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वाहन बेचना और कब्जा देना साबित करना होगा।
रविन्द्रसिंह ने जयपुर, राजस्थान से पूछा है-
मैं ने एक मोटरवाहन बेचा जिस का बीमा नहीं था। जिसने वाहन खरीदा उस ने स्टाम्प पर लिखित में खरीदना और कब्जा प्राप्त करना दे रखा है। 15 दिन बाद वाहन से दुर्घटना हो गयी। एक व्यक्ति को फ्रेक्चर हुआ है। वाहन अभी तक ट्रान्सफर नहीं हुआ था और बीमा भी नहीं कराया था। इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो गयी है।
समाधान-
आप इस बात से चिन्तित हैं कि आप दुर्घटना के दिन तक वाहन के पंजीकृत स्वामी थे इस कारण से आप पर क्षतिपूर्ति का दायित्व आएगा।
मोटर यान दुर्घटना में प्राथमिक दायित्व चालक और वाहन स्वामी का होता है, यदि दायित्व बीमित हों तो बीमा कंपनी इन दायित्वों को वहन कर लेती है।
आप के मामले में पुलिस वाहन के नंबर से आप तक पहुँचेगी और जानना चाहेगी कि दुर्धटना के समय वाहन कौन चला रहा था। आप उसे बता दीजिए कि यह आप नहीं बता सकते क्यों कि आप वाहन को बेच चुके थे। इस के साथ ही आप के पास वाहन प्राप्ति की जो रसीद स्टाम्प पर आप के पास है उस की स्वहस्ताक्षरित फोटो प्रति पुलिस को दे दें।
इस के बाद आप के विरुद्ध कोई मोटर दुर्घटना दावा होता है तो आप को वाहन का विक्रय और कब्जा हस्तान्तरित होना साबित करना होगा। आप वहाँ आप यह जवाब दे सकते हैं कि दुर्घटना से आप का कोई लेना देना नहीं था, आप पहले ही वाहन बेच चुके थे। स्टाम्प पर उपलब्ध रसीद के माध्यम से इसे साबित भी कर सकते हैं। इस से आप पर आ रहा दायित्व वाहन क्रेता पर पहुँच जाएगा।
मोटर यान दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावे कहाँ प्रस्तुत किए जा सकते हैं?
अंश प्रताप ने उन्नाव, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरी टैक्सी से एक दुर्घटना हो गया था जिस में एक आदमी की मृत्यु हो गयी थी। उस के परिवार वालों ने क्षतिपूर्ति के लिए आवेदन दिल्ली में प्रस्तुत किया है जब कि मरने वाला और उस के क्लेम का दावा करने वाले और मैं सब एक ही शहर उन्नाव के हैं। वकील का कहना है कि दिल्ली में बीमा कंपनी का दफ्तर है इस लिए वहाँ मुकदमा बनता है। क्या दिल्ली में मुकदमा खारिज हो सकता है?
समाधान–
मोटर व्हीकल एक्ट ने मोटर यान दुर्घटना दावों के संबंध में यह प्रावधान दिया गया है कि क्षतिपूर्ति का दावा करने वाला व्यक्ति उस की इच्छा से तीन तरह के स्थानों पर स्थित मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरणों में से किसी एक में अपना दावा प्रस्तुत कर सकता है। ये तीन स्थान निम्न प्रकार हैं-
- वहाँ जहाँ दुर्घटना घटित हुई हो;
- वहाँ जहाँ दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई हो; तथा
- जहाँ दावे के विरोधी पक्षकारों में से किसी एक का कार्यालय हो या जहाँ वह व्यापार करता हो।
इस तरह यदि दिल्ली में बीमा कंपनी का दफ्तर है तो वहाँ क्षतिपूर्ति का दावा प्रस्तुत किया जा सकता है और यह दावेदार पर निर्भर करता है कि वह उक्त स्थानों में से कहाँ अपना दावा प्रस्तुत करना चाहता है। आप के मामले में वकील की सलाह उचित है।
आप के पास यदि बीमा है तो आप बीमा कंपनी को लिख कर दे सकते हैं कि आप बीमा धारी हैं और इस बीमा क्लेम को लड़ने का दायित्व आप का है। बीमा कंपनी आप की ओर से मुकदमा लड़ेगी यदि आप ने बीमा पालिसी की किसी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है। यदि बीमा कंपनी कहती है कि आप ने बीमा प्रमाण पत्र की किसी शर्त का उल्लंघन किया है और आप समझते हैं कि ऐसा हुआ है तो आप को फिर अपना वकील कर के अपना पक्ष अधिकरण के समक्ष रखना चाहिए।
गायब हुए वाहन के टैक्स दायित्व से मुक्ति कैसे पाई जाए?
जीतेन्द्र कुमार ने बिन्दापुर, नई दिल्ली से समस्या भेजी है कि-
हमारी एक कंपनी है, हम 5 व्यक्ति कॉमर्शियल कार ले कर लीज पर चलाने का व्यवसाय करते हैं। हम ने कारें अलग अलग लोगों को लीज पर दी थी। कुछ दिन तो ये लोग गाड़ी की ईएमआई समय पर दे रहे थे। फिर ये लगो हमारी गाड़ी ले कर गायब हो गए। हम ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा दी। जिस में धारा 406 आईपीसी के अन्तर्गत दर्ज की गई है। सभी गाड़ियों का यू.पी. का टैक्स और सभी दस्तावेजों का समय समाप्त हो गया है। गाड़ी का ईएमआई हमें अपनी ओर से भरना पड़ रहा है। हमें आगे क्या करना चाहिए, जिस से यू.पी. टैक्स माफ हो सके और गाड़ियों को पकड़ा जा सके?
समाधान-
आप के वाहन को वह लोग जिन्हों ने आप से लीज पर लिया था ले कर गायब हो गए हैं। आप ने उन्हें वाहन वैध रूप से सौंपा था तथा लीज की अवधि समाप्त हो जाने पर वाहन उन्हें आप को सौंप देना चाहिए था। लेकिन वे लोग ले कर गायब हो गये। ये वाहन उन के पास अमानत थे जो उन्हों ने आप को नहीं लौटाए। इस तरह पुलिस ने धारा 406 आईपीसी में प्रथम सूचना रिपोर्ट सही दर्ज की है। इस के साथ धारा 420 आईपीसी का अपराध भी गठित होता है। इस तरह आप ने वाहन को पकड़े जाने की व्यवस्था तो कर ली है। लेकिन पुलिस के पास बहुत काम होते हैं। उन्हों ने गाड़ियों की सूचना पूरे देश में भेज दी होगी। यदि गाड़ियाँ कहीं पहचानी गईं तो पकड़ ली जाएंगी। लेकिन कोई सायास प्रयास नहीं होगा। इस तरह वाहनों को पकड़े जाने के लिए आप को स्वयं अपने स्तर पर सायास प्रयास करने होंगे। हर व्यक्ति को जो किसी भी प्रकार की निजी संपत्ति रखता है उसे यह जुमला ध्यान रखना चाहिए कि व्यक्ति अपने माल की हिफाजत खुद करे। पुलिस या प्रशासन आम जनता की हिफाजत के लिए नहीं है। वे तो प्रथम सूचना रिपोर्ट भी आसानी से दर्ज नहीं करते हैं। यह चोरी भी नहीं है जिस के कारण आप बीमा कंपनी से कोई दावा वसूल कर सकते हों।
जहाँ तक टैक्स का संबंध है तो सभी टैक्स राज्य सरकार के विभाग द्वारा वसूल किए जाते हैं जिस के लिए समय समय पर निर्देश जारी होते हैं। आप को यू.पी. सरकार के टैक्स के नियमों व निर्देशों की जानकारी कर उन का अध्ययन करना चाहिए। क्यों कि वाहन का टैक्स उस के उपयोग के लिए लिया जाता है। यदि वाहन आप के पावर और पजेशन से निकल गया है और आप ने उस की रिपोर्ट पुलिस को दर्ज करवा दी है तो आप टैक्स विभाग को आवेदन कर के रिपोर्ट दर्ज होने की तिथि से उक्त वाहनों के टैक्स के दायित्व से मुक्त होने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। यदि विभाग आप को टैक्स से मुक्ति नहीं देता है और आप के आवेदन को निरस्त करता है तो आप को उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका दाखिल करनी चाहिए। केरल उच्च न्यायालय द्वारा के के मोहनदास बनाम क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के मुकदमें में इस तरह के मामले में टैक्स से मुक्ति प्रदान की गई है। आप इस निर्णय या इस जैसे दूसरे निर्णयों की मदद ले सकते हैं।
ग्राहक पूरे पैसे दिए बिना गाड़ी उठा ले गया, अब न गाड़ी लौटाता है और न कीमत देता है, क्या किया जाए?
समस्या-
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश से सोनू कुमार शर्मा ने पूछा है –
मेरी एक गाड़ी है जिस का नंबर यूपी 81 एएफ 4965 है। मैं किसी कारणवश उसे बचान चाहता था। पास के गाँव से एक खरीददार आया उस ने 1,25,000 रुपए में गाड़ी खरीदने का सौदा किया। वह 20,000 रुपए दे कर कहा कि गाड़ी के कागज आप के पास हैं, मैं अपने पापा को दिखा कर लौटता हूँ। बाकी की रकम दे कर गाड़ी के बेचान के कागज तैयार करा लेंगे। उस दिन के बाद से न तो वह गाड़ी देता है और न ही गाड़ी की बाकी की कीमत दे रहा है। मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
गाड़ी आप के नाम पंजीकृत है आप ही उस के स्वामी हैं। गाड़ी के स्वामित्व का दस्तावेज पंजीकरण प्रमाण पत्र आप के नाम है और आप के पास है। गाड़ी को आप को अपने पास रखने का अधिकार है। आप या तो उस गाड़ी को जहाँ भी दिखे उठा कर अपने घर ले आइए। यदि एसा भी न हो तो पुलिस थाना में रिपोर्ट करवा दीजिए कि सौदा हुआ था लेकिन खरीदने वाला व्यक्ति पिता जी गाड़ी दिखाने ले गया था वापस नहीं लौटा है। उस ने धोखे से गाड़ी छीन ली है।
पुलिस इस मामले में धारा 420 भा.दंड संहिता में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करेगी और गाड़ी को जब्त कर लेगी साथ ही गाड़ी ले जाने वाले को गिरफ्तार भी कर लेगी। आप न्यायालय में आवेदन दे कर गाड़ी को अपने कब्जे में ले लेना।
वाहन विक्रय करते समय क्या सावधानी रखें?
समस्या-
2001 में मेरा ट्रांसफर लखनऊ से मुम्बई हो गया, मैं अपना स्कूटर भी ले आया। जिसका पुलिस और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO) लखनऊ से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त हो गया है और मुम्बई में चुंगी भी जमा हो गयी है। मुम्बई में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। उक्त स्कूटर बहुत दिनों से खड़े खड़े खराब हो चुका है। मैं उसे कबाड़ी को बेचना चाहता हूँ। उस की क्या प्रक्रिया होगी तथा क्या सावधानी रखें जिससे भविष्य में समस्या न हो?
-अजय कुमार, मुम्बई, महाराष्ट्र
कोई भी वाहन विक्रय करते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस का स्वामित्व ठीक से स्थानान्तरित हो गया है। यदि कोई भी मोटर वाहन चलाने पर कोई दुर्घटना होती है तो उस से उत्पन्न होने वाले हर्जे के दावों में दायित्व उस के पंजीकृत स्वामी पर आता है। यदि वाहन के पंजीकरण में नाम परिवर्तन हो कर नए स्वामी का नाम दर्ज न हो कर पुराने स्वामी का ही नाम बना रहे तो दुर्घटना होने पर उस के पंजीकृत स्वामी पर दुर्घटना से उत्पन्न हर्जे का दायित्व आ जाएगा जिस की कोई सीमा नहीं है। इस दायित्व से बचने के लिए यह आवश्यक है कि बेचने वाला व्यक्ति स्वयं अपनी निगरानी में वाहन पंजीकरण में क्रेता का नाम दर्ज करवा दे।
आप के मामले में आप स्कूटर को कबाड़ी को बेचना चाहते हैं। ऐसी अवस्था में पंजीकरण स्थानान्तरित करवाने का कोई औचित्य नहीं है। सिर्फ एक विक्रय का इकरारनामा उचित मूल्य के स्टाम्पों पर दो प्रतियों में तैयार किया जा कर निष्पादित किया जाए। जिस पर खरीददार और विक्रेता दोनों के हस्ताक्षर हों। इस विक्रय पत्र में लिखा जाए कि विक्रेता (वर्तमान स्वामी) स्कूटर को स्क्रेप के रूप में बेच रहा है तथा क्रेता द्वारा स्कूटर का वाहन के रूप में किसी तरह से उपयोग नहीं किया जाएगा। उक्त विक्रय के इकरारनामे की एक-एक प्रति दोनों के पास अर्थात क्रेता और विक्रेता के पास रहे। यदि विक्रय के इकरारनामे की प्रति आप के पास रहेगी तो स्कूटर को वाहन के रूप में प्रयोग करने पर भी उस से उत्पन्न होने वाला दायित्व आप पर नहीं आएगा।
नई बाइक चोरी हो गई, क्या चोरी का बीमा होता है? मैं बीमा दावा कैसे करूँ?
फाइनेंसर का ऋण चुकाए बिना वाहन न बेचें और बेचने पर क्रेता के साथ जा कर पंजीयन हस्तातंरण का आवेदन प्रस्तुत कर रसीद प्राप्त करें
मैं ने मेरी एक कार बेची, वह एक प्राइवेट कंपनी से फाइनेंस थी। जिस को बेची उस को फाइनेंसर की बकाया रकम की जिम्मेदारी दे कर बाकी केश ले लिया और स्टाम्प लिख कर एक खाली चैक फाइनेंस की सुरक्षा के लिए ले लिया था। उक्त क्रेता को कंपनी को मासिक किस्त देनी थी पर क्रेता ने किस्तें समय पर नहीं दीं, जिस से कंपनी ने चार्जेज जोड़ दिए। क्रेता किस्तें अभी भी नहीं दे रहा है और गाड़ी सोंपने के समय हमने बीमा करा कर दिया था। क्रेता उस के बाद दो साल से कार बिना बीमा के चला रहा है और संबंध भी नहीं रख रहा है। कंपनी को जब से काफी भुगतान कर चुके हैं। क्या हम खाली चैक से अपना पैसा वसूल कर सकते हैं?
कमलेश जी,
