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सरकारी कर्मचारी किन किन गतिविधियों में भाग नहीं ले सकता … भाग-3

 प्रवीण त्रिवेदी (प्राइमरी का मास्टर) ने कुछ प्रश्न किए थे, जिन का सार है –

रकारी या अर्धसरकारी कर्मचारी या शिक्षक किस हद तक और किस तरह से देश के ज्वलंत  मुद्दों पर अपनी अधिकतम सक्रियता रख सकता है ? क्या उस पर कर्मचारी होने के कारण देश के आम नागरिक को प्राप्त  अधिकारों पर किसी तरह का अंकुश लग जाता है? उसे किसी भी शान्तिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है कि नहीं? … यदि है तो किस हद तक? क्या शांतिपूर्ण अनशन, प्रदर्शन या अन्य  विरोध के तरीकों पर जिला प्रशासन की पूर्वानुमति आवश्यक है? क्या वे कोई अराजनैतिक , सामाजिक, और सांस्कृतिक संगठन बना सकते हैं ….. या उसके अधीन कार्य कर सकते हैं? …….. या उसके अधीन कोई  शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं ?

 उत्तर  –

म ने किसी व्यक्ति के राजकीय सेवा में होने के कारण उस की आचरण संहिता पर विचार आरंभ किया था। आज हम उस के राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने के संबंध में विचार करते हैं। राज्य को सभी के प्रति समानता का व्यवहार करना चाहिए। राज्य का यह व्यवहार उस के कर्मचारियों के व्यवहार से स्पष्ट होता है। इस कारण उस की राजनैतिक गतिविधियों को प्रतिबंधित किया गया है। देश की सभी सरकारी/अर्धसरकारी सेवाओं के आचरण नियमों में आम तौर पर धारा-7 में इस के लिए उपबंध किए गए हैं। इन के अनुसार कोई भी कर्मचारी किसी राजनैतिक दल या ऐसे संगठन का जो राजनीति में भाग लेता हो सदस्य नहीं हो सकता, न उस से किसी तरह का कोई संबंध रख सकता है, न उस की गतिविधियों में भाग ले सकता है, न सहायतार्थ चंदा दे सकता है और न अन्य किसी प्रकार से उस की सहायता कर सकता है। वह किसी राजनैतिक आंदोलन या गतिविधियों में भाग भी नहीं ले सकता है। वह चुनाव के समय मत देने पर अपने प्रभाव का प्रयोग नहीं कर सकता और न ही अन्य प्रकार से उस में दखल दे सकता है। वह मत दे सकता है लेकिन वह इस तरह का संकेत नहीं दे सकता कि उस का मत किस के पक्ष में जाएगा। लेकिन यदि उसे चुनाव संपन्न कराने का कर्तव्य प्रदान किया जाता है और वह चुनाव संपन्न कराता है तो वह आचरण नियमों के विरुद्ध नहीं होगा। लेकिन किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने निवास स्थान या वाहन पर चुनाव चिन्ह, झण्डा आदि प्रदर्शित करने का अर्थ यह लिया जाएगा कि उस ने मतदान में अपने प्रभाव का उपयोग किया है जो कि आचरण नियमों के विरुद्ध है।किसी चुनाव में किसी उम्मीदवार के लिए नामांकन प्रस्ताव या अनुमोदन करना या उस के मतदान/चुनाव अभिकर्ता के रूप में कार्य करना राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेना है।
दि किसी सरकारी कर्मचारी को सकारण यह विश्वास हो कि उस के उच्चाधिकारी या उस के ऊपर के किसी व्यक्ति द्वारा उसे राजनैतिक गतिविधियों में भाग लेने या किसी दल विशेष की सहायता करने के लिए दबाव डाला जा रहा है तो उस का कर्तव

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