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विवाह विच्छेद की एक पक्षीय निर्णय और डिक्री के बाद विवाह

 एस. सोनकर ने पूछा है –
मेरे जबलपुर (म.प्र.) निवासी मित्र का विवाह 05.06.2006 को कानपुर (उ.प्र.) निवासी महिला से हुआ था। विवाह के कुछ समय बाद ही दोनों में विवाद आरंभ हो गया। पत्नी मायके जा कर रहने लगी। मेरे मित्र ने एक साधारण पत्र पंजीकृत डाक से पत्नी को भेजा जिसे प्राप्त कर लिया गया लेकिन कोई उत्तर नहीं दिया। दो माह बाद परिवार न्यायालय में मुकदमा किया जहाँ से भेजा गया पंजीकृत नोटिस को लेने से मना कर दिया  गया। अंततः न्यायालय ने विवाह-विच्छेद की डिक्री पारित कर दी। डिक्री पारित होने के दस माह बाद मित्र ने दूसरा विवाह जबलपुर न्यायालय में कर लिया। 16 माह हो चुके हैं कोई अपील नहीं की गई है। कृपया बताएँ कि अब क्या होगा? कोई परेशानी तो नहीं होगी। 
 उत्तर –
सोनकर जी,
प के मित्र ने विवाह किया, फिर पति-पत्नी के मध्य विवाद हुआ। पत्नी अपने मायके चली गई। आप के मित्र ने उसे रजिस्टर्ड डाक से विवाद समाप्ति के लिए पत्र लिखा। उस ने कोई उत्तर नहीं दिया। फिर मित्र ने विवाह-विच्छेद के लिए परिवार न्यायालय में आवेदन किया। न्यायालय द्वारा भेजे गए नोटिस को उस ने लेने से मना कर दिया। 
दि अदालत से किसी भी कार्यवाही के लिए किसी व्यक्ति को कोई नोटिस या समन प्राप्त होता है तो उसे उस नोटिस या समन को प्राप्त करना चाहिए और उसे जो भी बात कहनी है वह अदालत को लिखित में देनी चाहिए। लेकिन जब कोई नोटिस या समन को लेने से इन्कार करता है तो अदालत यह धारणा करती है कि जिसे नोटिस/समन भेजा गया है उसे इस बात का ज्ञान हो गया है कि किसी व्यक्ति ने उसे पक्षकार बनाते हुए कोई कार्यवाही संस्थित की है और उसे न्यायालय में उपस्थित होना चाहिए। अदालत निश्चित तारीख-पेशी पर उस की उपस्थिति की प्रतीक्षा भी करती है। यदि वह व्यक्ति उपस्थित हो जाता है तो ठीक, अन्यथा उस के विरुद्ध यह मानते हुए कि वह जानकारी होने के बाद भी उस मामले में कुछ नहीं कहना चाहता है और न ही अपना पक्ष रखना चाहता है, एक-पक्षीय सुनवाई की जाती है। केवल प्रार्थी/वादी पक्ष की साक्ष्य ग्रहण कर सुनवाई की जा कर मुकदमे का निर्णय कर दिया जाता है। ऐसे निर्णय के उपरांत भी यदि किसी को उस निर्णय  से आपत्ति हो तो उसे निर्णय से 30 दिनों में अपना आवेदन निर्णय और डिक्री को अपास्त कराने हेतु प्रस्तुत करना चाहिए। जिस पर सुनवाई कर अदालत एक-तरफा निर्णय व डिक्री को अपास्त कर पुनः सुनवाई कर सकती है। 
प के मित्र के मामले में विवाह विच्छेद का निर्णय और डिक्री पारित होने के दस माह बाद विवाह किया है। उस का यह दूसरा विवाह वैध है क्यों कि पहले वाला विवाह विच्छेद हो चुका है। विवाह के उपरांत भी 16 माह गुजर चुके हैं। निर्णय और डिक्री को अपास्त कराने या उन की अपील करने की अवधि दूसरे विवाह के पूर्व ही समाप्त हो चुकी थी। वैसी स्थिति में मित्र की तलाकशुदा पत्नी को करने

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