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संयुक्त संपत्ति का बँटवारा कैसे होगा?

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संदेश चौरसिया ने बीना, जिला सागर मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरे दादा जी ने १९५५ में एक घर ख़रीदा। कुछ समय बाद उन की मृत्यु हो गई। उस के बाद मेरे पिता जी के बड़े भाई (ताऊ) शादी होने के बाद घर छोड़ कर चले गए। कुछ समय बाद उन्होंने घर का कुछ हिस्सा बेच दिया दादी की मर्जी से। उस टाइम मेरे पिताजी की उम्र १७ थी, जिस में उन के भी हस्ताक्षर हुए। बेचने के बाद घर का नांमांतरण नहीं हुआ। मेरी दादी की भी मृत्यु हो चुकी है २००३ में। अब मेरे ताऊ जी के पुत्र उस में अपना हिस्सा बता रहे हैं कृपया सलाह दें। मेरे दादाजी के ४ संताने थीं जिन में २ पुत्र २ पुत्री हैं जिन में से ताऊ जी की मृत्यु हो चुकी है।

समाधान

दादा का खरीदा हुआ मकान उन की मृत्यु के उपरान्त संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति हो गया। जिस में दादी, ताऊ जी आप के पिता जी और दो बुआओँ का बराबर हिस्सा था। उस के बाद तीनों के हस्ताक्षर से उस का कुछ हिस्सा बेच दिया गया। साधारण रूप से यह माना जाएगा कि उक्त हिस्सा तीनों ने विक्रय किया जब तक कि अन्यथा रूप से यह प्रमाणित नहीं कर दिया जाता कि ताऊजी ने अपना हिस्सा बेच दिया था। इस तरह मकान का जो हिस्सा बचा उस पर भी पाँचों का स्वामित्व था। लेकिन यदि आप साबित करते हैं कि जो हिस्सा बेचा गया वह ताऊजी का था और उक्त बेचान के उपरान्त ताऊजी का कोई हिस्सा मकान में नहीं रहा तो शेष हिस्से के केवल चार हिस्सेदार रह गये।

लेकिन दादी की मृत्यु के उपरान्त उन का हिस्सा पुनः उन के पुत्र पुत्रियों को मिल गया। इस तरह ताऊजी या उन के उत्तराधिकारियों का फिर से शेष संपत्ति में 1/5 X ¼ = 1/20 हिस्सा हो गया। यदि यह माना जाए कि बेचा गया मकान केवल आप के ताऊजी के तत्कालीन हिस्से का न हो कर सब के हिस्से से बेचा गया था तो शेष संपत्ति में ताऊजी के उत्तराधिकारियों का ¼ हिस्सा होगा।

स के निर्धारण का यही तरीका है कि ताऊजी के उत्तराधिकारी या आप के पिताजी मकान के विभाजन का वाद प्रस्तुत करें। आप के पिताजी यदि यह साबित कर पाते हैं कि तब ताऊजी के हिस्सा अलग कर के उसे बेचा गया था और शेष संपत्ति में उन का कोई हक नहीं रह गया था तो उन के उत्तराधिकारियों को 1/20 हिस्सा मिलेगा और यदि यह साबित नहीं होता है तो उन्हें ¼ हिस्सा मिलेगा।

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