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विवाह विच्छेद हेतु क्रूरता और परित्याग के आधार

समस्या-

बीकानेर, राजस्थान से महेश कुमार पूछते हैं …

मैं पाँच वर्ष से विवाहित हूँ।  मेरी पत्नी विगत 10 वर्षों से द्विध्रुवीय विकार तथा तीव्र अवसाद (Bipolar disorder and acute depression) की समस्या से पीड़ित है।  मुझे अपनी पत्नी कि उक्त समस्या की जानकारी विवाह के दो वर्ष के बाद हुई।  मैं ने पतनी और उस के मायके वालों से इस संबंध में बातद की लेकिन वे इस समस्या को हल करने में मदद को तैयार नहीं हैं।  पत्नी ने मुझे धमकाया है कि वह मेरे ही सामने कूद कर आत्महत्या कर लेगी। अब वह पिछले दो वर्षों से अपने पिता के घर पर है।  मुझे वैधानिक विवाह विच्छेद के लिए क्या करना चाहिए?  मैं जानता हूँ कि उस की स्वास्थ्य संबंधी समस्या के कारण मुझे विवाह विच्छेद प्राप्त नहीं हो सकता।

समाधान-

प का यह कहना सही है कि आप की पत्नी को जो स्वास्थ्य संबंधी समस्या है उसे आधार बना कर आप का विवाह विच्छेद नहीं हो सकता। यदि आप उन सारी परिस्थितियों और तथ्यों को कुछ विस्तार से प्रकट करते जिन के चलते आप की पत्नी उस के मायके में दो वर्ष है तो हमें आप को समाधान बताने में कुछ आसानी होती।

दि दो वर्ष से आप की पत्नी मायके में है तो संभवतः इस कारण से कि वह यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि उसे कोई स्वास्थ्य समस्या है और यदि है तो वह विवाह के पहले से है। संभवतः वे यह समझते हैं कि यह स्वीकार कर लेने से वे दोषी सिद्ध हो जाएंगे। आप को उन्हें यह समझाने का प्रयत्न करना चाहिए था कि यदि वे ये दोनों बातें स्वीकार कर भी लेते हैं तो भी विवाह पर कोई अंतर नहीं पड़ेगा। हो सकता है कि वे इस समस्या के चिकित्सकीय हल के तैयार हो जाते। खैर, वह समय निकल चुका है।

प ने पूरी सद्भावना के साथ अपनी पत्नी और उस के मायके वालों के समक्ष अपनी पत्नी के स्वास्थ्य के बारे में बात की उस समस्या के चिकित्सकीय हल की बात की है। यदि वे इस सद्भावना पूर्ण कृत्य को अन्यथा लेते हैं और आप को धमकाते हैं और आप की पत्नी अपने मायके जा कर बैठ जाती है तो निस्सन्देह यह आप के प्रति क्रूरतापूर्ण व्यवहार है। इस के साथ ही आप की ओर से कोई कारण न होने पर भी आप की पत्नी ने अपने मायके जा कर बैठ कर आप को दांपत्य जीवन से वंचित किया है। इस तरह उस ने विगत दो वर्षों से आप का परित्याग किया हुआ है।

प अपनी पत्नी के विरुद्ध क्रूरता और परित्याग के आधारों पर विवाह विच्छेद हेतु आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। यदि इस बीच कोई समझौते की गुंजाइश निकलेगी भी तो न्यायालय के समक्ष निकल जाएगी। न्यायालय का स्वयं यह दायित्व है कि तलाक के प्रत्येक मामले में वह दोनों पक्षों के मध्य एक बार दाम्पत्य को बचाने हेतु समझाइश करे और दोनों के मध्य समझौता कराने का प्रयत्न करे।

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