तीसरा खंबा

अपराधिक शिकायत दर्ज कराएँ और संविदा के विशिष्ट पालन का वाद प्रस्तुत करें . . .

Havel handcuffसमस्या-
मोनिका यादव ने गुड़गाँव, हरियाणा से पूछा है-

मेरे पिता जी की पहली पत्नी का देहांत हो गया था। उस पहली पत्नी से एक लड़का था। जोकि मेरा भाई है। फिर मेरे पिता ने दूसरी शादी कर ली। जो दूसरी पत्नी है वह मेरी माता जी हैं और मेरे भाई की सौतेली माँ हैं। लगभग 8-10 साल पहले मेरे पिता जी ने 160 गज का एक प्लाट खरीदा। बेचने वालों ने इस प्लाट की जी०पी०ए० करवाई। उसके बाद मेरे पिता जी का देहांत हो गया। मेरे भाई ने बालिग़ होने के बाद बेचने वालों से मिलकर अपने नाम रजिस्ट्री करवा ली। इस बात का हमें पता तक नहीं लगा। जिन लोगों ने मेरे पिता जी को जमीन बेचकर जी०पी०ए० करवाई थी। उन्ही लोगों ने मेरे भाई के नाम रजिस्ट्री करवा दी। इसके कुछ साल बाद 2013 में मेरा भाई सभी कागज़ लेकर घर छोड़ कर कहीं भाग गया। अब पता चला कि उसने वह प्लाट किसी को बेच दिया है। पक्की रजिस्ट्री भी करवा दी है। हम मैं उसकी बहन और मां अपना हक़ चाहते हैं। मैं भी उसकी सौतेली बहन हूँ और मां भी उसकी सौतेली मां है।
क्या ये रजिस्ट्री केंसल हो सकती है? क्या हमें हमारा हक़ मिल सकता है? क्या इस जमीन में हमें हमारा हिस्सा मिल सकता है? क्या इस प्लाट पर स्टे हो सकती है?

समाधान-

दि उक्त प्लाट को खरीदने का सौदा आप के पिता के द्वारा किया गया था और खरीदने का इकरारनामा उन के नाम था तो उन की मृत्यु के उपरान्त प्लाट के विक्रय पत्र की रजिस्ट्री भी बेचने वाले को आप के पिता जी के सभी उत्तराधिकारियों के नाम करवानी चाहिए थी। यदि आप के भाई ने बेचने वाले से मिल कर प्लाट की रजिस्ट्री अपने नाम करवा ली है तो यह गैर कानूनी भी है और षड़यंत्र पूर्वक किया गया अपराध भी है।

भूखंड के विक्रय पत्र की रजिस्ट्री बेचने वाले व्यक्ति ने आप के भाई के नाम गलत करवाई है। आप को बेचने वाले को नोटिस देना चाहिए कि वह उस रजिस्ट्री को निरस्त करवा कर आप तीनों के नाम रजिस्ट्री करवाए। यदि वह नोटिस के उत्तर में कुछ नहीं करता है तो आप तुरन्त पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाएँ। पुलिस कार्यवाही न करे तो आप सीधे न्यायालय में अपराधिक शिकायत दर्ज करवा कर न्यायालय से उसे पुलिस को अन्वेषण के लिए भिजवाने का निवेदन करें।

स के अतिरिक्त आप बेचने वाले व्यक्ति के विरुद्ध आप के पिता जी के साथ हुए विक्रय के इकरारनामे के आधार पर आप के पिताजी के तीनों उत्तराधिकारियों के नाम विक्रय पत्र की रजिस्ट्री करवाने के लिए विशिष्ठ पालन का दीवानी वाद प्रस्तुत कर सकती हैं। इस वाद में उस प्लाट को अन्यत्र बेचने पर अस्थाई निषेधाज्ञा भी प्राप्त कर सकती हैं। इस दीवानी वाद में आप को प्लाट बेचने वाले व्यक्ति को, आप के भाई को और जिसे आप के भाई ने प्लाट बेचा है उसे पक्षकार बनाना होगा।

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