। इस के लिए प्रत्येक वसीयत के कम से कम एक गवाह को न्यायालय में गवाह के रूप में उपस्थित कर उस का बयान कराना होगा।

दि इस प्रकार दूसरी वसीयत को आप ने न्यायालय में प्रमाणित कर दिया तो यह दूसरी वसीयत पहली वसीयत के मुकाबले में अधिमान्य होगी।

Print Friendly, PDF & Email