तीसरा खंबा

अदालत की डिक्री के बावजूद पत्नी को पति के साथ रहने का बाध्य नहीं किया ज सकता

बलजीत सैनी  पूछते हैं – – – 
मेरी शादी दिसम्बर 2005 में हुई थी। अब मेरी पत्नी फरवरी से अपने मायके में है।  मैं उसे लेने कई बार गया। लेकिन वह नहीं आई। जून 2009 में मना करने पर मैं ने उसे लाने का केस लगा दिया जो एक्सपार्टी हो गया है। मेरी पत्नी ने भिवानी में खर्चे का केस लगाया है।  उस का कहना है कि मैं उसे मारता हूँ और बहिन बना कर रखता हूँ जो सच नहीं है। पहले यह कहती थी कि अलग होने के बाद आउंगी। अलग हो गया तो भी नहीं आई। मैं उस को हर शर्त पर लाने को तैयार था लेकिन फिर भी नहीं आई। मेरा वेतन 4000 मासिक है। उस में मेरे माता-पिता का भी गुजारा करना है। मै उस को लाना चाहता हूँ। वह पैसों के पीछे दौड़ती है। मैं क्या करूँ? क्या उस का खर्चा मांगना जायज है जब कि मैं अपने पूरे परिवार से अलग रहने को तैयार हूँ।
उत्तर – – – 
बलजीत जी,
प तो पत्नी की हर शर्त मानने को तैयार हैं। लेकिन आप की पत्नी फिर भी नहीं आना चाहती है। वह पैसों के पीछ भागती है। निश्चित रूप से आप की पत्नी आप से पीछा छुड़ाना चाहती है। उसे आप का वेतन 4000 रुपए कम लगता है। यदि आप माता-पिता से अलग भी रहेंगे तो भी आप की पत्नी को 4000 रुपए प्रतिमाह का वेतन कम ही लगेगा। यही कारण है कि वह आप के साथ आ कर रहने को तैयार नहीं है। उसे आप की कमजोरी भी पता लग गई है कि आप हर कीमत पर उसे पाना चाहते हैं। शायद उसी कमजोरी का वह लाभ उठाना चाहती है।
अब यदि वह आना नहीं चाहती है तो उसे लाने का मुकदमा (धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम) जीत जाने पर भी वह नहीं आना चाहती है तो नहीं ही आएगी। अदालत, पुलिस या कोई भी ताकत उसे आप के साथ आ कर रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती। लेकिन यदि अदालत के फैसले के बाद भी वह नहीं आती है तो आप को यह अधिकार मिल जाता है कि आप उस से तलाक ले सकते हैं।  
मेरे विचार में तो आप को तलाक का मुकदमा कर ही देना चाहिए। क्यों कि इस तरह की पैसों के पीछे भागने वाली पत्नी आप को सारे जीवन परेशान ही करती रहेगी। आप के साथ ऐसी ही पत्नी टिक सकती है जो कि आप के सीमित साधनों में गुजारा करने की मानसिकता रखती हो। तलाक का मुकदमा कर देने से हो सकता है आप की वर्तमान पत्नी का यह भ्रम टूट जाए कि आप उसे ही हर हालत में लाना चाहते हैं। वैसी स्थिति में समझौते की गली भी निकल सकती है।
जैसी परिस्थितियाँ आप ने वर्णित की हैं उन में आप की पत्नी का खर्चे का दावा करना उचित नहीं है लेकिन आप को अपनी सब बातें अदालत में मजबूती के साथ साबित करनी पड़ेंगी। अन्यथा खर्चा तो आप को देना पड़ सकता है। इस के लिए आप अपने यहाँ किसी अच्छे वकील की मदद लें जो आप का मुकदमा लड़ सके।
Exit mobile version