तीसरा खंबा

अपराधी अदालतों को अपराध में सहभागी बनाने लगे

मुझे एक पाठक सुनील ने ई-पत्र में लिखा –
“मैं ने एक व्यक्ति से 25000/-लोन लिया.इस के एवज़ में मैं ने उसे एक खाली स्टाम्प और दो खाली चैक हस्ताक्षर कर के दिए। कुछ दिनों बाद मैं ने उसे 20000/- रुपया चुका दिया जिस की  उस ने मुझे अपने हाथ से कच्ची रसीद बना कर दे दी जिस पर उस ने अपने हस्ताक्षर नहीं किए। कुछ समय बाद मैं ने उस को बाकी के पैसे भी लौटा दिए।  उस के बाद जब मैं ने उस से अपने दस्तावेज खाली स्टाम्प और खाली चैक मांगे तो उस ने कहा कि मेरे बैंक के लॉकर मे रखे हैं कल आ कर ले लेना। उसी दिन शाम को दो पुलिस वाले मेर घर पर आए और मुझ से कहने लगे कि तुम ने उस व्यक्ति से छह लाख पचास हजार रुपया लिया जो उस को दे दो नहीं तो वह तुम पर केस कर देगा। वह व्यक्ति मेरे दिए हुए खाली चैक और स्टाम्प पर 6,50,000.00 रुपया भर कर और पुलिस का दबाव बना कर मुझ से और पैसे लेना चाहता है। मेरे पास सबूत के तौर पर उस के हाथ की 20,000.00 की रसीद है जिस पर उस ने हस्ताक्षर नहीं कर रखे हैं उस ने मुझे धारा 138 और धारा 420 के अंदर फँसाने की धमकी दे रखी है। 

कृपया मुझे सलाह दें कि मैं उस के बिछाए जाल से कैसे बच सकता हूँ?”

इस ई-पत्र से स्पष्ट है कि सुनील जी, एक अपराधिक व्यक्ति के शिकंजे में फँस गए हैं। यह व्यक्ति ऐसे लोगों को जिन्हें अचानक जरूरी कामों के लिए मामूली राशियों की जरूरत होती है, ऋण देता है और उन्हें अपने विश्वास में ले कर उन से खाली चैक हस्ताक्षर करवा कर ले लेता है। जब उसे धन वापस मिल जाता है तो किसी बहाने से चैक लौटाने से मना कर देता है। फिर चैक पर मनमानी राशि भर कर अदालत में चैक प्रस्तुत कर देता है। इस तरह एक अपराधिक व्यक्ति सहज विश्वास का लाभ उठा कर अपराध करता है और उस अपराध को पूरा करने में देश के कानून और अदालत को भी उस में भागीदार बना लेता है। ऐसा इसलिए होता है कि इस कानून में लौंचा है।  मैं कानून में मौजूद इस छेद के बारे में पहले भी बता चुका हूँ। 
कानून में मौजूद इस छेद के कारण बहुत अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों ने अब कानून का सहारा ले कर अपराध करना आरंभ कर दिया है। इस तरह के अपराध की मौजूदा स्थिति यह है कि अपराधी सबूतों के सहारे छल करने का अपराध करता है और कानून और अदालत की संरक्षा में अपराध करता है। इस अपराधी को दंडित करने और भले लोगों को इस अपराध से बचाने का कोई साधन अभी न कानून के पास है और न वकीलों के पास वे मौजूदा कानून के दायरे में इस के हल तलाशते हैं। वे केवल मौखिक सबूत पेश कर सकते हैं ,जो कि अपराधी के पास उपलब्ध सबूतों के सामने कमजोर सिद्ध होते हैं। 
इस मामले में मैं ने सुनील को सलाह दी कि  “आप तुरंत किसी विश्वसनीय और समझदार फौजदारी वकील से मिलें और उस के विरुद्ध धोखाधड़ी और ब्लेक मेलिंग का मुकदमा चलाने के लिए अदालत में शिकायत प्रस्तुत कराएँ।  अपने और अपने गवाहों के बयान करवा कर मुकदमा दर्ज कराएँ। आप ने खाली स्टाम्प पर और चैकों पर हस्ताक्षर कर के खुद के हाथ तो काट ही रखे हैं। आप केवल इसी रास्ते से बच सकते हैं। वह भी आप का वकील बहुत ही होशियार हो तो ही। वैसे कर्ज देने वाले से यह सवाल किया जा सकता है कि वह आप को देने के लिए उस दिन 650000.00 रुपया कहाँ से लाया था।

मैं ने उन से यह भी पूछा कि यदि वे बता सकें कि वे कहाँ से, किस प्रांत और शहर से हैं? जिस से यदि संभव हो तो मै

Exit mobile version