एस. एन. विनोद जो नागपुर के प्रधान संपादक दैनिक ‘राष्ट्रप्रकाश’ एवं समूह संपादक- मराठी ‘दैनिक देशोन्नती’ ने अपने ब्लाग चीरफाड़ पर अपने आलेख फिर फैसला हुआ, न्याय नहीं ! में अनायास ही अपराध नियंत्रण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विषयों को उठाया है और बहस को एक नयी दिशा दी है। अपराध नियंत्रण राज्य का मसला है। लेकिन जो बात उन्हों ने यहाँ कही है वह शिद्दत से सभी महसूस करते हैं। वास्तविकता यह है कि अदालतों का अन्वेषण करने वाली एजेन्सिय़ों पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं है। अधिकतर अपराध अन्वेषण वही पुलिस करती है जिस पर भ्रष्ट राजनितिज्ञों और नौकरशाहों का नियंत्रण है जिन्हें आसानी से थैलियाँ प्रभावित कर लेती हैं। नतीजा यह होता है कि अपराधी बच निकलते हैं। अपराध नियंत्रण की जो व्यवस्था पुलिस, अभियोजक और न्यायालय के माध्यम से बनी है वस्तुतः उस का अपराधियों पर कोई असर नहीं है। भारत संपन्न अपराधियों के लिए स्वर्ग बना हुआ है। यहाँ तक कि वे राजनीति और प्रशासन पर एक हद तक नियंत्रण रखते हैं।