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सोसायटी और ट्रेड यूनियनों में आरक्षण के लिए कोई स्थान नहीं

मैंने बी.एस.एन.एल.से जानकारी मांगी थी कि क्या अधिकृत कामगार या अधिकारी संघठण या यूनियन के पदाधिकारियों में अल्पसंख्यक, महिला तथा ओबीसी के लिए आरक्षण की सुविधा उपलब्ध है? मुझे जवाब मिला कि सभी संघठण या युनियन सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत काम कर रहे है इसलिए उनके पदाधिकारियों में किसी प्रकार का आरक्षण रखने के लिए सरकारी कंपनी बाध्य नहीं कर सकती। क्या यह सही है ? किसी सरकारी क्षेत्र में कार्यरत किसी संघठण या युनियन के पदाधिकारियों में महिला, अल्पसंख्यक , ओबीसी, बीसी के लिए आरक्षण नहीं होना चाहिए

-विजय प्रभाकर नगरकर, कामगार संघठण, अहमदनगर, महाराष्ट्र

धिकांश कामगार, मजदूर या कर्मचारियों के संगठन ट्रेडयूनियन एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत होते हैं। ट्रेड यूनियन एक्ट के अंतर्गत पंजीकरण के लिए कुछ अर्हताएँ आवश्यक हैं, उन को पूरा न करने पर लोग ऐसे संगठनों को सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत भी पंजीकृत करवा लेते हैं।

प को बी.एस.एन.एल. ने सही जानकारी दी है। चाहे वह ट्रेड यूनियन एक्ट में पंजीकृत ट्रेड यूनियन हो अथवा सोसायटी एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत सोसायटी, दोनों ही प्रकार के संगठन स्वैच्छिक संगठन हैं। इन का गठन कर्मचारी और अन्य व्यक्ति करते हैं। इन पर आरक्षण लागू नहीं है और न ही किया जा सकता है। कोई सोसायटी केवल किसी ब्राह्मण समुदाय की हो सकती है। इसी तरह किसी उद्योग के किसी विशिष्ठ श्रेणी के कर्मचारी अपना अलग ट्रेड यूनियन संगठन बना सकते हैं। मेरे स्वयं के ज्ञान में है कि कुछ विभागों के अनुसूचित जाति के कर्माचारियों ने अपना अलग संगठन बना रखा है और अनुसूचित जनजाति के लोगों ने अपना अलग संगठन पंजीकृत करवा रखा है। ऐसी स्थिति में आरक्षण संभव भी नहीं है। फिर कामगारों के संगठन केवल कामगारों के संगठन होते हैं। उन में आरक्षण कामगारों की एकता के लिए शत्रु का कार्य करेगा। ऐसे संगठनों में तो हर व्यक्ति एक कामगार मात्र होता है उस की कोई जाति नहीं होती और न ही कोई धर्म होता है। एक ओर कामगार संगठन सारी दुनिया के मजदूरों एक हो! नारा लगाते हैं वहीं उन में आरक्षण क्या उन के इस लक्ष्य में बाधा नहीं बनेगा?

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