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विवाह का उपभोग न होने की स्थिति में न्यायालय विवाह को शू्न्य घोषित कर सकता है।

rp_anxietysymptoms5.jpgसमस्या-

गौरव ने सूरतगढ़, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरी एक सहपाठी, (सूरतगढ, श्रीगंगानगर) की शादी 10 मार्च को बीकानेर हुई है। शादी के बाद उसे पता चला की उसका पति एक किन्नर है। ये बात उस लड़के को और उसके परिवार वालों को पहले से पता थी, लेकिन उन्हों ने ये बात इन लोगों से छिपाकर शादी करवा दी। अब लडकी वालों को किस प्रकार की कार्यवाही करनी चाहिए। जिस से कि उन लोगों पर कडी से कडी कार्यवाही हो सके।

समाधान-

प की सहपाठी का कहना है कि लड़का शारीरिक कारणों से पुरुष नहीं है या नपुंसक है जिस के कारण विवाह का उपभोग (Consummation of Marriage) नहीं हुआ, न हो सकता है। हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 12 (1) (ए) के अन्तर्गत यह एक शून्यकरणीय विवाह है। इस विवाह को आप की सहपाठी के आवेदन पर न्यायालय अकृत घोषित करने की डिक्री पारित कर सकता है। आप की सहपाठी को इस के लिए तुरन्त आवेदन कर देना चाहिए।

दि आप के सहपाठी के पति और उस के परिवार वालों को यह पहले से पता था कि आप की सहपाठी का पति शारीरिक कारणों से पुरुष नहीं है अथवा विवाह का उपभोग करने में सक्षम नहीं है तो यह छल है जो कि भारतीय दंड संहिता की धारा 417, 418, 419 के अन्तर्गत अपराध है। आप की सहपाठी इस अपराध के लिए विवाह संपन्न होने वाले स्थान पर अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट के न्यायालय को परिवाद प्रस्तुत कर सकती है जिस पर मजिस्ट्रेट प्रसंज्ञान ले कर अभियोग की सुनवाई कर सकता है और अभियोग साबित होने पर छल के लिए दोषी सभी व्यक्तियों को दंडित कर सकता है।

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