सभी पाठकों को पता होगा कि कुछ दिन पहले लवली कुमारी ने एक बालक का उल्लेख किया था जिसे कोई मजबूर महिला अस्पताल में छोड़ कर चली गई थी। उन्हों ने इस बालक को गोद लेने के लिए आग्रह किया था, और फिर सूचना दी थी कि उसे गोद लेने वाले माता-पिता मिल गए हैं।
आज उन्हों ने पूछा …
दिनेश जी, मुझे पूछना था कि बच्चे को गोद देने के लिए ..किन किन दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ेगी और ..कौन गोद दे सकता है? ..प्रसंग तो आपको पता है ही..
यदि गोद दिए जाने वाला बालक हिन्दू है तो उस पर हिन्दू दत्तक एवं भरण-पोषण अधिनियम (दी हिन्दू एडॉप्शन्स एणड मेंटीनेंस एक्ट, 1956) की धारा 9 (4) प्रभावी होगी। इस धारा के अनुसार जब किसी बालक के माता पिता दोनों की मृत्यु हो गई हो, या उन्होंने अंतिम रूप से संन्यास ले लिया हो, या बालक को त्याग दिया हो, या उन्हें किसी न्यायालय से विकृत चित्त घोषित कर दिया गया हो, या जहाँ बालक के माता-पिता की जानकारी न हो, वहाँ न्यायालय की अनुमति से उस बालक का संरक्षक उसे गोद दे सकता है। गोद लेने वाले माता-पिता दोनों की सहमति होना आवश्यक है।
अब यहाँ यह प्रश्न नया आ गया है कि ऐसे बालक का जिस के माता-पिता अज्ञात हों उस का संरक्षक कौन होगा?
संरक्षक एवं प्रतिपाल्य अधिनियम के अंतर्गत संरक्षक की परिभाषा अत्यंत व्यापक है। उस में कहा गया है कि जो व्यक्ति बालक की सुरक्षा कर रहा है वह भी संरक्षक है। लेकिन जहाँ गोद देने का मामला हो वहाँ कानूनी रूप से जिला न्यायाधीश या परिवार न्यायालय का न्यायाधीश द्वारा नियुक्त करा लेना उचित है। इस के लिए वह व्यक्ति जो स्वयं को उस बालक का संरक्षक होने का दावा करता है वह आवेदन कर सकता है अथवा जिले का कलेक्टर आवेदन कर सकता है।
यह प्रक्रिया जटिल लग सकती है पर बालक के भविष्य के लिए उस का कानूनी संरक्षक नियुक्त करा लेना आवश्यक है। लवली जी इस मामले में स्थानीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जो बालक न्यायालय का पीठासीन अधिकारी और बालकों के मामलों में निर्णय लेने का अधिकारी है से स्वयं व्यक्तिगत रूप से मिल कर सलाह ले लें। उन से या उन के कार्यालय से पूरी जानकारी और मदद मिल जाएगी। इस के लिए लवली जी स्थानीय बार ऐसोसिएशन (अधिवक्ता संघ) के अध्यक्ष या सचिव से मिल कर उन की मदद भी ले सकती है वे अवश्य ही उन की मदद करेंगे।