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Tag: अदालत

वकील के मुंशी से सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तक

सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश सरोश होमी कपाड़िया 12 मई को देश के 38वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ले चुके हैं।  वे 28.09.2012 तक इस
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मोइली साहब! मौजूदा से चार गुनी नहीं, तो दुगनी ही दे दीजिए

अब मोइली साहब ने कह तो दिया है कि छह माह में फैसला मिलना ही चाहिए। लेकिन जरा ये तो बताएँ कि ये होगा कैसे? हमारे यहाँ की
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व्यवस्था ने न्याय देने से अपने हाथ ऊँचे कर दिए हैं

देश भर की अदालतों में मुकदमे बहुत इकट्ठे हो गए हैं।  निर्णय बहुत-बहुत देरी से आ रहे हैं, पूरी की पूरी पीढ़ी मुकदमों में खप रही है। जजों
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जीवन बीमा का मूल पॉलिसी बॉण्ड नहीं मिला, मुझे क्या करना चाहिए?

श्री कुमार जोशी ने पूछा है ….. मुझे भारतीय जीवन बीमा निगम से बीमा कराए हुए 4 वर्ष से अधिक समय हो चुका है लेकिन अभी तक बीमा
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अदालतों की संख्या पर्याप्त करें, स्वतंत्र अन्वेषण ऐजेंसियाँ के गठन की ओर बढ़ें : जनता को नववर्ष का तोहफा दें, सरकारें

धरती के भीतर उबल रहा लावा लगातार ऊपरी सख्त परत को धक्के मारता रहता  है। जब भी उसे कमजोर जगह  मिलती है तो उसे तोड़ कर वह ज्वालामुखी
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मुकदमों के निपटारे की अवधि कम करने की कवायद

केन्द्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली जिस ऊर्जावान रीति से बयान जारी कर रहे हैं उसी रीति से परिणाम भी ले कर आएँ तो देश में प्रतिष्ठा खोती जा रही
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नोटेरी द्वारा प्रमाणित दस्तावेज की साक्ष्य में क्या महत्ता है?

कमलेश द्विवेदी पूछते हैं-  मैं जानना चाहता हूँ कि एक  स्टाम्प पेपर्स पर अंकित और नोटेरी के समक्ष पंजीकृत बयान जो किसी भी  न्यायालय अथवा अर्धन्यायिक कार्यवाही में
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जिरह के बाद आत्महत्या के मामले में जज की जिम्मेदारी क्यों न तय हो?

कल अदालत में खबर पढ़ी “बलात्कार की शिकार महिला से अदालत में ऐसे सवाल-ज़वाब हुये कि उसने खुदकुशी कर ली”। खबर पढ़ कर मन खट्टा तो हुआ ही
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