तीसरा खंबा

अनुकम्पा नियुक्ति अनुकम्पा ही है, अधिकार नहीं।

समस्या-

विदिशा, मध्य प्रदेश से अनिल रघुवंशी ने पूछा है –

मेरे पिताजी के स्वर्गवास के बाद जब मैं ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आबेदन किया तो वह इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि मेरे बड़े भाई पूर्व से शासकीय नौकरी में हैं।   मेरे पिताजी पुलिस विभाग में थे और अभी माताजी मेरे साथ रहती हैं।  भाई शादी के बाद से 8 वर्षो से अलग रह रहा है।  मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान-

justiceकिसी कर्मचारी के सेवा में रहते हुए मृत्यु हो जाए तो उस के परिवार के एक व्यक्ति को नियुक्ति इन नियमों के अन्तर्गत दी जा सकती है। लेकिन यह अनुकंपा नियुक्ति है न कि परिजन का अधिकार। नियमानुसार ही नियुक्ति प्राप्त की जा सकती है। यदि नियम में यह है कि यदि मृत कर्मचारी के परिवार का कोई सदस्य पहले से सरकारी नौकरी में है तो उसे अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जाएगी तो आप को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। उस के लिए प्रयास करना भी बेकार है। वैसे भी मध्य प्रदेश में सैंकड़ों ऐसे आवेदन अनेक वर्षो से लंबित हैं जिन के परिवार में कोई सरकारी कर्मचारी तो क्या कमाने वाला तक नहीं है।

प के परिवार में माता जी हैं, जिन्हें उन के स्वयं के भरण पोषण के लिए पेंशन आरंभ हो चुकी होगी। भाई पहले से सरकारी नौकरी में है। रहे आप तो आप वयस्क हैं आप पर यह अनुकंपा सरकार क्यों करे? जिन परिवारों में कोई सरकारी कर्मचारी नहीं है। उन में मुखिया के परिवार में किसी की मृत्यु हो जाने पर तो सरकार कुछ नहीं करती। लेकिन सरकारी कर्मचारियों को यह सुविधा मिलती है जो कि एक तरह से अन्य नागरिकों के साथ समानता का बर्ताव नहीं करती।

फिर भी आप अपने यहाँ के उच्च न्यायालय में सेवा सम्बन्धी मामलों की पैरवी करने वाले किसी वकील से सलाह लें। वह नियमों का अध्ययन कर आप को उचित सलाह देगा। मध्यप्रदेश के अनुकंपा नियुक्ति संबंधी नियम हमारे पास उपलब्ध नहीं हैं। हाँ यदि कोई तीसरा खंबा को इन नियमों की स्केन कापी भी ई-मेल से उपलब्ध करवा दे तो हम उन का अध्ययन कर स्पष्ट सलाह दे सकते हैं। इस से अन्य व्यक्तियों को भी लाभ होगा।

Exit mobile version