तीसरा खंबा

अपने वकील से समझें कि उन की बात क्यों सही है? तब आप उन पर भरोसा कर सकेंगे।

समस्या-

झाँसी, उत्तर प्रदेश से विजय ने पूछा है –

मेरी पत्नी ने मेरे और मेरे परिवार पर घरेलू हिंसा और धारा 498-क के मुकदमे किए जिन में हमारी जमानतें हो चुकी हैं। अब हम लोगों के बीच समझौता हो गया है। पत्नी विवाह विच्छेद चाहती है लेकिन कहती है कि तलाक का मुकदमा मैं करूँ। लेकिन पत्नी लिखित में कुछ भी नहीं दे रही है। विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत करने के बाद यदि मेरी पत्नी पलट गई तो घरेलू हिंसा और 498-क के केस पर कोई असर तो नहीं होगा, मेरा केस कमजोर तो नहीं होगा। मेरे वकील ने कहा है कि कुछ नहीं होगा। मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान-

LAWYER OFFICEरेलू हिंसा और धारा 498-क के अधिकांश मुकदमे अक्सर मिथ्या और बनावटी तथ्यों पर आधारित होते हैं।  लेकिन ऐसा नहीं होता कि उन मुकदमों के पीछे कोई सत्य नहीं होता। वास्तविकता यह है कि महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा और क्रूरता की जो परिभाषाएँ इन  अधिनियमों में दी गई है वह बहुत कुछ जनतांत्रिक मूल्यों और स्त्री-पुरुष के समान अधिकारों पर आधारित है, इन परिभाषाओं के अंतर्गत आने वाले बहुत से कृत्य हमारे पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों के अधिकार समझे जाते हैं। पुरुष ऐसा व्यवहार सहज रूप से करते हैं उन्हें लगता ही नहीं है कि वे स्त्री के प्रति हिंसा या क्रूरता का व्यवहार कर रहे हैं। जब पति-पत्नी के बीच विवाद होता है और स्त्री शिकायत करती है तो वास्तविक तथ्यों के आधार पर भी ऐसे मुकदमे बन सकते हैं, लेकिन स्त्री जो खुद भी उसी पुरुष प्रधान मानसिकता से ग्रस्त होती है अपने पक्ष को और अधिक मजबूत बनाने के लिए उस में बहुत सी बातें मनगढन्त भी जोड़ती है और अनेक बार कई नए वकील भी ऐसी गलतियाँ करते हैं। लेकिन इन सारे मनगढ़न्त तथ्यों को बाद में अदालत में साबित नहीं किया जा सकता जिस से एक सही मुकदमा भी मिथ्या और मनगढ़न्त तथ्यों के समावेश से गलत हो जाता है जिस का लाभ पुरुष उठाते हैं।

प के विरुद्ध आप की पत्नी ने जो मुकदमा किए हैं वे कैसे हैं, आप और आप के वकील बेहतर जानते हैं। इन मुकदमों में पति और उस के परिवार वालों के लिए सब से बड़ी चिन्ता गिरफ्तार होने की और जमानत होने तक जेल में रहने की होती है। उस परेशानी से आप गुजर चुके हैं। अब तो आपके विरुद्ध उन मुकदमों में साक्ष्य प्रस्तुत होगी और आप को बचाव का पूरा अवसर मिलेगा।

ब आप और आप की पत्नी के मध्य मौखिक सहमति हो गई कि आप विवाह विच्छेद की अर्जी लगाएँ वह विवाह विच्छेद हो जाने देगी।  मौखिक समझौते का कोई महत्व न होते हुए भी यह प्रकट हो चुका है कि आप की पत्नी आप के साथ वैवाहिक संबंध नहीं रखना चाहती। ऐसी स्थिति में आप और आप के वकील समझते हैं कि आप के पास विवाह विच्छेद के पर्याप्त आधार हैं तो आप को विवाह विच्छेद का आवेदन करना चाहिए।  तब आप अपनी पत्नी के समझौते से हट जाने पर भी आप विवाह विच्छेद के मुकदमे में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उस पर आप की पत्नी की सहमति या उस से मुकर जाने का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।  वैसे भी विवाह विच्छेद के मुकदमे का आप के विरुद्ध चल रहे धारा 498-क व घरेलू हिंसा के मुकदमों पर नहीं पड़ेगा, यदि आप अपनी प्रतिरक्षा और विवाह विच्छेद के मुकदमों में कोई ऐसे तथ्य नहीं रखते जो एक दूसरे के विपरीत हो।  यदि आप के वकील कहते हैं कि कोई फर्क नहीं पड़ेगा, तो वे जानते हैं कि वे आप के मुकदमे में प्रतिरक्षा कर सकते हैं।  आप को उन पर भरोसा नहीं हो रहा है तो आप उन से समझने की कोशिश करें कि क्यों नहीं फर्क पड़ेगा।  आप के वकील साहब को भी आप को यह समझा कर बताना चाहिए कि क्यों फर्क नहीं पड़ेगा।  तब आप अपने वकील पर अधिक अच्छी तरह भरोसा कर सकेंगे।

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