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अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार के धन से परिवार के किसी सदस्य के नाम से खरीदी संपत्ति संयुक्त परिवार की हो सकती है।

समस्या-

जोधपुर, राजस्थान से जितेन्द्र खिमानी पूछते हैं-

क्या किसी संपत्ति विशेष की रजिस्ट्री किसी व्यक्ति विशेष के नाम होना ही इस बात का सबूत है कि वह संपत्ति उस व्यक्ति की निजि संपत्ति है, संयुक्त परिवार की नहीं? जब कि उसे खऱीदने के लिए संयुक्त परिवार के धन का उपयोग हुआ है।

समाधान-

benami5 सितम्बर 1988 से बेनामी ट्रांजेक्शन्स (प्रोहिबिशन) एक्ट प्रभावी किया गया है। इस अधिनियम की धारा-3 में यह उपबंध किया गया है कि कोई भी व्यक्ति बेनामी ट्रांजेक्शन नहीं करेगा, अर्थात अपना पैसे से किसी दूसरे व्यक्ति के नाम से संपत्ति की खरीद नहीं करेगा। बेनामी संव्यवहार को दंडनीय अपराध बना दिया गया है।  लेकिन कोई व्यक्ति अपनी पत्नी या अविवाहित पुत्री के नाम से संपत्ति खऱीद सकता है, पर इस तरह के मामलों में जब तक अन्यथा प्रमाणित न कर दिया जाए यह माना जाएगा कि वह संपत्ति जिस पत्नी या पुत्री के नाम से खरीदी गयी थी वह उसी के लाभार्थ खरीदी गई थी।

सी अधिनियम की धारा-4 में यह उपबंधित है कि जिस व्यक्ति के नाम संपत्ति खरीदी गई है उस व्यक्ति के विरुद्ध उस में बेनामी अधिकार रखने वाला व्यक्ति अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकेगा और न ही किसी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किसी वाद में कोई व्यक्ति बेनामी अधिकार के अंतर्गत कोई प्रतिरक्षा ले सकेगा। किन्तु इस उपबंध के अपवाद भी हैं।

प्रथम अपवाद है कि यदि कोई अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार है और उस परिवार ने अपनी संयुक्त संपत्ति से परिवार के किसी सदस्य के नाम से संपत्ति खरीदी है जो समस्त परिवार के लाभार्थ खरीदी है तो वह संपत्ति संयुक्त परिवार की संपत्ति मानी जाएगी।

दूसरा अपवाद है कि जिस व्यक्ति के नाम संपत्ति खरीदी गई है वह व्यक्ति कोई ट्रस्टी है या फिर किसी वैश्वासिक हैसियत में है और संपत्ति अन्य किसी व्यक्ति के लाभार्थ खरीदी गई है तो वह उस व्यक्ति की संपत्ति मानी जा सकती है जिस के लाभार्थ वह खरीदी गई थी।

ब आप को स्पष्ट हो गया होगा कि प्रथम दृष्टया संपत्ति के हस्तान्तरण का पंजीकृत विलेख उस संपत्ति के स्वामी होने का प्राथमिक साक्ष्य है। लेकिन ऊपर जो अपवाद बताए गए हैं उन अपवादों के चलते कोई अन्य व्यक्ति उस का स्वामी भी हो सकता है। यदि आप की संदर्भित संपत्ति अविभाजित हिन्दू संयुक्त परिवार के धन से संयुक्त परिवार के लाभार्थ खरीदी गई है तो फिर उस संपत्ति पर इस हेतु दावा किया जा सकता है। इस दावे में साक्ष्य से साबित करना पड़ेगा कि संपत्ति संयुक्त परिवार के धन से संयुक्त परिवार के लाभार्थ खरीदी गई थी।

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