तीसरा खंबा

अभियुक्त को फरार घोषित कराएँ।

समस्या-

दशरथ वर्मा ने उज्जैन, मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

न्यायालय में चैक बाउंस का धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनयम का परिवाद प्रस्तुत किया था जिस पर प्रसंज्ञान लिए जाने पर अभियुक्त के विरुद्ध समन जारी हुए हैं। लेकिन अभियुक्त उस के दिए पते से मकान खाली कर अन्यत्र चला गया है इस लिए उसे समन की तामील नहीं हो रही है। क्या किया जाए?

समाधान-

किसी भी अपराधिक प्रकरण में अभियोजक (मुकदमा चलाने वाले) की यह जिम्मेदारी है कि वह अभियुक्त का पता ठिकाना मालूम करे और उसे किसी भी तरह न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कराए। अपराधिक मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति (यदि अभियुक्त की स्वयं की प्रार्थना पर अदालत द्वारा उपस्थिति से कोई मुक्ति प्रदान न कर दी गयी हो) में कोई कार्यवाही हो सकना संभव नहीं है।

इस के लिए अभियोजक न्यायालय से पुलिस के नाम समन, गिरफ्तारी या जमानती वारंट जारी करवा सकता है। जिन मामलों में स्वयं सरकार अभियोजक होती है उन में भी यही प्रक्रिया है। इस मामले में अभियोजक भी आप ही हैं तो अभियुक्त का पता तो आप को ज्ञात करना होगा और न्यायालय को दे कर उस पते के लिए समन या वारंट जारी कराना होगा। अदालत यह कर सकती है कि जारी समन या वारंट को आप को वह दस्ती देने का आदेश दे दे जिस से आप खुद उसे ले जा कर पुलिस को साथ ले कर निशादेही से तामील करवा सकें।

यदि फिर भी अभियुक्त नहीं मिलता है और जानबूझ कर छुपा रहता है तो आप न्यायालय को धारा 82 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत फरार घोषित करने की उद्घोषणा के लिए आवेदन कर सकते हैं। जिस के अंतर्गत अभियुक्त की संपत्ति को कुर्क किया जा सकता है। अभियुक्त का ऐसी स्थिति में मिलना आप की कोशिश पर ही निर्भर करता है। पुलिस और अदालत आप की मदद कर सकते हैं लेकिन अभियुक्त को तो आप को तलाश करना ही होगा अन्यथा आप का यह मुकदमा करना बेकार हो जाएगा।

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