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500 वाँ आलेख, 50000 चटके और बेटी का जन्मदिन

28 अक्टूबर 2007 को जब तीसरा खंबा का पहला आलेख लिखा गया था तब सोचा भी न था कि ये तकरीबन ढाई वर्ष का समय यूँ ही निकल जाएगा। बस एक लक्ष्य था सामने कि मुझे देश को न्याय व्यवस्था की जरूरत और न्याय प्रणाली की जरूरतों के बारे में लिखना है। लोगों को बताना है कि  हम जिस न्याय प्रणाली पर गर्व करते हैं। उस की शासन को कोई परवाह नहीं है। वास्तव में वह इसे मजबूरी समझता है। इस बिंदु से आरंभ करने के उपरांत तीसरा खंबा बहुत सोपानों से गुजरा। इस में कानूनों की सरल व्याख्या करने का प्रयत्न किया गया। जरूरी और सामयिक प्रश्नों पर विधिक स्थितियों को रखने के प्रयास भी किए गए। फिर पाठकों ने कानूनी जिज्ञासाएँ रखना आरंभ किया तो इस के माध्यम से कानूनी सलाह देने का काम भी आरंभ किया गया। जिस का उद्देश्य किसी पाठक की वास्तविक समस्या के आलोक में विधिक स्थिति को ब्लाग पर रखना जिस से पाठकों की कानूनी जानकारी बढ़ सके। 
पाठकों ने तीसरा खंबा के माध्यम से जो कुछ भी किया गया उस की सराहना की और उस के कंधे से अपना कंधा मिलाया। उसी का नतीजा है कि तीसरा खंबा एक अकेले व्यक्ति का प्रयास होते हुए भी लगातार चलता रहा और उस ने अपना यह 500सौ वाँ आलेख पूरा किया। 
 

बीच में यह योजना भी बनी कि तीसरा खंबा को एक वेबसाइट का रूप दे दिया जाए। लेकिन मेरी स्वयं की व्यस्तता के कारण यह अभी तक संभव नहीं हो सका है। मैं ने कोशिश भी की लेकिन निश्चित रूप से एक अकेला व्यक्ति कोई गतिशील वेबसाइट नहीं चला सकता जब तक कि उस के साथ नियमित रूप से काम करने वाले लोग न हों। तीसरा खंबा को एक वेबसाइट का रूप देना मेरा सपना है जो शायद कभी पूरा हो सके। 

तीसरा खंबा आज जिस स्थिति में है वह पाठकों और साथी चिट्ठाकारों के सहयोग और सद्भावना के बिना नहीं पहुँच सकता था।  सभी के सहयोग और मुझ पर व्यक्त किए विश्वास ने ही उसे इस स्थान तक पहुँचाया है। मैं इस अवसर पर उन सभी साथियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ जिन्हों ने इस काम को लगातार करते रहने की प्रेरणा और शक्ति मुझे प्रदान की और ढेर सारा प्यार, स्नेह और आदर प्रदान किया। तीसरा खंबा के पाठकों में आधे से अधिक हिन्दी चिट्ठाजगत से बाहर के सामान्य लोग हैं जो इस चिट्ठे पर विश्वास करते हैं और लगातार अपनी कानूनी समस्याओं को भेजते हैं। उन्हीं का स्नेह है कि 500वें आलेख के साथ ही इस पर लगने वाले चटकों की संख्या भी पचास हजार से ऊपर पहुँच गई है। मुझे आशा है कि पाठकों का यह विश्वास, स्नेह, प्यार, आदर और आशीर्वाद मुझे भविष्य में मिलता ही नहीं रहेगा अपितु इस में वृद्धि भी होगी। मुझे इस काम को जारी रखने की शक्ति मिलती रहेगी।
ज का दिन मेरे लिए केवल इस लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है कि आज तीसरा खंबा ने 500वाँ आलेख और 50,000 चटके पूरे किए हैं। मेरे लिए 24 मार्च का यह दिन इस लिए भी महत्वपूर्ण है कि यह मेरी पुत्री पूर्वा का जन्मदिन भी है। हम चाहते थे कि इस दिन वह हमारे साथ हो। लेकिन मेरी और उस की अपने अपने काम  में व्यस्तता के कारण यह संभव नहीं हो सका। तीसरा खंबा अपने इस 500वें आलेख 50000 हजार से अधिक चटकों से पूर्वा को जन्मदिन की मुबारक बाद भी देना चाहता है। 
 
 
पू्र्वा को जन्मदिन पर बहुत तीसरा खंबा की  शुभकामनाएँ।
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