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न्यायालय में वाद प्रस्तुत करना बँटवारे का सब से सही तरीका है

समस्या-

मेरे दादा की मृत्यु के बाद अब तक जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है। मेरी विधवा चाची ने कुछ जमीन की बिक्री कर दी है। अगर यह अनुचित है तो हमें क्या करना चाहिए? मेरे पिताजी चार भाई हैं। हम किस प्रकार बंटवारा करें कि सम्बंधित जमीन पर पूर्णतः हक़ मिल जाय?

-सूर्य देव मिश्र, गोपालगंज, बिहार

समाधान-

किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होते ही यदि उस की संपत्ति की वसीयत की गई हो तो वसीयती का और यदि संपत्ति निर्वसीयती हो तो मृतक के उत्तराधिकारियों का स्वामित्व स्थापित हो जाता है। आप के दादा जी हिन्दू थे और हिन्दू उत्तराधिकार कानून के अनुसार उन के देहान्त के तुरंत उपरान्त यदि उन्हों ने कोई वसीयत नहीं की है तो उन के उत्तराधिकारियों का स्वामित्व स्थापित हो चुका है। यदि आप की दादी जीवित हैं तो आप की दादी, आप के पिता और उन के भाइयों और बहनों का समान रूप से उस संपत्ति पर संयुक्त स्वामित्व और कब्जा स्थापित हुआ है। इस तरह आप की विधवा चाची को यदि निस्संतान हैं तो मृत चाचा का पूरा हिस्सा  प्राप्त हुआ है। वे अपने हिस्से का विक्रय कर सकती हैं। लेकिन संपत्ति का बँटवारा नहीं हुआ है इस कारण से उन का हिस्सा कौन सा है यह स्पष्ट नहीं हो सकता और खरीददार को कब्जा नहीं दिया जा सकता। हो सकता है संपत्ति का एक हिस्सा पहले से चाची के कब्जे में रहा हो और उन्हों ने उस का कब्जा क्रेता को दे दिया हो। यदि ऐसा हुआ है तो गलत हुआ है।

प के पिता को या दादा के किसी भी उत्तराधिकारी को न्यायालय में संपत्ति के बँटवारे का वाद संस्थित करना चाहिए। इस वाद में सभी उत्तराधिकारी पक्षकार होंगे और वह व्यक्ति भी पक्षकार बनाया जाएगा जिसे चाची ने अपना हिस्सा विक्रय कर दिया है। न्यायालय उक्त संपत्ति का बँटवारा कर देगी। इस मामले में संपत्ति के किसी हिस्से का क्रेता भी अपने हिस्से पर कब्जा प्राप्त करने के लिए बँटवारे का दावा संस्थित कर सकता है।

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