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विवाह और संतान की वैधता

adoptionसमस्या-
विजय कुमार ने उदयपुर राजस्थान से पूछा है-

2008 में विवाह के समय हिन्दू वर की आयु 20 वर्ष एवं वधु की आयु 21 वर्ष थी। विवाह के समय वर की जन्‍म तिथि जुलाई 1989 व वधु की 1988 थी।  जुलाई 2009 में शादी के एक साल बाद एक संतान जिसका जन्‍म पंजीयन भी करवाया हुआ है।  जून 2010 में वर के 21 वर्ष पूर्ण होने के दो चार दिन बाद की तिथि पर शादी का पंजीयन करवाया गया। यदि संतान की वास्‍तविक जन्‍म तिथि ही कहीं उल्‍लेख करें तो, वास्‍तविक शादी एवं शादी प्ंजीयन के बीच संतान पैदा होना, शादी की पुष्टि के रूप में एवं 21 वर्ष से कम उम्र में शादी के कारण या शादी से पूर्व संतान उत्‍पन्‍न करना। किसी प्रकार की जनप्रतिनिधित्‍व या राजकीय सेवा में अयोग्‍यता का आधार तो नहीं होगा? या फिर लिव इन रिलेशनशिप के तर्क से यह बात तो पैदा नहीं होगी कि जिस वधु से संतान हैं उसी के नाम का शादी पंजियन है। क्‍या यह शादी अमान्‍य है। क्‍या यह शादी कानूनी रूप से उचित है। कानूनी रूप से क्‍या सही होगा?

समाधान-

स विवाह में एक ही त्रुटि है कि विवाह के समय वर की आयु विवाह योग्य आयु से कम थी। विवाह का पंजीयन तब कराया गया जब वर की आयु विवाह योग्य हो गयी। अब पंजीयन के हिसाब से विवाह विवाह योग्य उम्र में हुआ है। विवाह पहले भी वैध था और अब भी वैध है। विवाह योग्य उम्र न होने से विवाह अवैध नहीं होता केवल वह कानून का उल्लंघन है तथा अपराध है। किन्तु अब उस विवाह को हुए इतना समय हो चुका है कि उस अपराध के लिए अब न तो कोई अभियोजन चलाया जा सकता है और न ही दंडित किया जा सकता है।

स मामले में अन्तर्विरोध बस इतना है कि संतान का जन्म पंजीकृत विवाह की तिथि के पहले हो गया है। यदि यह मान लिया जाए कि विवाह पूर्व संतान उत्पन्न हो गई है तो भी कभी कोई सन्तान अवैध नहीं होती वह सदैव वैध ही होती है।

स विवाह से न माता-पिता को और न ही संतान को किसी प्रकार की कोई समस्या होगी। केवल यह प्रश्न कभी भी और कहीं भी पूछा जा सकता है कि विवाह के पूर्व संतान कैसे उत्पन्न हो गई? उस के उत्तर में स्पष्ट बता दें कि वास्तविक विवाह तो जल्दी ही हो गया था। लेकिन रजिस्ट्रेशन बाद में कराया गया। इस से परेशानी कुछ भी नहीं होगी।

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