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समस्या-
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नैना त्रिवेदी ने तेलीबाग, लखनऊ, उत्तर प्रदेश से पूछा है-
मेरी शादी दो साल पहले हुई थी। अब मेरी एक साल की बेटी है किन्तु मेरा वैवाहिक जीवन संघर्ष से भरा हुआ है। मेरे पति पहले से शादीशुदा थे। उनका एक 14 साल का बेटा है। उनकी पहली पत्नी सरकारी नौकरी में है और अपने मायके में सात वर्षों से रह रही है। मेरे पति व उनके परिवार वालों के कई बार बुलाने पर भी वह वापस नही आई थी। इस बीच मेरे पति बहुत बीमार भी रहे। मेरे ससुर जी का देहांत भी हो गया और एक वर्ष पहले सास का भी देहांत हो गया। वो फिर भी अंतिम दर्शन के लिए नही आई। मेरे पति जब भी उस से पूछते हैं कि वापस आ जाओ तो वह कह देती है हम नहीं आएंगे तुम्हें दूसरी शादी करनी है तो कर लो हमें कोई फर्क नही पड़ता। लेकिन जब भी ये तलाक की बात करते हैं वो मना कर देती है और कहती है मेरी कुछ शर्तें हैं उनको पूरा करो फिर सोचती हूँ तलाक देनी है या नहीं। मेरे पति ने परिवार होते हुए सालों अकेले बिताये। फिर जब मैं उनसे मिली तो उन्होंने मुझसे शादी कर ली। हमारी शादी के विषय में केवल इनकी माता जी जानती थी किन्तु वे अब जीवित नही हैं। इन्होंने मुझे पहले अपने शादी शुदा होने की बात नहीं बताई थी जब बताया तब तक हम अपने रिश्ते में बहुत आगे बढ़ चुके थे। मैंने भी अपने परिवार के खिलाफ जाके इनसे शादी कर ली थी। शादी के कुछ दिन तक सब ठीक था फिर मुझे बेटी हुई। लेकिन अब मेरे पति का स्वभाव बदल गया है। वो मेरी किसी भी जरूरत का ध्यान नही रखते। बात बात पर मेरी बेइज्जती करते हैं। उन्होंने अब तक मेरे लिये कुछ भी नहीं किया है। मैं जानना चाहती हूँ कि क्या इनकी पत्नी कभी वापसी करती है तो इन पर मेरा कोई अधिकार नही होगा? मेरे बच्चे को कुछ नहीं मिलेगा क्या मुझे और मेरे बच्चे को घर छोड़कर जाना पड़ेगा? मेरे और मेरे बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए जो भी उपाय हों कृपया बताने की कृपा करें।
समाधान-
आप अपने पति के साथ विवाह पूर्व सम्बन्ध में थीं। आपके पति ने तब आपको यह नहीं बताया था कि वह विवाहित है। इस तरह से आपको धोखे में रख कर आपके पति ने आपके साथ संबंध स्थापित किया यह गलत था। यह अपराध है और अभी भी आप यदि इस मामले में रिपोर्ट करवा दें तो मुकदमा दर्ज हो सकता है। आपने अपने पति से जब विवाह किया तो आपको पता था कि वह विवाहित है। एक विवाहित व्यक्ति दूसरा विवाह नहीं कर सकता। यदि करता है तो ऐसा विवाह अवैध है। इस तरह आप अपने पति की वैध पत्नी नहीं हैं। आपको पत्नी के कोई अधिकार प्राप्त नहीं हैं।
आपकी कहानी से लगता है कि आप के पति ने स्वयं को अविवाहित बता कर पहले आपके साथ संबंध स्थापित कर लिए। फिर जब आप के पास उनसे विवाह करने के अलावा कोई चारा नहीं रहा तब आपको बताया गया का वह पहले से विवाहित है। इस तरह उसने आप पर अनुचित दबाव बना कर विवाह किया। यह भी एक अपराध है।
आप अपने पति के साथ रहती हैं। इसे लिव इन रिलेशन कह सकते हैं, यह विवाह नहीं है। यदि आपके साथ घरेलू हिंसा होती है तो आप महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत आवेदन कर सकती हैं और सुरक्षा, आवास तथा भरण पोषण प्राप्त कर सकती हैं।
किसी भी पुरुष के जीवन काल में उसकी किसी भी संपत्ति पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं होता। आप तो अपने पति की वैध पत्नी भी नहीं हैं। इस कारण आपको अपने पति की संपत्ति पर कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। किसी पुरुष की मृत्यु पर उसकी पत्नी, पुत्र और पुत्री को उसकी ऐसी संपत्ति पर जिसे वसीयत न कर दिया गया हो उत्तराधिकार प्राप्त होता है। लेकिन यदि पुरुष अपनी सारी संपत्ति वसीयत कर दे तो उसकी सारी संपत्ति वसीयती को प्राप्त होगी और पत्नी, पुत्र व पुत्रियों को कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। आप को तो वैसे भी कुछ प्राप्त नहीं होने वाला है लेकिन आपकी पुत्री आपके पति की पुत्री है, वह अवैध नहीं है उसे आपके पति की निर्वसीयती संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त होगा। लेकिन यदि आपके पति अपनी सारी संपत्ति अपने पुत्र के नाम वसीयत कर दे तो आपकी पुत्री को भी कुछ भी प्राप्त नहीं होगा।
आपकी पुत्री को जब तक वह विवाह नहीं कर लेती है अपने पिता अर्थात आपके पति से भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार है वह घरेलू हिंसा अधिनियम तथा धारा 125 के अंतर्गत भरण पोषण प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकती है। आपकी पुत्री हिन्दू दत्तक ग्रहण एवं भरण पो,ण अधिनियम के अंतर्गत भी भरण पोषण के लिए आवेदन कर सकती है। जब तक आपकी पुत्री 18 वर्ष की नहीं हो जाती तब तक आप उसकी संरक्षक की हैसियत से उसकी ओर से कानूनी कार्यवाही कर सकती हैं।