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हत्या भी मोटर यान दुर्घटना है यदि उस का संबंध किसी मोटर यान के उपयोग से संबंधित हो

ब्लागर और अधिवक्ता साथी श्री भुवनेश शर्मा ने एक बहुत ही दिलचस्प प्रश्न मुझे प्रेषित किया – 

दि किसी मोटर सायकिल सवार की कोई अपने चौपहिया वाहन से टक्कर मार कर हत्या कर देता है तो क्या मृतक के विधिक प्रतिनिधि मोटरयान दुर्घटना दावा अधिकरण के समक्ष क्षतिपूर्ति के लिए दावा कर सकते हैं? यदि कर सकते हैं तो उन के पास दोनों वाहनों के बीमाकर्ता में से किस के विरुद्ध वाद प्रस्तुत करने का विकल्प है? हत्या के मामले में अदालत में प्रस्तुत आरोप पत्र और निर्णय का क्षतिपूर्ति दावे पर क्या असर होगा?
उत्तर —
भुवनेश जी ने जो प्रश्न सामने रखा है उस के कुछ मुख्य बिंदु हैं। इस में सब से पहले ध्यान देने वाली बात यह है कि हत्यारे ने चौपहिया वाहन का उपयोग हत्या के हथियार के रूप में किया है। दूसरी बात यह है कि क्या मोटर यान का हत्या के हथियार के रूप में उपयोग करने मात्र से एक हत्या को मोटर यान दुर्घटना कहा जा सकता है? यह प्रश्न अनेक मामलों में अदालतों के सामने आया है और उन के निर्णय उपलब्ध हैं।
स मामले में सब से दिलचस्प मामला मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के सामने खैरुन्निसा व अन्य बनाम सुभाष उर्फ पंजाबी व अन्य के मुकदमे में आया। इस मामले में दो ट्रकों में टक्कर हुई। एक ट्रके ड्राइवर ने दूसरे ड्राइवर को दोषी मानते हुए बंधक बना लिया। दोनों में झगड़ा हुआ और बंधक ड्राइवर को ट्रक से कुचल करक मार डाला गया। इस मामले में मृत्यु एक हत्या थी। लेकिन इस मृत्यु को प्रारंभिक दुर्घटना से संबंधित होने के कारण इस घटना को दुर्घटना-हत्या का मामला मानते हुए इस में मृत व्यक्ति के आश्रितों को तीन लाख साठ हजार रुपए मुआवजा देने का आदेश पारित किया और इस भुगतान के लिए बीमा कंपनी को जिम्मेदार माना।

क्सर इस तरह की घटनाएँ होती रहती हैं कि किसी वाहन को ड्राइवर सहित अगवा कर लिया गया और फिर ड्राइवर की हत्या कर के वाहन को ले भागे। ऐसे मामलों में चालक के आश्रितों को मुआवजा भुगतान की जिम्मेदारी वाहन स्वामी पर आ पड़ती है क्यों कि चालक तो अपनी ड्यूटी कर रहा होता है और इस तरह की हत्या को नियोजन के दौरान उस के क्रम में हुई दुर्घटना माना गया है। वाहन की कानूनन  आवश्यक बीमा पॉलिसी में चालक को हुई हानि और मृत्यु के लिए कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के अंतर्गत आने वाले क्षतिपूर्ति दायित्व सम्मिलित होते हैं और इस के लिए बीमा कंपनी प्रीमियम प्राप्त करती है। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने रीता देवी बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी के मामले में यह निर्धारित किया कि ऐसी हत्यायें मोटर यान के उपयोग के कारण हुई दुर्घटनाएँ मानी जानी चाहिए और मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत भी मृतक के आश्रित मुआवजा प्राप्त करने के अधिकारी हैं।

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